नई दिल्ली: भारत-चीन के बीच तनातनी बढ़ती जा रही है. गलावान घाटी का खूनी संघर्ष हो या लद्दाख में मूवमेंट हर तरफ से तनाव बना हुआ है. बेठकों के कई दौर के बाद भी कोई हल नहीं निकल पाया है. बड़े पैमाने पर भबारत में चीनी उत्पादों के बहिष्कार की मुहिम चल रही है. पर इन सबके बीच चीन की सरकार के मुखपत्र अखबार ग्लोबल टाइम्स ने एक सर्वे कराया और ये पता करने की कोशिश की कि आखिर चीनी भारत के बारे में क्या सोचते हैं.
51 प्रतिशत लोग करते हैं मोदी सरकार को पसंद- सर्वे
ग्लोबल टाइम्स ने चाइना इंस्टिट्यूट्स ऑफ कंटेंपरेररी इंटरनेशनल रिलेशन्स के साथ मिलकर ये सर्वे कराया है. इस सर्वे में ये बात निकलकर सामने आई कि इस लगभग 51 प्रतिशत लोग मोदी सरकार को पसंद करते हैं, औऱ भारत को अपने पसंदीदा देश की लिस्ट में रूस, पाकिस्तान और जापान के बाद रखते हैं. जबकि 90 फीसदी लोग भारत के खिलाफ चीन द्वारा की जा रही सैन्य कार्रवाई को सही मानते हैं.चीन के 10 बड़े शहरों बीजिंग, शंघाई, शियान, वुहान, चेंगडू, झेंगझाउ समेत 10 शहरों में सर्वे कराया गया था.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता केवल देश ही नहीं बल्कि विदेशों में भी बढ़ती जा रही है. यहां तक कि चीन में भी बड़ी संख्या में लोग उनके मुरीद हैं.
पब्लिश के बाद हटाया मोदी वाला हिस्सा
मोदी सरकार से जुड़ी ये खबर खबर ग्लोबल टाइम्स के पन्ने पर थी लेकिन गुरुवार को उसे एडिट कर दिया गया. लेकिन उससे पहले बड़ी संख्या में लोग इसे देख चुके थे. ग्लोबल टाइम्स ने सर्वे का हिस्सा ट्वीट किया है, उसमें अब भी मोदी सरकार से जुड़े वो डेटा शामिल है.
सर्वे में ये भी बताया गया है कि 25 फीसदी लोग भारत-चीन के संबंधों को लेकर पॉजिटिव सोच रखते हैं. उन्हें लगता है कि आने वाले समय में भारत-चीन के संबंध सुधरेंगे. वहीं 70 फीसदी चीनियों का मानना है कि भारत जरूरत से ज्यादा सख्त रुख चीन के खिलाफ अख्तियार कर रखा है.
सर्वे में क्या निकलकर सामने आया?
- 25 फीसदी लोग भारत-चीन के संबंधों को लेकर पॉजिटिव सोच रखते हैं
- 90 फ़ीसद लोग मानते हैं कि चीन की तरफ़ से जवाबी कार्रवाई सही है.
- 26 फ़ीसद लोग भारत को अच्छे पड़ोसी के तौर पर देखते हैं.
- 70 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत जरुरत से ज्यादा चीन के खिलाफ दुश्मनी निभा रहा है.
- 9 फीसदी लोगों का मानना है कि भारत-चीन के रिश्तों में सुधार कम समय के लिए होगा.
- 25 फीसदी लोगों के लगता है दोनों देशों के संबंध लंबे समय तक मजबूत बने रहेंगे.
भारत का नाम सुनते ही आपके मन में पहला ख्याल क्या आता है? इस पर चीनियों ने का जवाब कुछ इस तरह से है-
- 31 फ़ीसद लोगों का मानना है कि 'भारतीय समाज में महिलाओं का निम्न समाजिक स्तर है
- 28 फ़ीसद लोगों का कहना है कि जनसंख्या में भारत दुनिया में दूसरे नंबर पर है.
- 22 फ़ीसद लोगों को भारत का नाम सुनते ही सबसे पहले 'भारतीय योग' याद आता है.
लद्दाख की गलवान घाटी में वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीनी सैनिकों के साथ 15 जून को हुई हिंसक झड़प में भारतीय सेना ने अपने 20 जांबाज जवानों को खो दिया था. शहीद जवानों के पार्थिव शरीर अब उनके घरों में पहुंचने लगे हैं. ये 20 शहीद देश के अलग-अलग राज्यों के थे. सबसे ज्यादा 5 जवान बिहार के रहने वाले थे.
भारत और चीन के सैनिकों के बीच लद्दाख की गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद पीएम मोदी ने अपनी कड़ी प्रतिक्रिया दी थी. उन्होंने कहा था, ‘‘जवानों का बलिदान व्यर्थ नहीं जाएगा. देश की संप्रभुता सर्वोच्च है. देश की सुरक्षा करने से हमें कोई भी रोक नहीं सकता. इस बारे में किसी को भी जरा भी भ्रम या संदेह नहीं होना चाहिए.’’
प्रधानमंत्री ने आगे कहा था, ‘‘भारत शांति चाहता है, लेकिन भारत उकसाने पर हर हाल में यथोचित जवाब देने में सक्षम में है. हमारे दिवंगत शहीद वीर जवानों के विषय में देश को इस बात का गर्व होगा कि वे मारते-मारते मरे हैं.
जनरल बिपिन रावत ने दिया बड़ा बयान
पूर्व लद्दाख में पिछले कई महीनों से जारी भारत-चीन सीमा विवाद के बीच चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) जनरल बिपिन रावत ने बड़ा बयान दिया है. बिपिन रावत ने एक अखबार से खास बातचीत में कहा है कि अगर चीन से बातचीत नाकाम होती है तो सैन्य विकल्प तैयार है. जनरल रावत ने कहा चीन से कूटनीतिक स्तर पर बातचीत चल रही है. दोनों देशों की सेनाएं भी शांतिपूर्ण तरीके से मसले को हल करने में जुटी हैं.
भारत ने अपनी तैयारियों को मजबूत किया
एलएसी पर चीन की तरफ से बढ़ाई गई गतिविधियों के मद्देनजर भारत ने भी अपनी तैयारियों को मजबूत किया है. इसके तहत फॉरवर्ड एयरबेस पर सुखोई-30 एमकेआई, मिग -29 और मिराज-2000 के बेड़े को तैनात किया है ताकि किसी भी दुस्साहस का जवाब दिया जा सके.