कौन हैं विक्टोरिया गौरी, जिन्हें हाई कोर्ट का जज बनाए जाने की सिफारिश पर मचा हंगामा, अब 58 वकीलों ने समर्थन में लिखा पत्र
सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम (Supreme Court Collegium) ने एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाने की सिफारिश की है. इसे लेकर वकीलों में दो फाड़ हो गया है.
Supreme Court Collegium: एडवोकेट लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी को मद्रास हाईकोर्ट का जज बनाए जाने की कॉलेजियम की सिफारिश के विरोध के बाद अब उनके समर्थन में मद्रास हाई कोर्ट की मदुरै खंडपीठ के 58 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को पत्र लिखा है. पत्र में मद्रास हाई कोर्ट के वकीलों के समूह के गौरी को जज बनाए जाने के विरोध को खारिज किया गया है.
58 वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट को भेजे अपने पत्र में कहा है कि भारत के सहायक सॉलिसिटर जनरल (मदुरै बेंच) के रूप में गौरी का कानून के विकास में योगदान रहा है. साथ ही ये भी कहा गया है कि पहले भी उच्च न्यायालय के अधिवक्ताओं को न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया है, जिनकी राजनीतिक पृष्ठभूमि रही है.
21 वकीलों ने किया था विरोध
इसके पहले मद्रास हाईकोर्ट के 21 वकीलों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखा था, जिसमें हाई कोर्ट जज के रूप में लक्ष्मण चंद्र विक्टोरिया गौरी की नियुक्ति की सुप्रीम कोर्ट कॉलेजियम की सिफारिश वाली फाइल वापस भेजने का आग्रह किया गया था.
वकीलों ने लिखा था कि विक्टोरिया गौरी ने अल्पसंख्यक समुदाय को लेकर दुर्भावना भरी टिप्पणी की थी. वकालों ने आरोप लगाया था कि ये टिप्पणियां गौरी के प्रतिगामी विचारों और गहरी धार्मिक कट्टरता को दिखाती हैं, जो उन्हें हाई कोर्ट के जज के रूप में नियुक्ति के अयोग्य बनाती हैं.
पुराने इंटरव्यू बने मुसीबत
वकीलों ने विक्टोरिया गौरी के यूट्यूब चैनल पर आरएसएस को दिए एक इंटरव्यू का भी हवाला दिया जिसका शीर्षक है- 'राष्ट्रीय सुरक्षा और शांति को किससे ज्यादा खतरा? जिहाद या क्रिश्चियन मिशनरी?". इस इंटरव्यू में उन्हें क्रश्चियनिटी को 'व्हाइट टेरर' कहते सुना जा सकता है. इसके साथ ही 'भारत में ईसाई मिशनरियों द्वारा सांस्कृति नरसंहार- विक्टोरिया गौरी', शीर्षक से एक और वीडियो का भी जिक्र करते हुए कहा गया है कि वह अल्पसंख्यकों के प्रति विरोध की भावना रखती हैं.
कौन हैं विक्टोरिया गौरी?
नियुक्ति के विरोध में लिखे गए पत्र में वकीलों ने आरोप लगाया है कि विक्टोरिया गौरी को 2010 में बीजेपी की एक प्रेस विज्ञप्ति में महिला मोर्चा का राष्ट्रीय सचिव बताया गया था. इसके साथ ही उनकी एक ट्विटर आई भी लिंक की गई है जो अब मौजूद नहीं है. इसमें गौरी को बीजेपी कार्यकर्ता के रूप में दिखाया गया है.
गौरी का नाम उस 5 एडवोकेट में शामिल है जिन्हें मद्रास हाई कोर्ट का जज बनाने के लिए कॉलेजियम ने सिफारिश की है. उनके सोशल मीडिया एकाउंट और यूट्यूब पर उपलब्ध भाषणों के अनुसार वह बीजेपी की महिला विंग की राष्ट्रीय सचिव रही हैं. हालांकि, वर्तमान में वह बीजेपी से जुड़ी हैं या नहीं, इस बारे में जानकारी नहीं है.
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