नई दिल्ली: रक्षा मंत्रालय ने भारतीय सेना को 409 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 10 लाख हैंड ग्रेनेड की आपूर्ति करने के लिए नागपुर की एक कंपनी के साथ करार पर दस्तखत किए. मंत्रालय ने कहा कि ये ‘मल्टी-मोड’ हथगोले भारतीय सेना द्वारा उपयोग में लाए जा रहे दूसरे विश्वयुद्ध काल के विंटेज गोलों की जगह लेंगे.


मंत्रालय ने एक बयान में कहा, "रक्षा मंत्रालय की खरीद शाखा ने सेना को 409 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 10 लाख मल्टी-मोड हथगोलों की आपूर्ति करने के लिए नागपुर की मैसर्स इकॉनोमिक एक्सप्लोसिव लिमिटेड के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर किए."


अधिकारियों के अनुसार इन ग्रेनेड का डिजाइन रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने तैयार किया है. मंत्रालय ने कहा कि इनका उपयोग बचाव और प्रहार दोनों स्थितियों में किया जा सकता है. मल्टी-मोड हैंड ग्रेनेड को डीआरडीओ/टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरीज (टीबीआरएल) द्वारा डिजाइन किया गया है और इसका निर्माण मैसर्स ईईएल, नागपुर द्वारा किया जा रहा है. ये उत्कृष्ट डिजाइन वाले ग्रेनेड हैं, जिन्हें आक्रामक और रक्षात्मक दोनों तरह की लड़ाई में उपयोग किया जा सकता है.


मंत्रालय का कहना है कि यह डीआरडीओ रक्षा मंत्रालय के तत्वावधान में सार्वजनिक-निजी साझेदारी का प्रदर्शन करने वाली अग्रणी परियोजना है, अत्याधुनिक गोला बारूद प्रौद्योगिकियों में आत्म निर्भरता को सक्षम बनाती है और इसकी सामग्री 100 प्रतिशत स्वदेशी है.


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