नई दिल्लीः एक रिसर्च सामने आई है कि दुनिया में आत्महत्या करने वाली 10 महिलाओं में से हर चौथी महिला भारतीय हैं. लांसेट पब्लिक हेल्थ जर्नल में प्रकाशित एक खबर के मुताबिक विश्व में आत्महत्या करने वाली महिलाओं में से 37 फीसदी महिलाएं भारतीय होती हैं. साल 2016 में भारत में मौत के कारणों में से नौवां सबसे बड़ा कारण आत्महत्या था. स्टडी के मुताबिक साल 1990 में देश में जहां 1,64,404 लोगों ने आत्महत्या की थी वहीं ये आंकड़ा साल 2016 में बढ़कर 2,30,314 पर पहुंच गया.


वहीं, इस शोध में यह भी पाया गया है कि दुनिया में होनेवाली कुल आत्महत्याओं में भारत में बहुत अधिक आत्महत्याएं होती है, खासतौर महिलाओं की आत्महत्या ज्यादा होती है, जिसके आंकड़ों में विभिन्न राज्यों में दस गुणा तक का अंतर है. इसलिए इसके कारणों की पहचान कर कदम उठाने की जरूरत है. देश में 15-39 वर्ग के आयु वर्ग के लोगों की मौत का प्रमुख कारण आत्महत्या है. दुनिया में होनेवाली महिलाओं की कुल आत्महत्या में 37 फीसदी भारत में होती है. इसके साथ देश में बुजुर्गो में आत्महत्या से होनेवाली मौतों की संख्या भी पिछले 25 सालों में बढ़ी है.

इस स्टडी को करने वाले लोगों में से शामिल एक प्रमुख लेखक राखी दंदोना ने बताया कि भारत में आत्महत्या करने वाली महिलाओं में से अधिकांश संख्या विवाहित महिलाओं की होती है. आत्महत्या की इन बढ़ती घटनाओं में के पीछे भारत में वैवाहिक संरचना का कारण प्रमुख है जिसके कारण महिलाओं को अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने का कोई मौका नहीं मिल पाता है.

भारतीय महिलाएं सामाजिक उम्मीदों, आर्थिक निर्भरता और कई मामलों में जल्दी शादी होने की स्थितियों के बीच फंसी रह जाती हैं और तो और कई महिलाएं जल्दी मां बन जाती हैं जो कि उनके लिए कई बार मुश्किल हो जाता है. इसके अलावा जागरुकता की कमी और मानसिक स्वास्थ्य सुविधाओं की कमी होना भी भारतीय महिलाओं में आत्महत्या के प्रमुख कारणों में से एक है.