(Source: ECI/ABP News/ABP Majha)
Earthquake: मिजोरम में 64 घंटे में चौथी बार आया भूकंप, रिक्टर स्केल 4.1 पर महसूस किए गए झटके
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
आईजोल: मिजोरम में बुधवार सुबह आठ बजकर 2 मिनट पर एक बार फिर भूकंप के झटके महसूस किए गए हैं. नेशनल सेंटर फॉर सीस्मोलॉजी के मुताबिक, चंपई के 31 किलोमीटर दक्षिण-दक्षिण-पश्चिम (SSW) में रिक्टर स्केल पर 4.1 तीव्रता का भूकंप आया. पिछले 64 घंटों में इस पहाड़ी राज्य में यह चौथा भूकंप है. हालांकि अभी किसी भी तरह के नुकसान की कोई खबर नहीं.
इससे पहले मिजोरम में मंगलवार रात 7.17 बजे भूकंप आया था, जिसकी तीव्रता रिक्टर पैमाने पर 3.7 मापी गई. ये भूकंप दक्षिण मिजोरम में म्यांमार से सटे जिले लुंगलेई में आया. यह पृथ्वी की 25 किलोमीटर की गहराई में स्थित था.
इसके पहले सोमवार को पूर्वी मिजोरम के चंफई इलाके में और म्यांमार से लगे अन्य पूर्वोत्तर के राज्यों में 5.5 तीव्रता का भूकंप आया था, जिसके कारण इमारतों और महत्वपूर्ण प्रतिष्ठानों सहित 31 ढाचे क्षतिग्रस्त हो गए थे. इसके पहले रविवार अपराह्न् 4.16 बजे 5.1 तीव्रता का भूकंप और गुरुवार रात पांच तीव्रता का भूकंप राज्य में आया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह और डीओएनईआर मंत्री जितेंद्र सिंह ने मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरामथांगा से बात की थी और केंद्र से मदद की पेशकश की थी.
भूकंप के दौरान सतर्कता से जुड़ी कुछ जरूरी बातें:
- अगर आप किसी इमारत के अंदर हैं तो फर्श पर बैठ जाएं और किसी मजबूत फर्नीचर के नीचे चले जाएं. यदि कोई मेज या ऐसा फर्नीचर न हो तो अपने चेहरे और सर को हाथों से ढंक लें और कमरे के किसी कोने में दुबककर बैठ जाएं.
- अगर आप इमारत से बाहर हैं तो इमारत, पेड़, खंभे और तारों से दूर हट जाएं.
- अगर आप किसी वाहन में सफर कर रहे हैं तो जितनी जल्दी हो सके वाहन रोक दें और वाहन के अंदर ही बैठे रहें.
- अगर आप मलबे के ढेर में दब गए हैं तो माचिस कभी न जलाएं, न तो हिलें और न ही किसी चीज को धक्का दें.
- मलबे में दबे होने की स्थिति में किसी पाइप या दीवार पर हल्के-हल्के थपथपाएं, जिससे कि बचावकर्मी आपकी स्थिति समझ सकें. अगर आपके पास कोई सीटी हो तो उसे बजाएं.
- कोई चारा न होने की स्थिति में ही शोर मचाएं. शोर मचाने से आपकी सांसों में दमघोंटू धूल और गर्द जा सकती है.
- अपने घर में हमेशा आपदा राहत किट तैयार रखें.
भूकंप आता कैसे है?
पृथ्वी की बाहरी सतह सात प्रमुख और कई छोटी पट्टियों में बंटी होती है. 50 से 100 किलोमीटर तक की मोटाई की ये परतें लगातार घूमती रहती हैं. इसके नीचे तरल पदार्थ लावा होता है और ये परतें (प्लेटें) इसी लावे पर तैरती रहती हैं और इनके टकराने से ऊर्जा निकलती है, जिसे भूकंप कहते हैं.
भारतीय उपमहाद्वीप को भूकंप के खतरे के लिहाज से सीसमिक जोन 2,3,4,5 जोन में बांटा गया है. पांचवा जोन सबसे ज्यादा खतरे वाला माना जाता है. पश्चिमी और केंद्रीय हिमालय क्षेत्र से जुड़े कश्मीर, पूर्वोत्तर और कच्छ का रण इस क्षेत्र में आते हैं.
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