'कठमुल्ला' वाला बयान देने वाले जस्टिस शेखर के खिलाफ विपक्ष का महाभियोग प्रस्ताव! धनखड़ के पाले में डाली गेंद
Justice Shekhar Case: विपक्ष के सांसदों का कहना है कि अगर इस महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार नहीं किया जाता है तो वो मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस शेखर यादव को हटाने की मांग करेंगे.
Impeachment Motion Against Justice Shekhar: अपने बयानों को लेकर चर्चा में आये इलाहबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ 55 विपक्षी सांसदों ने राज्यसभा सचिवालय में महाभियोग प्रस्ताव दिया है. अब राज्यसभा के चेयरमैन तय करेंगे कि इस महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करना है या नहीं.
जिन 55 राज्यसभा सांसदों ने इस महाभियोग प्रस्ताव पर हस्ताक्षर किए हैं वो सांसद इंडिया गठबंधन के तहत आने वाले अलग-अलग राजनीतिक दलों से जुड़े हुए हैं. अब जबकि यह महाभियोग प्रस्ताव राज्यसभा सचिवालय में दे दिया गया है अगला कदम होगा कि राज्यसभा के अध्यक्ष यह तय करेंगे कि इस महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार करना है या नहीं.
प्रस्ताव अगर स्वीकार हुआ तो क्या होगा?
राज्यसभा अध्यक्ष जगदीप धनखड़ अगर प्रस्ताव स्वीकार करते हैं तो फिर इस मामले के लिए एक न्यायिक समिति का गठन किया जाएगा. जिसके सामने जस्टिस शेखर यादव के बयान से जुड़े तमाम तथ्य रखे जाएंगे साथ ही जस्टिस शेखर यादव को भी न्यायिक आयोग के सामने आकर अपनी बात रखने का मौका मिलेगा.
इसके बाद समिति अपनी रिपोर्ट राज्यसभा सचिवालय को सौंपेगी और उसके बाद संसद के दोनों सदनों में इस रिपोर्ट को रखा जाएगा. संसद के दोनों सदनों में उस पर चर्चा होगी और संसद में मौजूद सदस्यों की दो तिहाई संख्या के साथ उस प्रस्ताव को पास करना होगा. यह कार्रवाई पूरी होने के बाद ही महाभियोग के जरिए जस्टिस शेखर यादव को उनके पद से हटाया जा सकता है.
प्रस्ताव पास नहीं हुआ तो किया जाएगा सुप्रीम कोर्ट का रुख
हालांकि विपक्ष के सांसदों का कहना है कि अगर राज्यसभा के अध्यक्ष इस महाभियोग प्रस्ताव को स्वीकार नहीं करते तो उनका अगला कदम इस मामले को लेकर सुप्रीम कोर्ट पहुंच कर सुप्रीम कोर्ट से जस्टिस शेखर यादव को हटाने की मांग करना होगा.
गौरतलब है कि इलाहाबाद हाई कोर्ट के जस्टिस शेखर यादव ने हाल ही में बयान देते हुए कहा था कि देश अल्पसंख्यक नहीं बहुसंख्यकों के आधार पर चलेगा. देश में ऐसा कोई कानून सही नहीं है जो किसी विशेष धर्म को ध्यान रखते हुए तैयार किया गया हो. जस्टिस शेखर यादव के इन बयानों पर सुप्रीम कोर्ट भी संज्ञान ले चुका है और इस बाबत इलाहाबाद हाईकोर्ट की रजिस्ट्री से जानकारी मांगी है.
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