नई दिल्ली: कल मोदी सरकार ने बजट वर्ष 2017 का बजट पेश किया था. केंद्र की बीजेपी सरकार ने इस बजट में भले ही 5 चुनावी राज्यों के लिए सीधे तौर पर कोई बड़ा एलान नहीं किया. लेकिन कांग्रेस का आरोप है कि ये नामुमकिन है कि देश के बजट का असर विधानसभा चुनाव पर न पड़े. मोदी सरकार ने जिस तरह अपने बजट में किसान, गांव और गरीबों पर जोर दिया है, उसका सीधा रिश्ता चुनाव वाले 3 राज्यों से है. करीब से देखने पर साफ है कि बजट में उन सभी बातों पर जोर दिया गया है जिससे सीधा लाभ बीजेपी को विधानसभा चुनाव में मिल सकता है.
पीएम ने रखा बजट का सार देश के सामने
बजट पेश होने के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक लाइन में पूरे बजट का सार देश के सामने रख दिया. किसान, गांव और गरीब का ये बजट 5 राज्यों में विधानसभा चुनाव के ठीक पहले पेश किया गया. वित्त मंत्री अरुण जेटली ने इस बात का पूरा ख्याल रखा कि उनके भाषण में कहीं भी उन राज्यों का जिक्र न आए जहां चुनाव होने हैं लेकिन बिना नाम लिए ही वित्त मंत्री ने भी बड़ी ही चतुराई से ये साफ कर दिया कि उनका ये बजट किसके लिए है.
बजट में सीधे तौर पर चुनावी राज्यों के लिए भले ही कोई घोषणा नहीं की गई लेकिन जो घोषणाएं हुईं क्या वो 5 राज्यों के चुनाव में बीजेपी को फायदा पहुंचा सकती हैं? ये सवाल हम इसलिए उठा रहे हैं क्योंकि किसान गांव और गरीब के इस बजट का सीधा रिश्ता 3 बड़े चुनावी राज्यों यानी उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब के किसान, गांव और गरीब से है. चुनाव राज्यों से बजट की घोषणाओँ के कनेक्शन की कहानी जानने से पहले इन आंकड़ों पर गौर कीजिए.
चुनावी राज्यों का बजट कनेक्शन
- वित्त मंत्री ने 2017-18 के लिए कुल 21.46 लाख करोड़ का बजट पेश किया.
- इसमें से लगभग आधा यानी 10 लाख करोड़ रुपए किसानों के कर्ज के लिए रखा गया है.
- वहीं गावों के लिए कुल 1.87 लाख करोड़ का बजट अलग से है, ये पिछले साल की तुलना में 24 प्रतिशत ज्यादा है.
- इसके अलावा 3.96 लाख करोड़ रुपए का बजट बुनियादी ढांचे के विकास के लिए रखा गया.
- यानी कुल मिलाकर करीब 16 लाख करोड़ रुपए सिर्फ गांव, किसान और गरीबों की जरूरतों के लिए रखे गए हैं.
पंजाब में परसों से शुरु होनी है वोटिंग
पंजाब में परसों वोटिंग है. जाहिर तौर पर चुनाव से ठीक पहले पेश बजट में किसान और गांवों के लिए सरकार ने जो दरियादिली दिखाई है. उसका सीधा निशाना पंजाब के किसान और ग्रामीण आबादी भी हो सकती है. 2011 की जनगणना के मुताबिक पंजाब की कुल आबादी का करीब 63 फीसदी ग्रामीण यानी गांवों में रहने वाले हैं. वहीं खेती और उससे जुड़े कामों पर निर्भर रहने वाले लोगों की संख्या करीब 40 फीसदी है. ऐसे में कुल बजट के आधे से ज्यादा यानी करीब 12 लाख करोड़ रुपए किसान और गांवों के लिए रखे जाने की घोषणा पंजाब के वोटरों पर सीधा असर डाल सकती है.
उत्तराखंड में 90 फीसदी से ज्यादा लोग हैं खेती पर निर्भर
2011 की जनगणना के मुताबिक उत्तराखंड की में कुल 69.45 प्रतिशत आबादी गावों में रहती है. लगभग 90 फीसदी से ज्यादा लोग खेती पर निर्भर हैं. यही हाल देश के सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश का है जहां गावों में रहने वाली आबादी 77 प्रतिशत है और लगभग 66 फीसदी लोग खेती पर निर्भर हैं. यानी किसान और गांवों के बजट के जरिए मोदी सरकार ने 5 में से 3 बड़े चुनावी राज्यों पंजाब, उत्तराखंड और उत्तर प्रदेश के वोटरों को एक ऐसा गुप्त बॉन्ड दिया है .जिसमें सीधे भले ही कुछ नहीं कहा गया लेकिन इस बात से भी इंकार नहीं किया जा सकता कि बजट की कई बड़ी घोषणाएं उन्हें ध्यान में रखकर की गई हों.
पूर्व वित्त मंत्री और कांग्रेसी नेता पी चिदंबरम का कहना है कि देश के बजट का कुछ न कुछ असर तो पड़ता ही है. सिर्फ यही नहीं टैक्स से जुड़े बदलावों पर नजर डालिए तो साफ है कि अमीरों पर बोझ और गरीबों को राहत का लक्ष्य था.
अमीरों पर बढ़ा बोझ, गरीबों को राहत
- छोटी कंपनियों पर टैक्स का बोझ कम किया गया.
- 50 करोड़ तक सालाना टर्नओवर वाली कंपनियों पर टैक्स 30 प्रतिशत से घटाकर 25 प्रतिशत कर दिया गया.
- यानी उत्तर प्रदेश और पंजाब में छोटा कारोबार और व्यापार करने वाले ज्यादातर लोगों को इसका फायदा मिलेगा.
- 50 लाख से 1 करोड़ तक की आयवालों पर 10 प्रतिशत का सरचार्ज.
- राजनीतिक पार्टियों के 2000 से ज्यादा कैश चंदा लेने पर रोक.
सरकार कर रही है छवि बदलने की कोशिश
अमीरों पर टैक्स लगाकर मोदी सरकार जहां सूटबूट की सरकार वाली अपनी छवि को तोड़ने की कोशिश कर रही है वहीं राजनीतिक पार्टियो के चंदे पर लगाम लगाकर भी एक बड़ा संदेश देने की कोशिश की गई है. ये संदेश 5 राज्यों के उन वोटरों के लिए भी हो सकता है जिन्होने भ्रष्टाचार के खिलाफ लड़ाई के नाम पर नोटबंदी के फैसले को स्वीकार किया. राजनीतिक पार्टियों पर लगाम कसकर मोदी सरकार इन लोगों को ये जताना बताना चाहती है कि भष्ट्राचार के खिलाफ लड़ाई में वो किसी को भी नहीं बख्शेगी. मोदी का ये मंत्र 5 राज्यों तक कितना पहुंचा इसका पता 11 मार्च को ही चल पाएगा.