नागरिकता की लिस्ट में उत्तर प्रदेश से 50 हजार लोग, पीलीभीत में 37 हजार से ज्यादा लोग के नाम
उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की तलाश भी शुरू हुई है. साथ ही गृह मंत्रालय ने प्रदेश भर से सूची भी मंगवाई है.
लखनऊ: बीते दिनों नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में जमकर हिंसा और उत्पात की घटनाएं हुईं. सरकार ने लगातार तर्क दिया कि ये कानून किसी की नागरिकता लेने के लिए नहीं बल्कि नागरिकता देने के लिए लाया गया है. नागरिकता संशोधन कानून के मूर्त रूप लेने के बाद लोगों में उम्मीद की किरण जग गई है. उत्तर प्रदेश में पीलीभीत ऐसा जिला है, जहां लगभग 37 हजार ऐसे लोग हैं, जो पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से आकर शरणार्थी के तौर पर आकर बसे थे.
सीएए लागू होने के बाद दशकों से उत्तर प्रदेश में निवास करने के बावजूद देश का नागरिक कहलाने से वंचित 50 हजार लोग जल्द ही नागरिकता पाएंगे. पड़ोसी देशों के धार्मिक अल्पसंख्यकों को इसका लाभ मिलेगा, जो अरसे से भारत का नागरिक बनने का प्रयास कर रहे हैं. बता दें उत्तर प्रदेश में पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के धार्मिक अल्पसंख्यकों की तलाश भी शुरू हुई है. गृह मंत्रालय ने प्रदेश भर से सूची मंगाई. जिसमें 50 हजार से ज्यादा नाम सामने आए हैं. जो नए कानून के तहत नागरिकता के पात्र हैं.
यूपी के पीलीभीत में ये संख्या सर्वाधिक 37 हजार के करीब है. ये लोग 1947 से 1970 के बीच यहां आए और शरणार्थियों की तरह बसे हैं. रामनगर स्थित बाजार में इनकी संख्या सबसे ज्यादा है. यह इलाका उत्तराखंड और नेपाल का बॉर्डर है. इस इलाके में कुछ लोगों ने मिठाई की दुकानें खोल रखी है.
इन्हीं में से कुछ लोगों ने बताया कि जिस वक्त वे पाकिस्तान और बांग्लादेश से आए तो उस समय वहां हिंसा हो रही थी. कुछ लोग शरणार्थी कैंप में चले गए और कुछ मजदूरी करके जीवन यापन करने लगे. अभी तक इनके पास भारत का नागरिक होने की कोई पहचान नहीं हैं. साथ ही वोट देने का अधिकार भी नहीं है.
उत्तर प्रदेश सरकार के कानून मंत्री ब्रजेश पाठक बताते हैं कि गृह विभाग के माध्यम से सभी जनपदों से ऐसे लोगों को चिन्हित करने का काम कर रहे हैं, जिन्हें नागरिकता दी जानी है. ये लोग बरसों से पीड़ित होकर भारत में शरणार्थी के रूप में रह रहे थे.पाकिस्तान-अफगनिस्तान से आए ये धार्मिक रूप से अल्पसंख्यक भारत में ऐसे ढंग का जीवन जी रहे थे जो सामान्य जीवन से भी निचले स्तर का था.
भारत सरकार के नागरिकता संशोधन कानून के बाद उत्तर प्रदेश सरकार ने इस दिशा में कदम उठाया है. उत्तर प्रदेश के सभी जनपदों खासकर लखनऊ और लखीमपुर खीरी जिलों से लगभग 30,000 लोगों का चयन किया गया है. अब इन्हें नागरिकता देने की औपचारिकताएं शुरू की जाएंगी.
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