नई दिल्लीनेशनल इन्वेसिटीगेशन एजेंसी (एनआईए) को लेकर बड़ा खुलासा हुआ है. एनआईए के तीन अधिकारियों पर टेरर फंडिंग मामले में 2 करोड़ रिश्वत मांगने के आरोप लगे हैं. तीनों अधिकारियों ने पाकिस्तान में आतंकवादी संगठन जमात-उद-दावा के आतंकी और मुंबई हमले के मास्टरमाइंड हाफिज सईद की टेरर फंडिंग केस में करोड़ों रुपए की रिश्वत मांगी थी.


तीनों अधिकारियों को एनआईए से बाहर भेजा गया


बड़ी बात यह है कि रिश्वत मांगने वाले तीन अधिकारियों में एनआईए के एसपी भी शामिल हैं. वहीं, इनमें से एक अधिकारी समझौता ब्लास्ट केस की जांच मे भी शामिल रहा है. एनआईए ने भी अधिकारिक तौर पर मान लिया है कि ऐसी एक शिकायत एनआईए को मिली है. एऩआईए के अधिकारिक प्रवक्ता ने कहा कि तीनों अधिकारियों को एनआईए से बाहर भेजा गया है और मामले की जांच डीआईजी लेबल के अधिकारी से कराई जा रही है.


क्या है टेरर फंडिग का मामला?


एनआईए पाकिस्तान से जुड़े आतंकी संगठन फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) से भारत में रुपए की फंडिंग को लेकर जांच कर रही है. एफआईएफ का संबंध हाफिज सईद के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से है. पिछले साल अक्टूबर में एनआईए को गिरफ्तार मोहम्मद सलमान से पूछताछ में पता चला था कि हरियाणा और राजस्थान के कुछ मदरसों के लिए पाकिस्तान से पैसे आए थे.


पूछताछ में सलमान ने बताया कि वह हरियाणा के पलवल के उठावर गांव में एक मस्जिद बनवा रहा था. इसके लिए एफआईएफ ने फंडिंग की. इतना ही नहीं उसने खुलासा किया था कि उसको दुबई से आतंकी हाफ़िज़ सईद की संस्था फ़लाह-ए-इंसानियत फंडिंग कर रही थी.


एनआईए के मुताबिक, विदेशों में एफआईएफ सदस्यों से दिल्ली में कई लोगों ने पैसे लिए और इन पैसों का इस्तेमाल आतंकी गतिविधि के लिए किया गया. एनआईए इस मामले में मोहम्मद सलमान (52), मोहम्मद सलीम (62), श्रीनगर के सज्जाद अब्दुल वानी (34) को गिरफ्तार कर चुकी है.


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