आवारा पशुओं के हमले लगातार बढ़ते जा रहे हैं. इस कारण हर रोज देश में औसतन तीन लोगों की मौत हो रही है. आवारा पशुओं के हमले को रोकने के लिए और इन हमलों से होने वाले जानमाल के नुकसान को कम करने के लिए केंद्र सरकार ने अपनी गाइडलाइंस में बदलाव किया है. केंद्र सरकार ने आवारा पशुओं और दूसरे जानवरों की अलग-अलग श्रेणी बनाकर उसके आधार पर गाइडलाइंस तय की है. केंद्र सरकार ने राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से लावारिस पशुओं का वैक्सीनेशन करने को भी कहा है. 


सरकार का कहना है कि अगर आवारा पशु बीमार हैं तो उनका सही ढंग से इलाज कराया जाए. उसके बाद इनका वैक्सीनेशन करवाया जाए, जिससे इन पशुओं से होने वाले संक्रमण इंसानों के बीच में न फैले. केंद्र सरकार ने राज्यों को यह भी निर्देश दिया कि राज्य सरकार ऐसे लोगों की पहचान करें जो अपने पशुओं को किसी बीमारी हो जाने या उनके काम लायक न होने पर उन्हें बेसहारा छोड़ देते हैं. सरकार ने ऐसे लोगों पर कार्रवाई करने के निर्देश दिए हैं.


साथ ही गाइडलाइन में ऐसा प्रावधान किया गया है जिससे शिकायत तंत्र और पशु हेल्प लाइन पोर्टल बनाया जाए. जांच में कोई आवारा पशु हो तो उसकी बीमारी को देखते हुए इलाज कराया जाए, अगर किसी पशु को संक्रामक बीमारी हो तो उसे अलग रखा जाए जिससे संक्रमण किसी दूसरे पशु या किसी इंसान में न फैले. साथ ही किसी ऐसे बीमारी या संक्रमण से ग्रसित पशु जिनका इलाज संभव न हो तो उन्हें शांतिपूर्ण ढंग से खत्म कर दिया जाए. 


किस राज्य में हैं सबसे ज्यादा आवारा पशु


केंद्र सरकार ने बीते फरवरी में एक रिपोर्ट तैयार करवाई थी जिसमें पता चला कि 2019 गणना के अनुसार देश में 2.03 करोड़ आवारा पशु हैं, इनमें आवारा गो-पशु और कुत्तों की संख्या भी शामिल है. अगर हम बात करें कि सबसे ज्यादा आवारा पशु किस राज्य में हैं तो महाराष्ट्र में सबसे ज्यादा 493 आवारा पशु हैं. वहीं दूसरे नंबर पर उत्तर प्रदेश 469 अंक के साथ है. इसके बाद छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश, राजस्थान, कर्नाटक, गुजरात, झारखंड, पंजाब और हरियाणा में भी अधिक संख्या में आवारा पशु हैं. 


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