मुंबई/पुणे: मुंबई सायबर पुलिस ने चार अफ्रीकन नागरिकों को महाराष्ट्र के पुणे से गिरफ्तार किया है. ये आरोपी दुनिया के 48 देशों के 27000 लोगों के साथ ऑनलाइन ठगी कर चुके हैं. जॉइंट कमिश्नर ऑफ पुलिस (क्राइम) मिलिंद भराम्बे ने बताया कि एक महीने पहले सायबर पुलिस में होटल मैनेजमेंट की पढ़ाई करने वाले शख्स ने शिकायत दर्ज कराई थी. जिसके बाद इन लोगों को पकड़ा जा सका.


इस शख्स ने पुलिस को बताया था कि उसने नौकरों के लिए कई सारी वेबसाइट्स पर अपना बायो डेटा डाला था. जिसके कुछ दिनों के बाद ही उसे एक फ़ोन आया और फोन पर शख्स ने कहा कि उसके बायोडेटा को पढ़ने के बाद उसे कैनेडा के हिल्टन होटल में मैनेजर की नौकरी दी जा रही है. फोन करने वाले शख्स ने उसके ईमेल आईडी पर हिल्टन होटल की अपॉइंटमेंट लेटर भी भेज दिया. फिर कुछ दिनों बाद अलग-अलग कारण बताकर उससे 17 लाख रुपये अलग अलग बैंकों में ट्रांसफर करने बोला और जब उनकी मांग और बढ़ते ही जा रही थी, तब उसे पता चला कि उसके साथ चीटिंग हुई है.


कैसे किया गिरफ्तार?


पुलिस को शिकायत मिलने के बाद साइबर पुलिस की डीसीपी रश्मि करंदीकर ने एक टीम बनाई, जिसने सारे बैंक अकाउंट और फोन की लोकेशन निकाली. फिर भी कुछ हाथ नही लगा. सूत्रों की माने तो पुलिस ने एक बहुत खास तरह की टेक्निक का सहारा लेकर उनकी लोकेशन निकाली और फिर एक टीम को पुणे भेजकर आरोपियों को गिरफ्तार किया गया.


कैसे करते थे ठगी?


भराम्बे ने बताया कि जांच के दौरान पता चला कि आरोपी जॉब्स की साइट्स से लोगों के बायोडेटा जमा करते थे और फिर सबको फोन करके नौकरी का झांसा देते थे और अगर कोई शख्स इनकी बातों में आ जाता था तो ये लोग उसे अलग अलग कारण बताकर उनसे थोड़े थोड़े पैसे ऐंठते थे. एक अनुमान के मुताबिक इन आरोपियों ने अबतक 15 करोड़ से ज्यादा की ठगी की है.


जांच के दौरान पता चला कि यह लोगों 48 बैंक अकाउंट का इस्तेमाल क्राइम के दौरान विक्टिम्स से पैसे लेने के लिए किया करते थे. ये अकाउंट्स दिल्ली, यूपी, उड़ीसा, पश्चिम बंगाल, और असम राज्य के बैंकों में है. पुलिस को दो विदेशी बैंक अकाउंट्स के बारे में भी पता चला है, जिसमें से एक दुबई में तो दूसरा नाइजीरिया में है.


इन दोनों अकाउंट्स में अबतक इन आरोपियों ने 10 करोड़ से ज्यादा की रकम ट्रांसफर की है. पुलिस को इनके भारत के अकाउंट्स में लगभग पौने तीन करोड़ की रकम के ट्रांसक्शन मिले हैं. पुलिस ने इन आरोपियों के पास से 14 मोबाइल फोन्स, दो लैपटॉप, हार्ड डिस्क और कई इलेक्ट्रॉनिक गैजेट जप्त किये हैं, जिसमें पुलिस को 27000 लोगों का डेटा मिला. ये लोग विश्व के 48 देश के नागरिक हैं.


पुलिस को तोएक हार्ड डिस्क में लगभग 2700 लोगों के स्कैन्ड पासपोर्ट की कॉपियां भी मिली हैं. आरोपियों के मुताबिक इनमें से लगभग 2000 लोगों के साथ इन लोगों ने धोखाधड़ी की है. पुलिस की माने तो यह डेटा पिछले 8 महीने का है. ये आरोपी हर कुछ महीनों में लैपटॉप का हार्डडिस्क बदल देते थे और पुराने हार्डडिस्क को डिस्पोज़ कर देते थे, जिससे भविष्य में अगर इनको पुलिस ने पकड़ लिया तो उनके गुनाहों की पूरी जानकारी उन्हें न मिले.


इन्हें इतने बैंक अकाउंट्स कैसे मिले?


पुलिस ने बताया कि ये लोग ऐसे लोगों की तलाश में रहते थे, जिसे पैसों की सख्त जरूरत हो या फिर जो लोग बेरोजगार हों. इसके बाद ये लोग इनको ऑफर देते थे कि अगर वे लोग इनकी मदत करेंगे तो ये लोग उन्हें अच्छे खासे पैसे देंगे. जैसे कि अगर इनके अकाउंट में एक लाख रुपये आते हैं तो 25 हजार छोड़कर बाकी की रकम इन्हें आरोपियों को निकालकर देनी होती थी. इस तरह इन लोगों ने कई बैंक अकाउंट अपने क्राइम के लिए इस्तेमाल किये.


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