तिरुवनंतपुरम: हिंदू धर्म में मंदिरों में देवी-देवताओं की सेवा करने के लिए पुजारी होते हैं. ये पुजारी मंदिर की साफ-सफाई से लेकर भगवान की पूजा-अर्चना की जिम्मेदारी संभालते हैं. मंदिरों के पुजारी ब्राह्मण ही होते हैं. ब्राह्मण के अलावा दूसरी किसी भी जाति के पुजारी शायद ही किसी मंदिर में देखने को मिलें. लेकिन, केरल में हिंदू धर्म के इतिहास में पहली बार गैर-ब्राह्मणों को भी मंदिर का पुजारी नियुक्त किया गया है. कोचिन देवास्वोम बोर्ड ने 54 गैर-ब्राह्मणों को पुजारी नियुक्त किया है और इसमें भी खास बात ये है कि इन 54 पुजारियों में 7 दलित समुदाय से हैं.


देवास्वोम नियुक्ति बोर्ड ने इन पुजारियों को नियुक्त करने के लिए एक परीक्षा और इंटरव्यू का आयोजन कराया था. बोर्ड के मंत्री कदाकम्पाली सुरेंद्र ने बताया कि 54 पुजारियों की इस लिस्ट को इस तरह से तैयार किया गया था कि इसमें धांधली और भ्रष्टाचार के लिए कोई जगह न बच सके. पुजारियों की चयन प्रक्रिया में मेरिट और आरक्षण की लिस्ट तैयार की गई थी और बोर्ड ने 'संति' पद के लिए 70 अभ्यर्थियों का नाम सुझाया था.


इन 54 गैर-ब्राह्मण अभ्यर्थियों में से 31 के नाम मेरिट लिस्ट में भी मौजूद थे. संति के पद के लिए अगड़े समुदाय के केवल 16 अभ्यर्थी ही मेरिट लिस्ट में शामिल थे. लिस्ट में मौजूद इझावा समुदाय के 41 अभ्यर्थियों में से 29 का नाम इस पद के लिए मेरिट लिस्ट में शामिल था. धीवारा समुदाय के चार अभ्यर्थियों में से 2 मेरिट लिस्ट में थे. संति के पद के लिए हिंदू नादर और विश्वकर्मा जाति के भी एक-एक अभ्यर्थी चयनित हुए हैं.


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