Lockdown: कोरोना के संकट में 400 करोड़ की कंपनी का काम आधे से कम पर अटका
कोरोना काल में आम आदमियों के साथ-साथ हैवी इंडस्ट्रीज को भी कई चुनौतियों का सामना करना पड़ रहा है. फैक्ट्रियों में मजदूरों की कमी के कारण अब सिर्फ आधा काम ही हो रहा है.
रांची/जमशेदपुर: देश में लॉकडाउन के बाद हैवी इंडस्ट्रीज के सामने भी कई तरह की चुनौतियां हैं. देश के किसी भी हिस्से से किसी भी फैक्ट्री की हकीकत जान लीजिए. इस वक्त कोरोना के इस संकट में लगभग सभी का हाल एक जैसा ही है. एबीपी न्यूज़ ने झारखंड के जमशेदपुर में चलने वाली हाई-टेक इंडस्ट्रीज का हाल जाना तो हैवी इंडस्ट्रीज के कारोबार की हकीकत पता चली. तकरीबन 400 करोड़ के कारोबार वाली हाई-टेक इंडस्ट्रीज झारखंड के जमशेदपुर में माल बनाती है, इस इंडस्ट्री में एक ऐसा प्रोडक्ट बनता है जो कि स्टील कंपनियों को सप्लाई किया जाता है. इसमें एक ऐसा नोज/सांचा तैयार किया जाता है, जिसके सहारे ही 1700 डिग्री सेल्सियस पर उबलता हुआ स्टील बाहर निकलता है. इसी से जुड़े कुछ सामान ऐसे भी बनाये जाते हैं, जो भारत में बनाने वाली ये एकमात्र कम्पनी है.
हाई-टेक इंडस्ट्रीज ने एबीपी न्यूज से बयां किया अपना दर्द
हाई-टेक इंडस्ट्रीज के MD आरके अग्रवाल ने एबीपी न्यूज़ से बताया कि मोदी जी ने कोरोना के संबंध में जो अपील की है, उसका हम पालन करते हैं. इसके साथ ही इंडस्ट्री को होने वाली समस्या पर कहा कि हमें सबसे ज्यादा लेबर की समस्या है. बिजली का बिल हमारा एक निश्चित होता है, जिसे देना ही है चाहे फैक्ट्री चले या नहीं. लेकिन इस दौरान फैक्ट्री बिल्कुल न के बराबर सिर्फ 40 फीसदी क्षमता के साथ काम कर रही है. जिसकी वजह से बिजली का बिल तो पूरा दे रहे हैं, लेकिन काम आधे से भी कम है. इसके साथ ही मजदूरों और दूसरे लोगों का वेतन भी इसी में देना है. साथ ही उन्होंने कहा कि हम करीब 30 फीसदी माल एक्सपोर्ट करते हैं, जिसमें काफी गिरावट आई है. पहले 450-500 लोग काम किया करते थे लेकिन अभी सिर्फ 180-200 लोगों का कुल स्टाफ है.
जमशेदपुर के रहने वाले अग्रवाल की हाई-टेक इंडस्ट्रीज का एक साल का कारोबार करीब 400 करोड़ रुपये का है. ये सिर्फ एक उदाहरण मात्र है और इस तरह की न जाने कितनी इंडस्ट्रीज का फिलहाल यही हाल है. जिस तरह से इस वक्त कोरोना के संकट काल में काम हो रहा है, उससे प्रोडक्शन लगभग आधे से कम का रह गया है. इससे मालिकों के साथ-साथ मजदूरों को और भी ज्यादा नुकसान हो रहा है. साथ ही सामान की बिक्री और एक्सपोर्ट से जो लाभ सरकार को होता था वो भी बंद हो चुका है. मंदी के इस दौर में न सिर्फ गरीब, किसान मजदूर को सरकार से राहत की उम्मीद है, बल्कि छोटे-बड़े उद्योग धंधों से जुड़े लोग भी उम्मीद की निगाहों से सरकार की तरफ देख रहे हैं.
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