कोरोना महामारी से इस वक्त पूरी दुनिया जंग लड़ रही है. कोरोना के खिलाफ जंग में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्री, सांसद और विधायक सैलेरी की 30 फीसदी की कटौती करा रहे हैं. ये पहला मौका नहीं है जब देश के राष्ट्रपति ने अपनी सैलेरी में कटौती करवाई हो. इससे पहले भी देश में 3 राष्ट्रपति ऐसे रहे हैं जो अपनी सैलेरी का केवल 25 से 30 फीसदी हिस्सा ही लिया करते थे. चलिए जानते हैं उनके बारे में विस्तार से..
देश के पहले राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद
डॉ राजेंद्र प्रसाद भारत के पहले राष्ट्रपति थे. वे हिन्दी, अंग्रेजी, उर्दू, बंगाली एवं फारसी भाषा जानते थे. भारत के राष्ट्रपति के रूप में उनका कार्यकाल 26 जनवरी 1950 से 14 मई 1962 तक का रहा. उन्होंने देश की आजादी में भी योगदान दिया. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए भी उन्होंने साधारण जीवन जीने को महत्व दिया. उनकी प्रारंभिक शिक्षा छपरा (बिहार) के जिला स्कूल से हुई थी. सरलता और स्वाभाविकता उनके व्यक्तित्व में समाई हुई थी. डॉ राजेंद्र प्रसाद केवल अपने वेतन का 50 फीसदी हिस्सा लिया करते थे. वह वेतन की शेष राशि सरकारी निधि में दे दिया करते थे. राष्ट्रपति के पद पर रहते हुए उन्होंने बाद में अपने वेतन में से और अधिक कटौती करानी शुरू कर दी थी. वह बाद में केवल वेतन का 25 फीसदी हिस्सा लेने लगे थे. राष्ट्र के प्रति उनके योगदान को देखते हुए उन्हें देश के सबसे बड़े पुरस्कार भारत रत्न से भी सम्मानित किया गया.
देश के दूसरे राष्ट्रपति डॉ. राधाकृष्णन
भारत के दूसरे राष्ट्रपति बने डॉ.सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिन 5 सितंबर को भारत में शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता है. वह अपने वेतन का 75 फीसदी हिस्सा प्रधानमंत्री राष्ट्रीय राहत कोष में दे दिया करते थे. डॉ. राधाकृष्णन 1962 से लेकर 13 मई 1967 तक राष्ट्रपति रहे. वह केवल अपने वेतन का 25 फीसदी हिस्सा लिया करते थे.
देश के छठे राष्ट्रपति नीलम संजीव रेड्डी
नीलम संजीव रेड्डी भारत के छठे राष्ट्रपति थे. उनका कार्यकाल 25 जुलाई 1977 से 25 जुलाई 1982 तक रहा. नीलम संजीव रेड्डी भारत के पहले युवा राष्ट्रपति थे. नीलम संजीव का जन्म आंध्र प्रदेश के कृषक परिवार में हुआ था. वे अक्टूबर 1956 मे आन्ध्र प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री बने. नीलम संजीव रेड्डी राष्ट्रपति के तौर पर मिलने वाले वेतन में केवल 30 फीसदी हिस्सा लिया करते थे. शेष राशि वो सरकारी निधि में दे दिया करते थे.
राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद भी कटवा रहे 30 फीसदी वेतन
संसद अधिनियम 1954 वेतन, भत्ते और पेंशन में 2018 में संशोधन हुआ.
इस संशोधन के बाद राष्ट्रपति की सैलेरी पांच लाख हर महीने की कर दी गई है. राष्ट्रपति राम नाथ कोविंद वेतन का 30 फीसदी हिस्सा कटवा रहे हैं.
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