नई दिल्लीः देश के पांच सबसे वरिष्ठ जजों चीफ जस्टिस जेएस खेहर, जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस रोहिंटन नरीमन, जस्टिस यू यू ललित और जस्टिस अब्दुल नजीर ने आज तीन तलाक पर ऐतिहासिक फैसला दिया. पांच जजों की बेंच में से तीन जजों ने इसे असंवैधानिक करार दे दिया. ऐसे में 3-2 के अनुपात के साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने तीन तलाक को खत्म कर दिया. मुस्लिम महिलाओं के हक में ये ऐतिहासिक फैसला देने वाले इन पांच जजों के बारे में देश को जरुर जाना चाहिए. ये पांच जज देश के अलग-अलग धर्म और समुदाय से आते हैं जिन्होंने इस बेहद गंभीर मु्द्दे पर मुस्लिम महिलाओं की स्थिति बदलने वाला फैसला दिया है.
चीफ जस्टिस जेएस खेहरः सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस जेएस खेहर सिख समुदाय से आते हैं. 4 जनवरी 2017 से वह देश चीफ जस्टिस हैं और इनका कार्यकाल 27 अगस्त 2017 को खत्म हो रहा है.
जस्टिस कुरियन जोसेफः जस्टिस कुरियन जोसफ ईसाई समुदाय से आते हैं. 8 मार्च 2013 को जस्टिस जोसेफ ने सुप्रीम कोर्ट के जज का कार्यभार संभाला. जोसेफ ने कहा तीन तलाक असंवैधानिक है.
जस्टिस रोहिंटन नरीमनः सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस रोहिंटन नरीमन पारसी समुदाय से आते हैं. जस्टिस नरीमन 2011 से 2013 के बीच सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया भी रह चुके हैं.
जस्टिस यू यू ललितः जस्टिस उदय उमेश ललित हिंदु समुदाय से आते हैं. सुप्रीम कोर्ट के जज से पहले वह सुप्रीम कोर्ट के सीनियर काउंसल भी रह चुके हैं. साल 2014 में उन्हें सुप्रीम कोर्ट का जज नियुक्त किया गया.
जस्टिस अब्दुल नजीरः एस. अब्दुल नजीर मुस्लिम समुदाय से आते हैं. इन्होंने फरवरी साल 2017 में सुप्रीम कोर्ट के जज का कार्यभार संभाला. इससे पहले वह कर्नाटक हाईकोर्ट में जज रह चुके हैं.
पांच जजों की इस बेंच ने मुस्लिम महिलाओं की ओर से दायर की गई सात याचिका पर सुनवाई की जिसमें 1400 साल पुरानी इस प्रथा को चुनौती दी गई थी.
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि तीन तलाक 'इस्लाम का हिस्सा नहीं' है. पांच न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने दो के मुकाबले तीन मतों से दिए अपने फैसले में कहा कि तीन तलाक को संवैधानिक संरक्षण प्राप्त नहीं है.
न्यायमूर्ति कुरियन जोसेफ, न्यायमूर्ति रोहिंटन फली नरीमन और न्यायमूर्ति उदय उमेश ललित ने कहा कि तीन तलाक इस्लाम का मौलिक रूप से हिस्सा नहीं है, यह कानूनी रूप से प्रतिबंधित और इसे शरियत से भी मंजूरी नहीं है. वहीं, प्रधान न्यायाधीश न्यायमूर्ति जे.एस. खेहर और न्यायमूर्ति एस. अब्दुल नजीर ने कहा कि तीन तलाक इस्लामिक रीति-रिवाजों का अभिन्न हिस्सा है और इसे संवैधानिक संरक्षण प्राप्त है.
क्या है SC का फैसला?
सुप्रीम कोर्ट ने बहुमत से तीन तलाक को असंवैधानिक करार दिया यानी इसे खत्म कर दिया. मुस्लिम महिलाओं के लिए ये फैसला उनकी जिंदगी बदलने वाला है. कोर्ट के इस फैसले के साथ आज से तीन तलाक निरस्त हो गया. यानी तीन तलाक एक बार में बोलकर पति अपनी पत्नी को तलाक नहीं दे सकेगा. सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ''अगर छह महीने में कानून नहीं बनाया जाता है तो तीन तलाक पर शीर्ष अदालत का आदेश जारी रहेगा.''
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि ''तीन तलाक पर 6 महीने के अंदर सरकार संसद में कानून बनाए.'' सुप्रीम कोर्ट ने राजनीतिक दलों से अपने मतभेदों को दरकिनार रखने और तीन तलाक के संबंध में कानून बनाने में केन्द्र की मदद करने को कहा है.
तीन जजों ने तीन तलाक को संविधान का उल्लंघन करार दिया
सुप्रीम कोर्ट ने अपने फैसले में कहा है कि मुस्लिमों में तीन तलाक के जरिए दिए जाने वाले तलाक की प्रथा ‘अमान्य’, ‘अवैध’ और ‘असंवैधानिक’ है. इससे पहले चीफ जस्टिस जे एस खेहर और जस्टिस एस अब्दुल नजीर जहां तीन तलाक की प्रथा पर 6 महीने के लिए रोक लगाकर सरकार को इस संबंध में नया कानून लेकर आने के लिए कहने के पक्ष में थे, वहीं जस्टिस कुरियन जोसेफ, जस्टिस आर एफ नरीमन और जस्टिस ललित ने इसे संविधान का उल्लंघन करार दे दिया.
मुस्लिम संगठगनों ने फैसले पर क्या कहा?
फैसले के बाद मुस्लिम महिला बोर्ड की वकील ने एबीपी न्यूज़ से खास बातचीत में कहा, ”इस फैसले का हम स्वागत करते हैं. हमने बहुत लंबी लड़ाई लड़ी है. तलाक-ए-बिद्दत असंवैधानिक करार दिए जाने से मुस्लिम महिलाओं की जीत हुई है.”
सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले के बाद मुस्लिम पर्सनल बोर्ड ने बैठक बुलाई है.