नई दिल्ली: रेख़्ता फाउंडेशन के अधीन जश्न-ए- रेख़्ता का आयोजन 8-10 दिसम्बर 2017 को दिल्ली के मेजर ध्यानचंद स्टेडियम में किया जा रहा है. जश्न के उद्घाटन सत्र में प्रसिद्ध ग़ज़ल गायक उस्ताद रशीद खां अपनी ग़ज़ल गायकी प्रस्तुत करेंगे और प्रसिद्ध संगीत सम्राट पंडित जसराज जी अपनी उपस्थिति से सत्र की शोभा बढ़ाएंगे. इस तीन दिन के जश्न-ए- रेख्ता में देश के अलग-अलग भागों से 75 से अधिक अदीब, शायर,लेखक, कलाकार, गायक और फ़िल्म से जुड़ी हस्तियां हिस्सा ले रही हैं.
‘सदाए फ़क़ीर’ कार्यक्रम के तहत मदनगोपाल सिंह और चार यार जहां सूफ़ियाना कलाम पेश करेंगे वहीं ‘उर्दू-हिंदी युगलबंदी’ के अधीन अशोक चक्रधर और मनीष शुक्ल अपने ख्यालात का इज़हार करेंगे. ‘कुछ इश्क़ किया कुछ काम किया’ के सत्र में मशहूर शायर-गीतकार जावेद अख़्तर अदब और शाइरी के हवाले से अपने अनुभवों को साझा करेंगे.
‘मुस्लिम सामाजिक फ़िल्मों में उर्दू संस्कृती का चित्रण’ वह सत्र है जिसमें ईरा भास्कर,प्रसिद्ध फ़िल्मकार मुज़फ्फ़रअली, प्रसिद्ध फ़िल्म अभिनेत्री वहीदा रहमान और शबाना आज़मी अपने अनुभवों को साझा करेंगे. ’उर्दू-हिंदी अफ़साने की बेबाक आवाजें’ कार्यक्रम में हिंदी की प्रसिद्ध कथाकार मृदुला गर्ग, उर्दू के मशहूर कहानिकार सय्यद मुहम्मद अशरफ़, हिंदी-उर्दू के कथाकार मुशर्रफ़ आलम ज़ौकी अपनी रचनाएं प्रस्तुत करेंगे साथ ही अपने लेखकीय अनुभवों को साझा करेंगे.
‘उर्दू शाइ’री में पुराणिक कथाओं का वर्णन’ विषय पर उर्दू के लब्धप्रतिष्ठ विद्वान गोपीचन्द नारंग अपना व्याख्यान प्रस्तुत करेंगे. ‘ आज से कल की बातचीत’ कार्यक्रम में बुज़ुर्ग शाइर गुलज़ार देहलवी से मशहूर शाइर फ़रहत एहसास बातचीत करेंगे और उर्दू शाइरी में हुई तब्दीलियों के हवाले से उनके ख्यालात जानेंगे. ‘बज़्म-ए-नौबहार’ एक ऐसा प्रोग्राम है जिसमें युवा शाइरों को अपनी शाइरी पेश करने का मंच प्रदान करता है वहीं ‘खुली नशिस्त’ में कोई भी रचनाकार अपनी रचना प्रस्तुत कर सकता है.
‘उर्दू का सुरीला सफ़र’ में प्रसिद्ध फ़िल्म कलाकार और एंकर अन्नू कपूर अपने अनुभवों को साझा करेंगे, वहीं ‘मंटो के रु बरु’ कार्यक्रम में प्रसिद्ध फ़िल्मकार नंदिता दास और प्रसिद्ध हिंदी फ़िल्म अभिनेता नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी मंटो और उर्दू के हवाले से अपने ख्यालात पेश करेंगे. ‘उर्दू से मेरा रिश्ता’ में अमीश त्रिपाठी उन रिश्तों पर रौशनी डालेंगे जबकि ‘फ़िल्मी नग़मानिगारी और उर्दू’ के हवाले से प्रसिद्ध फ़िल्म गीतकार मनोज मुन्तशिर अपने तजरबात को साझा करेंगे. इसके अलावा भी और बहुत कुछ है जैसे शाइरात (महिला कवयित्रियों) का मुशायरा, ‘बज़्म-ए-सुखन;मुशायरा’, नदीम शाह और शंकर मुसाफ़िर की दास्तानगोई और प्रसिद्ध निज़ामी बंधु की क़व्वाली जश्न के ख़ास आकर्षण होंगे.
