नई दिल्ली: दिल्ली पुलिस के 6 अधिकारियों को उत्कृष्ट जांच के लिए इस साल केंद्रीय गृह मंत्री मेडल से नवाजा गया है. इस मेडल की शुरुआत 2018 में की गई थी. इसका उद्देश्य जांच के दौरान पुलिस हाई प्रोफेशनल स्टैण्डर्ड अपनाए जाना था. जिन 6 अधिकारियों को मैडल से सम्मानित किया गया है, उनमें इंस्पेक्टर सतीश चंद्र (मृत्युपरांत), एसीपी संदीप लाम्बा, महिला इंस्पेक्टर डोमनिका पूर्ती, इंस्पेक्टर अखलेश्वर कुमार राय, गुरमीत सिंह कटारिया और वीरेंद्र सिंह शामिल हैं.


जानिए सभी के बारे में-


इंस्पेक्टर सतीश शर्मा- 19 सितंबर 2008 को बाटला हाउस में स्पेशल सेल और इंडियन मुजाहिदीन के आतंकियों के बीच मुठभेड़ हुई थी, जिसमें दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर मोहन चंद शर्मा शहीद हुए थे. जांच के दौरान शहजाद उर्फ पप्पू को गिरफ्तार किया गया था, जिसकी जांच साइंटिफिक और पेशेवर तरीके से की गई थी. सुप्रीम कोर्ट और दिल्ली हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस और राष्ट्रीय मानव अधिकार आयोग ने भी जांच की तारीफ की थी. इसलिए इंस्पेक्टर सतीश शर्मा को इस मैडल से सम्मानित किया गया है.


इंस्पेक्टर वीरेन्द्र सिंह- डीडीए लैंड पूलिंग के मामले में एक कंपनी ने लगभग 250 से ज्यादा लोगों को धोखा दिया और उनसे ₹30 करोड़ की ठगी की. इस मामले की जांच इंस्पेक्टर वीरेंद्र सिंह को सौंपी गई .जिन्होंने जांच के दौरान यह मालूम लगा लिया कि पैसा शेल कंपनियों के माध्यम से ट्रांसफर किया गया है. 30 में से 28.21 करोड़ रुपए का हिसाब जांच में पता लगा लिया गया. इस मामले में आरोपी कंपनी मैसर्स एरो सिटी द्वारका मल्टीस्टेट सीजीएचएस लिमिटेड ने दिल्ली हाईकोर्ट और सुप्रीम कोर्ट में भी एंटीसिपेटरी बेल दायर की थी, लेकिन दोनों ही अदालतों ने उसकी जमानत को खारिज कर दिया.


महिला इंस्पेक्टर डोमनिका- पश्चिम विहार वेस्ट में 12 साल की एक बच्ची पर वार कर उसे गंभीर रूप से घायल किया था. जिसमें आरोपी का सुराग किसी के पास नहीं था. इस मामले की जांच में इंस्पेक्टर डोमनिका ने साइंटिफिक जांच के साथ साथ कई सीसीटीवी फुटेज खंगालने के बाद मंगोलपुरी से आरोपी को गिरफ्तार किया था.


अन्यों के बारे में-


दिल्ली दंगो में दर्ज अलग अलग मामलों की जांच और कई आरोपियों को गिफ्तार करने के लिए एसीपी संदीप लाम्बा, इंस्पेक्टर गुरमीत सिंह कटारिया और अखलेश्वर राय को इस मैडल से सम्मानित किया गया है. जिन मामलों की जांच की गई उनमें हवलदार रत्न सिंह की हत्या, एसीपी गोकलपुरी और डीसीपी शाहदरा पर हिंसक भीड़ द्वारा हमला कर उन्हें घायल करने के अलावा निगम पार्षद ताहिर हुसैन के इन दंगों में शामिल होना और आईबी के कर्मचारी अंकित शर्मा की हत्या के आरोपियों को पकड़ना था.


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