कोरोना के कहर के बाद देश में ब्लैक फंगस ने तबाही मचा रखी है. कोरोना से ठीक होने वाले कई मरीज ब्लैक फंगस (mucormycosis.) के शिकार हो रहे हैं. अगर समय पर इलाज नहीं किया जाए तो यह बीमारी जानलेवा हो जाती है. इसी बात को मद्देनजर रखते हुए गुजरात सरकार ने ब्लैक फंगस से निपटने के लिए राज्य में 33 नोडल अस्पताल बनाए हैं जहां से सभी सरकारी और निजी अस्पतालों में दवा का वितरण किया जाएगा. ये नोडल अस्पताल राज्य के सभी जिलों में होंगे. यानी एक जिले में एक अस्पताल को नोडल अस्पताल बनाया है जहां से म्यूकोरमाइकोसिस बीमारी की दवाई Liposomal Amphotericin-B वितरित की जाएंगी. इस बात की जानकारी सरकार ने गुजरात हाईकोर्ट को हलफनामा दायर कर दी है.
जिलास्तरीय कमिटी का गठन
सरकार ने हलफनामे में कहा है कि 10 जून को एक नोटिफिकेशन पास किया गया जिसमें राज्य के सभी जिले के एक अस्पताल को नोडल अस्पताल बनाया गया है जहां से ब्लैक फंगस की दवा Liposomal Amphotericin-B वितरित की जाएंगी. इसके लिए जिला स्तरीय कमिटी का भी गठन कर दिया गया है. इस कमिटी में अस्पताल के सुपरींटेंडेंट प्रमुख होंगे और विशेषज्ञ डॉक्टरों का पैनल होगा. इस पैनल में medicine, ENT, ophthalmology, neurosurgery and nephrology विभाग के एक्सपर्ट डॉक्टर सदस्य होंगे. जिलास्तरीय कमिटी सभी तरह की जरूरी जानकारियों का परीक्षण करने के बाद निजी अस्पतालों को ई-मेल से सूचित करेगी कि ब्लैक फंगस की दव उसे कब, किस जगह और कितनी दी जाएंगी.
प्रत्येक सप्ताह जानकारी अपडेट होगी
स्वास्थ्य मंत्रालय के मुताबिक जिलास्तरीय कमिटी को प्रत्येक सप्ताह यह जानकारी देनी होगी उनके द्वारा निजी और सरकारी अस्पताल में कितनी दवाई बांटी गई. इसके अलावा सारी डिटेल्स को हेल्थ मिनिस्ट्री की वेबसाइट पर अपलोड भी करना होगा. सभी लाभार्थियों के नाम प्रत्येक सप्ताह वेबसाइट पर डाले जाएंगे. इससे यह भी पता चलेगा कि राज्य में ब्लैक फंगस के कितने मरीज हैं. इससे पहले अहमदाबाद के लोगों ने दो अलग-अलग PIL दाखिल कर सरकार से ब्लैकफंगस के इलाज और प्रबंधन के लिए 11 सदस्यीय टास्कफोर्स बनाने की मांग की थी.
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