Cash For Query: महुआ मोइत्रा के खिलाफ एथिक्स कमेटी की रिपोर्ट से असहमत विपक्षी सांसदों ने क्या तर्क दिए?
Mahua Moitra Case: कैश फॉर क्वेरी केस में लोकसभा की एथिक्स कमेटी महुआ मोइत्रा के खिलाफ जांच कर रही थी. कमेटी ने एक रिपोर्ट एडॉप्ट की है. इस पर विपक्षी सांसदों ने असहमति जताते हुए कई तर्क दिए हैं.
Cash For Query Row: 'सवाल के बदले पैसे' मामले में टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा के खिलाफ लोकसभा की एथिक्स कमेटी ने गुरुवार (9 नवंबर) को एक रिपोर्ट एडॉप्ट की. सूत्रों के मुताबिक, इस रिपोर्ट के जरिये एथिक्स कमेटी ने महुआ मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश की है. महुआ मोइत्रा का भी इसे लेकर बयान आया है. उन्होंने कहा है कि भले ही वह निष्काषित कर दी जाएं लेकिन भारी अंतर से जीतकर वापस आएंगी.
आखिर लोकसभा की आचार समिति की ओर से कैश फॉर क्वेरी मामले में महुआ मोइत्रा के खिलाफ एडॉप्ट की गई रिपोर्ट से असहमती जताने वाले विपक्षी सांसदों ने क्या तर्क दिए, आइये जानते हैं.
इन 5 विपक्षी सांसदों ने जताई असहमति
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक, पांच विपक्षी सांसदों ने एथिक्स कमेटी की ओर से रिपोर्ट के एडॉप्ट किए जाने पर असहमति जताई. इनमें कांग्रेस सांसद उत्तम कुमार रेड्डी, कांग्रेस के ही वी वैथिलिंगम, सीपीआईएम के पीआर नटराजन, बीएसपी के दानिश अली और जेडीयू के गिरधारी यादव शामिल हैं.
इन विपक्षी सांसदों ने आरोप लगाया कि एथिक्स कमेटी की सिफारिश गलत है और पूरी तरह से राजनीतिक कारणों से तैयार की गई है. इन सांसदों ने जांच प्रकिया की तुलना दिखावा और कांगारू अदालत से की.
पीआर नटराजन, दानिश अली और वी वैथिलिंगम एथिक्स कमेटी की बैठक में प्रत्यक्ष रूप से मौजूद थे, जबकि उत्तम कुमार रेड्डी ने ईमेल के जरिए अपनी असहमति जताई. रेड्डी तेलंगाना विधानसभा चुनाव लड़ रहे हैं.
क्या कहा असहमति जताने वाले सांसदों ने?
सूत्रों के मुताबिक, विपक्षी सांसदों ने अपने असहमति नोट में कहा है कि मोइत्रा के खिलाफ शिकायत में कोई दम नहीं है, यह निराधार और बगैर किसी सबूत के है, जिसका इस्तेमाल लोकसभा की एक महिला सांसद की छवि खराब करने और उन्हें बदनाम करने के लिए किया जा रहा है.
सूत्रों के मुताबिक, एक विपक्षी सदस्य ने एक समाचार चैनल की ओर से ड्राफ्ट रिपोर्ट तक पहुंचने का मुद्दा भी उठाया. सांसद ने अपने असहमति नोट में कहा कि इस जांच का निष्कर्ष और यह ड्राफ्ट रिपोर्ट पहले दिन से ही एक फिक्स मैच थी. विपक्षी सांसदों ने अपने असहमति नोट में कहा कि अध्यक्ष ने बगैर किसी सबूत के पूरी तरह से अप्रमाणित आरोप को फॉरवर्ड करने की अनुमति सांसद को क्यों दी?
उन्होंने तर्क दिया कि एथिक्स कंप्लेंट का पहला नियम यह है कि यह झूठा, तुच्छ, कष्टप्रद नहीं हो सकता और इसे अच्छे इरादे से किया जाना चाहिए. उन्होंने दावा किया कि इससे एक खतरनाक मिसाल कायम होगी और भविष्य में इच्छुक पार्टियों को सांसदों के हर तरह के उत्पीड़न का मौका मिलेगा.
कैश और गिफ्ट के आरोप पर विपक्षी सांसद क्या बोले?
कैश और गिफ्ट के आरोप पर विपक्षी सांसदों ने तर्क दिया कि शिकायतकर्ता की ओर से 26 अक्टूबर को लिखित शिकायत या मौखिक सुनवाई में किसी भी नकदी या रिश्वत दिए या लिए जाने का कोई दस्तावेजी सबूत उपलब्ध नहीं कराया गया. विपक्षी सांसदों ने यह भी पूछा कि कमेटी मोइत्रा से अपमानजनक पूछताछ के खिलाफ बोलने के लिए अली को चेतावनी देने की सिफारिश कैसे कर रही है.
विपक्षी सांसदों के हवाले से कहा गया कि हम सभी विरोध स्वरूप बाहर चले गए थे और हमारा दायित्व था कि हम अंदर अपनाई जा रही जांच की असंसदीय पद्धति के बारे में लोगों को जागरूक करें. नियम 275(2) के उल्लंघन के लिए कुंवर दानिश अली को अकेले जिम्मेदार नहीं ठहराया जा सकता क्योंकि आपने खुद बार-बार प्रेस से बात करके इस नियम का उल्लंघन किया है.
पैनल के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को अपनाने का किया समर्थन
बता दें कि बीजेपी सांसद विनोद कुमार सोनकर की अध्यक्षता वाली समिति ने गुरुवार को बैठक की और मोइत्रा के निष्कासन की सिफारिश करते हुए रिपोर्ट स्वीकार की. बैठक के बाद सोनकर ने पत्रकारों से कहा कि पैनल के छह सदस्यों ने रिपोर्ट को अपनाने का समर्थन किया और चार ने इसका विरोध किया. चार विपक्षी सांसदों ने कहा कि पैनल की सिफारिश पूर्वाग्रहपूर्ण और गलत है. सूत्रों के मुताबिक, निलंबित कांग्रेस सांसद परनीत कौर ने रिपोर्ट के समर्थन में वोट किया है.
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