नई दिल्ली: जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय एक बार फिर सुर्खियों में है. इस बार मामला बीफ बिरयानी का है. जेएनयू प्रशासन ने कुछ छात्रों को एडमिन ब्लॉक में बिरयानी बनाने और खाने पर 10 हज़ार का फाइन लगाया है. इस मामले पर दक्षिणपंथी छात्रों का आरोप रहा है कि वो सिर्फ बिरयानी नहीं बीफ बिरयानी थी.
दरअसल 27 जून को विश्वविद्यालयों में हो रहे सीट कट के विरोध में जेएनयू के वामपंथी छात्र और छात्राएं वाइस चांसलर के ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर रहे थे. इस प्रदर्शन की अगुवाई जेएनयू छात्र संघ के तत्कालीन अध्यक्ष मोहित पांडेय और वामपंथी छात्रा सतरूपा कर रही थीं. जब वीसी ने मिलने का समय नहीं दिया तो ये प्रदर्शन रात भर चला और यहीं पर बैठकर सभी स्टूडेंटट्स ने मिलकर बिरयानी खाई.
इस मुद्दे को उठाकर अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद के सौरभ शर्मा ने कहा कि ये बिरयानी नहीं बीफ बिरयानी थी. उन्होंने वामपंथी छात्र-छात्राओं पर जेएनयू में बीफ पकाने का आरोप लगाया. बहरहाल इस प्रदर्शन के बाद जांच कमेटी भी बैठी और 9 नवंबर को इस कमेटी ने चार छात्रों को दोषी मानते हुए 10 हज़ार रुपये का जुर्माना भी लगाया. इनमें सतरूपा, मनीष, चैपल और अमीर अली शामिल हैं. हालांकि नोटिस में कहीं भी बीफ का ज़िक्र नहीं किया गया है. स्टूडेंट्स पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है और प्रशासनिक भवन में बिरयानी खाए जाने को लेकर फाइन लगाया है.
जुर्माना लगाए जाने के बाद एबीवीपी अपने बयान से पीछे हट गई है और अब इस मामले को प्रशासन और लेफ्ट छात्रों के बीच की बात बता रही है. वहीं वामपंथी छात्रों का कहना है कि चूंकि दिसंबर में फिर से परीक्षा होने वाली है इसलिए प्रशासन ने इस मौके को देखते हुए फाइन लगाया है. हालांकि प्रशासन ने इस पूरे मामले पर चुप्पी साधी हुई है.