अहमदाबाद: कोरोना महामारी ने कई लोगों से उनके अपनों को छीन लिया, तो किसी को अनाथ बना दिया. दुर्भाग्य से कुछ ऐसे मासूम बच्चे भी हैं जिनका पालन पोषण करने वाले माता-पिता दोनों को कोरोना ने निगल लिया. वहीं अहमदाबाद में पांच भाई-बहन अपने माता-पिता को खोने के बाद दूसरी बार अनाथ हो गए. उन्होंने पहले अपने माता-पिता दोनों को खो दिया था, अब उनके पालन पोषण की जिम्मेदारी लेने वाले चाचा की भी कोरोना से मौत हो गई.
चाचा ने उन बच्चों की हिरासत पाने के लिए अदालत में कानूनी लड़ाई लड़ी थी, ताकि वह उन्हें एक बेहतर जीवन दे सकें. 19 दिसंबर 2020 में उनको बच्चों की कानूनी संरक्षकता प्राप्त हो गई थी. लेकिन इसके कुछ ही महीनों बाद उन्होंने भी उन मासूम बच्चों का साथ छोड़ दिया.
क्या है पूरा मामला
ये मामला कांतिभाई सलात का है, जो हाल ही में साबरकांठा जिले के खेड़ब्रह्मा कस्बे में जाकर बसे थे. सलात ने तीन साल पहले अपने भाई रुकेश को खो दिया था. मार्च 2020 में कोरोना से रुकेश की पत्नी भी गुजर गईं. दंपति के पांच बच्चों, जिनकी उम्र 4 से 15 साल के बीच है, उनको उनके मामा ने वलसाड में गोद लिया था.
दिसंबर 2020 में कांतिभाई सलात ने अपने भाई के बच्चों की कस्टडी का दावा करते हुए गुजरात हाईकोर्ट का रुख किया था. उनके वकील वैभव शेठ ने कोर्ट में दावा किया था कि मामा बच्चों की अच्छी तरह से देखभाल नहीं कर रहे हैं और वे बच्चे एक साल से अधिक समय से शिक्षा में भी वंचित हैं. वकील ने कहा था कि सलात अच्छी तरह से अपना जीवनयापन कर रहे हैं और कंबल बेचने के व्यवसाय से अच्छी कमाई कर लेते हैं. उनका अपना कोई बच्चा नहीं हैं और वह पांच बच्चों की अच्छी एजुकेशन व रहने की व्यवस्था सुनिश्चित करके उनकी बेहतर तरीके से देखभाल कर सकते हैं. इसके बाद हाईकोर्ट सलात को बच्चों की कस्टडी देने का अंतरिम आदेश पारित कर दिया था.
गुजरात हाईकोर्ट में अनाथ बच्चों के लिए कल्याणकारी योजनाओं के मामले पर सुनवाई चल रही है. मार्च में, अदालत ने अधिकारियों से इन बच्चों के लिए नजदीकी बोर्डिंग सुविधा देने के लिए कहा था.
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