नई दिल्ली: यूपीए सराकर के दस साल के शासन के बाद बड़े बड़े वादे कर सत्ता में आई मोदी सरकार अपने चार साल का कार्यकाल पूरा कर रही है. मोदी सरकार के काम और तरीकों को लेकर देश में बड़ी बहस छिड़ी हुई है. कोई कह रहा है कि प्रधानमंत्री मोदी ने अपने वादे पूरे किए और अभी भी उनके लिए काम कर रहे हैं. कोई कह रहा है कि प्रधानमंत्री के कथनी और करनी में अंतर है. इस बीच एक संस्था ने मोदी सरकार के चार साल पर सर्वे किया है. इस सर्वे के नतीजे मोदी सरकार और बीजेपी को रहत देने वाले हैं. सर्वे में मोदी सरकार फर्स्ट डिवीजन से पास हुई है.


कम्यूनिटी सोशल मीडिया प्लैटफॉर्म लोकल सर्किल्स के सर्वे में हर 10 में से 6 लोगों का मानना है कि मोदी ने अपने वादे पूरे करने में कामयाब रही. सर्वे में शामिल लोगों में तीन चौथाई ने भारत की पाकिस्तान के खिलाफ नीति का समर्थन किया है. सर्वे के मुताबिक 54% लोग मानते हैं कि टैक्स टेररेज़म घटा है और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) योजना सफल रही है.


सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 56% लोग मान रहे हैं कि मोदी सरकार अपने वादों को पूरा करने के लिए सही ट्रैक पर जा रही है. हालांकि पिछले साल इसी सर्वे में 59% लोगों की यही राय थी. यानी एक साल में तीन प्रतिशत की गिरावट आई है. 2016 में यही आंकड़ा 64% यानी सरकार की विश्वसनीयता में लगातार कमी आ रही है.


सर्वे में मोदी सरकार को सबसे बड़ी राहत जीएसटी और नोटबंदी के मोर्चे पर मिली है. 32 प्रतिशत लोगों का कहना है कि जीएसटी के बाद उनका रोजमर्रा का खर्च घटा है. 60 प्रतिशत लोगों का मानना है कि कीमतों में कोई बदलाव नहीं हुआ.


सर्वे का एक आंकड़ा 2019 से पहले प्रधानमंत्री मोदी के माथे पर चिंता बढ़ा सकता है. सर्वे में शामिल लोगों ने शिकायत की कि सांसद अपने क्षेत्र में समय नहीं दे रहे हैं. बता दें प्रधानमंत्री मोदी लगातार सांसदों के साथ बैठक कर इस बात जोर देतें हैं कि अपने क्षेत्र की जनता के साथ संपर्क बनाएं.