BSF commando training: आतंकवाद से लड़ने और देश की सीमा पर सुरक्षा के लिए तैनात देश के युवाओं का एक और दल  सीमा प्रहरी के रूप में तैयार हो गया है. जम्मू-कश्मीर के बड़गाम स्थित सीमा सुरक्षा बल के STC से 459 जवानों की कमांडो ट्रेनिंग पूरी कर ली है और अभी देश की सुरक्षा के लिए तैयार हो गए है. पिछले तीन दशक से ज्यादा समय में इस ट्रेनिंग सेंटर से 30 हज़ार जवानों को ट्रेन किया गया है, जिसमें 7000 कश्मीरी युवा भी शामिल है.



मध्य कश्मीर के बड़गाम में स्थित BSF के Subsidiary training centre में आज खुशी का माहौल है. उत्तर प्रदेश से चुनें हुए 459  जवानों ने आज यहां अपनी कमांडो ट्रेनिंग पूरी की है. ट्रेनिंग पूरी कर चुके जवानों को फिलहाल कश्मीर घाटी की सीमाओं पर तैनात किया जाएगा. आने वाले दिनों में इन्हें देश भर के सीमावर्ती इलाकों में तैनाती के लिए भेजा जाएगा.



BSF "रक्षा की पहली पंक्ति"

 

IPS, IG, BSF, कश्मीर राजा बाबू सिंह के अनुसार BSF "रक्षा की पहली पंक्ति" होने के नाते अपनी स्थापना के बाद से न केवल प्रभावी ढंग से हमारी सीमाओं की रक्षा कर रहा है, बल्कि इसने विदेशी प्रायोजित आतंकवाद और आंतरिक-आतंकवाद से लड़ने में भी अद्वितीय वीरता  साथ महत्वपूर्ण योगदान दिया है.

 

38  हफ्तों की होती है ट्रेनिंग

 

38  हफ्तों की इस ट्रेनिंग के लिए चुने गए जवानों को कश्मीर के इस सेंटर में भेजा जाता है. जवानों को आतंकवाद विरोधी ऑपरेशन के लिए खास तौर पर ट्रेन किया जाता है और हथियारों की ट्रेनिंग के साथ-साथ मार्शल आर्ट और hand to hand combat की ट्रेनिंग मिलती है. रंगरूटों को संबोधित करते हुए, मुख्य अतिथि जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल के सलाहकार राजीव राय भटनागर ने आत्मविश्वास, कौशल और चित्र पूर्ण समन्वय के उत्कृष्ट प्रदर्शन की पूरे दिल से सराहना की जो परेड का उच्च बिंदु था. उन्होंने BSF को करियर विकल्प के रूप में चुनने के लिए रंगरूटों की सराहना की और उन्हें साहस और उत्साह के साथ राष्ट्र की सेवा करने का आह्वान किया.

 

BSF सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल

 

BSF जहाँ एक तरफ देश की सीमाओं की रक्षा में जुटी है वहीं दूसरी तरफ आंतरिक सुरक्षा के काम में भी यह बल योगदान देता आ रहा है. देश का सबसे बड़ा अर्धसैनिक बल है और इनमें ज्यादातर जवान आतंकवाद और नक्सलवाद प्रभावित इलाकों के साथ-साथ देश की अंतर्राष्ट्रीय सीमाओं पर तैनात होंगे.

 

ट्रेनिंग के बाद दुर्गम सीमावर्ती इलाको में भेजे जाते हैं


देश में BSF के 7 ट्रेनिंग सेंटर है जहां जवानों को इस तरह की कमांडो ट्रेनिंग दी जा सकती है पर कश्मीर के इस ट्रेनिंग सेंटर का नंबर पहला है. जहाँ से अपनी ट्रेनिंग पूरी करने वाले ज्यादातर जवान दुर्गम सीमावर्ती इलाको में भेजे जा रहे हैं जो सीमाओं के पार होने वाले आतंकवाद और नार्को-टेरर खतरों को खत्म करने के लिए आवश्यक है और BSF चुनौतियों का सामना करने के लिए पूरी तरह से तैयार है.