नई दिल्लीः अलग अलग राज्यों के पुलिस बल में कुल 5.31 लाख से ज्यादा पद खाली पड़े हैं. इसी तरह सीआरपीएफ और बीएसएफ जैसे केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बलों में भी 1.27 लाख से अधिक पद रिक्त पड़े हैं. पुलिस अनुसंधान और विकास ब्यूरो (बीपीआर एंड डी) ने बताया है कि भारत में विभिन्न पुलिस बलों में 2019 में 1,19,069 कर्मियों को भर्ती किया गया है.


आंकड़ों के मुताबिक, राज्यों एवं केंद्र शासित प्रदेशों के पुलिस बलों में कुल 26,23,225 पद स्वीकृत हैं जबकि सेवा में 20,91,488 पुलिस कर्मी हैं. लिहाजा विभिन्न राज्यों के पुलिस बल में एक जनवरी 2020 तक 5,31,737 पद खाली पड़े थे.इन आंकड़ों में नागरिक पुलिस, जिला सशस्त्र पुलिस, विशेष सशस्त्र पुलिस और भारतीय रिजर्व बटालियन के पद शामिल हैं.


पुलिस में महिलाओं की संख्या 10.30 फीसदी
केंद्र गृह मंत्रालय की इकाई बीपीआर एंड डी ने बताया कि पुलिस बलों में महिलाओं की संख्या 2,15,504 है जो भारत में कुल पुलिस बल का 10.30 फीसदी है. आंकड़ों के मुताबिक, केंद्रीय सशस्त्र बलों (सीएपीएफ) में कुल स्वीकृत पदों की संख्या 11,09,511 है, लेकिन एक जनवरी 2020 तक सीएपीएफ में कुल 9,82,391 कर्मी काम कर रहे थे, यानी 1,27,120 कर्मियों की कमी है. बीपीआर एंड डी ने बताया कि सीएपीएफ में महिला कर्मियों की संख्या 29,249 है जो कुल क्षमता का 2.98 प्रतिशत है.


प्रति एक लाख की आबादी पर 195.39 पुलिसकर्मियों के पद हैं स्वीकृत
प्रति पुलिसकर्मी आबादी अनुपात (पीपीपी) 511.81 है और जनसंख्या के लिहाज से स्वीकृत पुलिस अनुपात (पीपीआर) प्रति एक लाख की आबादी पर 195.39 पुलिसकर्मी हैं. पुलिस क्षेत्र अनुपात (पीएआर) प्रति 100 वर्ग किलोमीटर पर 79.80 पुलिसकर्मी है.


आंकड़ों के मुताबिक, देश में 800 पुलिस जिले हैं और स्वीकृत थानों की संख्या 16,955 है. कुल राज्य सशस्त्र पुलिस बटालियन 318 हैं और पुलिस आयुक्तालयों की संख्या 63 है. बीपीआर एंड डी ने बताया कि राज्यों एवं केंद्र शासित पुलिस के पास कुल 2,02,925 पुलिस वाहन हैं. इसके अलावा 4,60,220 सीसीटीवी कैमरे हैं.


एक जनवरी 2020 तक के हैं आंकड़े
सरकार ने 2019-20 में व्यय और पुलिस प्रशिक्षण में 1,566.85 करोड़ रुपये खर्च किए हैं. बीपीआर एंड डी ने बताया कि उसने पुलिस संगठनों से जुड़े एक जनवरी 2020 तक के आंकड़े जारी किए हैं. केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने 29 जनवरी 2020 को एक जनवरी 2019 तक का डीओपीओ जारी किया था.


संगठन एक बयान में बताया कि बीपीआर एंडडी के इतिहास में ऐसा पहली बार है कि किसी खास वर्ष का डीओपीओ उसी साल के दौरान जारी किया गया है. कड़ों के सत्यापन के लिए खासे प्रयास किए गए हैं.


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