तिरुवनंतपुरम/कोलकाता: नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के खिलाफ सबसे बड़े विरोध प्रदर्शन के रूप में मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी के नेतृत्व वाले लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) द्वारा रविवार को कासरगोड से तमिलनाडु की सीमा तक फैली मानव श्रृंखला का आयोजन किया गया, जिसमें लगभग 70 लाख लोगों ने भाग लिया. इसमें हिस्सा लेने के लिए लोग बड़ी संख्या में घरों से बाहर आए. दोपहर साढ़े 3 बजे परीक्षण के बाद, कासरगोड से तिरुवनंतपुरम तक लगभग 600 किलोमीटर की दूरी पर राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे 4 बजे से श्रृंखला बननी शुरू हुई.
पहले संविधान की प्रस्तावना पढ़ी गई और बाद में मौजूद सभी लोगों ने शपथ लेते हुए संविधान की रक्षा के लिए अपनी जान न्यौछावर करने की बात कही. मानव श्रृंखला के जरिए विरोध की परिकल्पना माकपा की थी. कासरगोड के उत्तरी बिंदु पर एस. रामचंद्रन पिल्लई श्रृंखला में पहले स्थान पर थे, वहीं दक्षिणी छोर पर कलियाकेवला में तमिलनाडु सीमा पर पार्टी सदस्य एम.ए. बेबी मौजूद थे. बेबी ने कहा, "केरल ने हमेशा से ही कई प्रदर्शन किए हैं और देश को दिखाया है कि मजबूत विरोध प्रदर्शन के माध्यम से क्या हो सकता है."
कोलकाता में लोगों ने 11 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई
केरल के अलावा हजारों लोगों ने तिरंगा लहराते हुए कोलकाता शहर के उत्तर से दक्षिण की तरफ 11 किलोमीटर लंबी मानव श्रृंखला बनाई. इन लोगों ने सीएए को रद्द करने की मांग की व भारतीय संविधान को कायम रखने का संकल्प लिया. किसी भी राजनीतिक संबद्धता या बैनर के बगैर प्रतिभागी दोपहर से पहले शहर के 15 स्पोर्ट्स में एकत्र हुए. यह इनके जमा होने के लिए निर्धारित जगह थी और घड़ी में ठीक 12 बजे एक दूसरे के हाथ पकड़कर इन्होंने मानव श्रृंखला बनाई.
शीर्ष पेशेवरों जैसे डॉक्टर, वकील, शिक्षक व प्रोफेसर से लेकर दूसरे के घरों में खाना बनाने व बर्तन धोने से जीविका कमाने वाले लोगों ने, सभी ने इसमें भाग लिया. इसमें कुछ के हाथों में तिरंगा था, जबकि अन्य के सीने पर राष्ट्रीय ध्वज लगा हुआ था. 15 मिनट की मानव श्रृंखला उत्तरी कोलकाता के श्यामबाजार में प्रसिद्ध क्रांतिकारी नेताजी सुभाष चंद्र बोस की प्रतिमा से दक्षिण में जादवपुर विश्वविद्यालय तक फैली हुई थी. सभी समुदायों के एक धार्मिक मंच युनाइटेड इंटरफेथ फाउंडेशन ऑफ इंडिया ने सिटिजंस ऑफ कोलकाता के तरफ से इसका आयोजन किया था.