रेख्ता फाउंडेशन के नये प्रकाशनों का लोकार्पण भी जश्न का अहम हिस्सा होगा. ‘गुलों में रंग भरे,बाद-ए- नौबहार चले’ में दानिश इक़बाल के निर्देशन में आमिर रज़ा हुसैन और राधिका चोपड़ा फैज़ अहमद फैज़ की शाइरी को प्रस्तुत करेंगे. ज्ञात हो कि रेख़्ता फाउंडेशन के इस जश्न का साहित्य और कला प्रेमियों का बेसब्री से इंतज़ार रहता है. जश्न में उर्दू,हिंदी किताबों की प्रदर्शनी और हैदराबादी, मुग़लइ ,रामपुरी, अफ़ग़ानी पकवानों के स्टाल्स भी उपलब्ध होंगे. तीन दिन के इस आयोजन में हर किसी के लिए कुछ न कुछ उपलब्ध है.
रेख़्ता फाउंडेशन के संस्थापक डॉ. संजीव सराफ का कहना है, "उर्दू केवल एक भाषा नहीं है, बल्कि पूरी संस्कृति है और दिलों को जोड़ती है. जश्न-ए-रेख्ता के ज़रिये हम बताना चाहते हैं कि उर्दू कैसे साहित्य, संगीत, फिल्म, कला, रंगमंच, नृत्य, मौखिक कहानी कहने आदि को विभिन्न कला रूपों में अपने जौहर दिखाती है. जश्न के पिछले तीन संस्करण बहुत कामयाबी के साथ सम्पन्न हुए हैं और अब उम्र, लिंग, सामाजिक, आर्थिक, धार्मिक या भौगोलिक विभाजन की बंदिशों को तोड़कर सैकड़ों लोगों के बीच ज़बान, अदब और तहज़ीब की मुहब्बत को उभरते हुए हम देखते हैं. जश्न-ए-रेख्ता, अपने चौथे संस्करण में उर्दू ज़बान और तहज़ीब के ज़रिये लोगों को और करीब लाने की अपनी कोशिश जारी रखेगा."
Rekhta.org: के बारे में
रेख़्ता फाउंडेशन एक अलाभकारी सामाजिक संगठन है जो भाषाओं के संरक्षण के लिए समर्पित है. रेख्ता का उद्देश्य हमारे उपमहाद्वीप में मूल रूप से उभरते साहित्य, विशेषकर उर्दू कविता को बढ़ावा देने के लिए है. ख़ासतौर से उनलोगों के लिए जो उर्दू लिपि से परिचित नहीं हैं. पाठ्य सामग्री देवनागरी और रोमन लिपियों में उर्दू लिपि के अलावा भी उपलब्ध है.
रेख़्ता उर्दू कविता- www.rekhta.org के लिए फ़ारसी, देवनागरी और रोमन में उपलब्ध सामग्री के साथ अपना पहला मुफ्त ऑनलाइन संसाधन संचालित करता है. वेबसाइट पर पिछले कुछ शताब्दियों के 2,600 से अधिक कवियों के 25,000 से अधिक ग़ज़लों और नज़्मों को अपलोड किया गया है. पूरे विश्व में 160 से अधिक देशों से प्रति वर्ष 18 मिलियन से अधिक पाठकों को जोड़ा है. फाउंडेशन की कई अन्य गतिविधियां इस प्रकार हैं:
1) डिजिटाइजेशन / ई-बुक प्रोजेक्ट- वर्तमान में, ई-पुस्तक खंड में रीक्टाओआरओ पर 28,000 ई-बुक उपलब्ध हैं और 1,000 से ज्यादा ई-पुस्तकों को अपनी रिपॉजिटरी में हर महीने जोड़ा जा रहा है.
2) कार्यक्रम: रेख्ता दिल्ली में प्रतिवर्ष "जशन-ए-रेख़्ता" का आयोजन करता है, जो कि सभी के लिए खुला है, यह उपमहाद्वीप में तीन वर्षों के दौरान किसी भी क्षेत्रीय भाषा के लिए सबसे बड़ा सांस्कृतिक उत्सव बन गया है. फाउंडेशन ने भी देश भर में विभिन्न शहरों और कस्बों के लिए उर्दू की सुगंध और स्वाद लेने के लिए "रंग-ए-रेख़्ता" नामक एक पहल की शुरूआत की है.
3) मुफ्त में उर्दू ऑनलाइन सीखना - 'आमोजिश': फाउंडेशन ने एक निशुल्क ऑनलाइन उर्दू सीखने का पोर्टल, आमोजिश डॉट कॉम, का शुभारम्भ किया है. यह एक अपरंपरागत वैज्ञानिक दृष्टिकोण से है जो उर्दू पढ़ने योग्य बनने में मदद करता है.
4) उर्दू सीखना कार्यक्रम: फाउंडेशन ने तीन हफ्ते (25 घंटे) में कक्षा के जरिए उर्दू सीखाने का कार्यक्रम शुरू किया, जिससे कि लोग उर्दू लिपि पढ़ और लिख सकें और अविश्वसनीय रूप से उर्दू साहित्य और कविता की दुनिया की मूल लिपि में प्रवेश कर सकें. भाषा और साहित्य को समर्पित एक उन्नत स्तर का कोर्स भी लॉन्च किया गया है.