प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार कार्यक्रम में देश के 49 बच्चों को प्रदान किया गया सम्मान
कल यह सभी पुरस्कार विजेता बच्चे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सुबह 11:00 बजे प्रधानमंत्री आवास में मुलाकात करेंगे.
नई दिल्ली: प्रधानमंत्री राष्ट्रीय बाल पुरस्कार 2020 में इस बार देश के 49 बच्चों को चयनित किया गया है. जिन्हें छह अलग-अलग श्रेणियों में सम्मान प्रदान किया गया. सम्मान पाने वाले बच्चों के लिए महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने केंद्रीय मंत्री स्मृति ईरानी के साथ एक इंटरेक्शन प्रोग्राम आयोजित किया. होटल अशोक में आयोजित किए गए कार्यक्रम में स्मृति ईरानी ने सभी बच्चों के साथ मुलाकात की.
इसके अलावा एक बच्चे अथर्व मनोज लोहार का जन्मदिन भी मनाया गया. स्मृति ईरानी ने कहा कि इसमें बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार का भी योगदान है. जिसकी बदौलत बच्चों ने सम्मान हासिल किया. बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार का भी सम्मान बढ़ा है इसलिए मैं बच्चों के साथ-साथ उनके परिवार को भी बधाई देती हूं. उन्होंने बच्चों को कहा कि आप देश के लाखों-करोड़ों बच्चों के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. यह अवॉर्ड आपके जीवन के लिए शुभ शुरुआत है.
सोमादीप ने परिवार को आंतकियों से बचाया
फरवरी 2018 में जम्मू के आर्मी कैंप में तीन आतंकवादी घुस आए थे. उस समय सोमादीप के पिता जो कि आर्मी में ही जवान हैं, जम्मू में तैनात थे. सोमादीप अपनी मां और बहन के साथ आर्मी कैंप के क्वार्टर नंबर 1 में मौजूद थे. आतंकियों के हमले से पूरे कैंप में अफरा-तफरी का माहौल था. अचानक आतंकी सोमादीप के घर का दरवाजा खटखटाने लगे. उस समय सोमादीप ने अपनी सूझबूझ से अपनी छोटी बहन और मां को एक साथ एक कमरे में बंद कर लिया.
आतंकियों ने पहले बम से उनके घर का मुख्य दरवाजा तोड़ दिया और अंदर की तरफ घुसे. जिस कमरे में सोमादीप और उनका परिवार था. उसे खोलने की धमकी दी, लेकिन सोमादीप ने दरवाजा अंदर से बंद कर, उसके सामने बड़ा संदूक खड़ा कर दिया और खुद भी जमीन पर लेटकर उस संदूक को दबाए रखा. आतंकी जब दरवाजा नहीं तोड़ पाए तो उन्होंने ग्रेनेड से हमला कर दिया. उस हमले में सोमादीप बुरी तरह चोटिल हो गए और उन्हें गोली लगी. आज सोमदीप अपने पैरों पर चल नहीं सकते. ठीक से बोल नहीं सकते. ग्रेनेड के कुछ अंश उनके दिमाग और फेफड़े में फंसे हुए हैं. डॉक्टरों के मुताबिक अब पूरा जीवन होना व्हीलचेयर पर ही बिताना होगा. लेकिन सोमादीप अपनी सूझबूझ से देश के करोड़ों बच्चों के लिए आदर्श है.
आधार कार्ड की मदद से बच्चों को मिलवाया
आधार कार्ड का जीवन में क्या महत्व है इसका एक बहुत बड़ा उदाहरण नोएडा के पार्थ सारथी ने सबके सामने प्रस्तुत किया है. जिन्होंने एनजीओ के माध्यम से और आधार कार्ड में उंगलियों के रिकॉर्ड के माध्यम से 21 ऐसे बच्चों को परिवारों से मिलाने का काम किया है जो किसी ना किसी कारण से अपने परिवार से बिछड़ गए थे. पार्थ सारथी को सामाजिक जीवन में उनके इस योगदान के लिए राष्ट्रीय बाल पुरस्कार से सम्मानित किया गया है. पार्थ सारथी ने बताया कि वह लगातार इस काम में सक्रिय हैं और उनका प्रयास है कि दिल्ली रेलवे स्टेशन या कहीं भी जो बच्चे अपने परिवार से अलग बिछड़ जाते हैं उन्हें उनका एक डेटाबेस तैयार करके उनको उनके परिवार से मिलाया जाए.
यात्रियों को दी मेडिकल सुविधा
13 साल की परिकुल भारद्वाज को राष्ट्रीय बाल पुरस्कार सिर्फ इसलिए दिया गया क्योंकि महज 13 साल की उम्र में परिकुल ने ऊंची पहाड़ियों में जाने वाले यात्रियों को अपने पिता की मेडिकल टीम के साथ मिलकर उन्हें जरूरी स्वास्थ्य सुविधाएं मुहैया कराई. केदारनाथ,बद्रीनाथ, कैलाश मानसरोवर जैसी कठिन यात्रा में जहां स्वस्थ व्यक्ति जाने से कतराते है. वहां परिकुल भारद्वाज ने 11 साल की उम्र में पहुंचकर वहां आने वाले यात्रियों की सेवा की और लोगों को प्रेरित किया कि आप कभी भी किसी भी उम्र में लोगों के लिए काम कर सकते हैं.
पेंटिंग के लिए मिला पुरस्कार
12 साल की रिया जैन भोपाल की रहने वाली हैं और इन्हें पेंटिंग के क्षेत्र में नाम करने के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार से नवाजा गया है. रिया जैन ने बताया कि जब वह 4 साल की थी तब से उन्होंने पेंटिंग करना शुरू किया और उन्होंने सामाजिक सरोकार से जुड़े विषयों पर बहुत सारी पेंटिंग्स बनाई. जिसके लिए उन्हें नेशनल और इंटरनेशनल पुरस्कार दिए गए. कई इंटरनेशनल मुकाबले भी रिया जीत चुकी हैं. हाल ही में उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के जन्मदिन पर उनकी मां द्वारा टीका लगाए लगाने के समय की एक तस्वीर कैनवास पर उतारी है.
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