2G केस: एक लाख 76 हजार करोड़ का वो घोटाला, जिसके बोझ तले डूब गई यूपीए सरकार, बाद में सारे आरोपी हुए बाइज्जत बरी
2g Scam: स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी के एक फैसले ने देश के तथाकथित सबसे बड़े घोटाले की पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी थी.
2g Spectrum Scam: 2जी घोटाला (2G Scam) देश के सबसे बड़े घोटालों में से एक माना जाता है. इस मामले में कुल 14 लोगों और तीन कंपनियों पर आरोप लगा था. अब तक का सबसे बड़ा आर्थिक घपला माना जाने वाला 2 जी घोटाला 2010 में सामने आया था. इस पूरे घोटाले में एक लाख 76 हजार करोड़ रुपए का घोटाला किए जाने का आरोप था. यह एक गंभीर और बड़ा राजनीतिक विवाद बन गया था. हालांकि, विशेष सीबीआई जज के एक फैसले ने इस घोटाले की पूरी तस्वीर बदलकर रख दी थी. चलिए आपको बताते हैं इसकी पूरी कहानी.
2जी स्पेक्ट्रम मामले (2G Spectrum Case) में आरोप था कि राजनेता और निजी अधिकारी उन शर्तों पर 122 2जी स्पेक्ट्रम लाइसेंस बेचने या आवंटित करने में शामिल थे. जो टेलीकॉम ऑपरेटरों को फायदा पहुंचाते थे. घोटाले में कंपनियों को नीलामी की बजाए पहले आओ और पहले पाओ की नीति पर लाइसेंस दिए गए थे. मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट में याचिका भी दाखिल की गई थी. इतना ही नहीं इस मामले ने प्रधानमंत्री कार्यालय और तत्कालीन वित्त मंत्री पी. चिदंबरम तक को सवालों के घेरे में ला दिया था.
एक फैसले ने किया सभी को बरी
स्पेशल सीबीआई जज ओपी सैनी के एक फैसले ने देश के तथाकथित सबसे बड़े घोटाले की पूरी तस्वीर ही बदल कर रख दी थी. सीबीआई जज ने कहा था ''टू जी के गलत आवंटन के मामले में 14 लोगों और तीन कंपनियों पर आरोप लगाया है लेकिन वो सबूत पेश नहीं पर पाई है. लिहाजा कोर्ट सभी को बरी करती है.'' कोर्ट के इस फैसले को सुनते ही ए राजा और कनिमोझी मुस्करा उठे थे.
कई बड़ी हस्तियों पर थे आरोप
इस मामले में ए. राजा के अलावा मुख्य जांच एजेंसी सीबीआई (CBI) ने सीधे-सीधे कई हस्तियों और कंपनियों पर आरोप तय किए थे. यहां तक कि तमिलनाडु के पूर्व मुख्यमंत्री एम. करुणानिधि की बेटी कनिमोझी को भी जेल जाना पड़ा था. पूर्व केंद्रीय दूर संचार मंत्री और द्रमुक नेता ए. राजा को मंत्री पद से इस्तीफा देना पड़ा था. सिद्धार्थ बेहुरा, जोकि उस समय दूरसंचार सचिव थे. इन्हें 2011 में गिरफ्तार किया गया था. स्वॉन टेलिकॉम के महाप्रबंधक बलवा पर भी मामले में शामिल होने का आरोप था.
कौन थे मामले में आरोपी
इनके अलावा तत्कालीन स्वॉन टेलिकॉम के निदेशक विनोद गोयनका, यूनिटेक के पूर्व महाप्रबंधक संजय चंद्रा, अनिल अंबानी समूह की कम्पनियों के टॉपी तीन अधिकारी गौतम दोषी, सुरेन्द्र पिपारा और हरी नायर, वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के निदेशक राजीव अग्रवाल, सिनेयुग मीडिया और एंटरटेनमेंट के निदेशक करीम मोरानी इस मामले में आरोपी पाए गए थे.
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