63,000 animals died on rail tracks: भारतीय रेलवे पिछले कुछ दिनों से आधुनिकता पर जोर दे रहा है. मोदी सरकार में नई-नई हाई स्पीड ट्रेनें लॉन्च की जा रही हैं. देश में अब 200 किमी. प्रति घंटे की रफ्तार से चलने वाली वंदे भारत ट्रेनें शुरू हो चुकी हैं. हालांकि हाई स्पीड ट्रेनों से रेलवे ट्रैक पर जानवरों के मरने का आंकड़ा काफी बढ़ गया है. CAG ने इस पर चिंता भी जताई है. 


CAG की रिपोर्ट के मुताबिक, 2017-18 से 2020-21 के बीच रेल दुर्घटनाओं में 63,000 से अधिक जानवरों की मौत हो चुकी है. इनमें चार एशियाई शेर और 73 हाथी भी शामिल हैं. कैग ने इस तरह की घटनाओं को रोकने के लिए केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय के साथ-साथ रेलवे की ओर से उठाए गए कदमों पर चिंता जताई है. 


कैग ने रेलवे को दी यह सलाह


पीटीआई के अनुसार, कैग ने रेल दुर्घटनाओं पर पिछले महीने संसद में अपनी एक रिपोर्ट पेश की थी. इसी रिपोर्ट में इस बात का जिक्र किया गया है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में भारतीय रेल को पर्यावरण और वन मंत्रालय और रेल मंत्रालय की ओर से जारी की गई सलाह और नियमों का ईमानदारी से पालन करने की सलाह दी है. रेलवे ने कहा, "इससे ट्रेन हादसों में जानवरों की मौत को रोका जा सकता है और बदले में ट्रेन के पटरी से उतरने का खतरा भी समाप्त हो जाएगा."


3 साल में ट्रेन से 63,345 जानवर कटे


कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि पिछले तीन वर्षों में 4 एशियाई शेरों और 73 हाथियों सहित 63,345 जानवरों की रेल से कटकर दर्दनाक मौत हो चुकी है. कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि साल 2010 में पर्यावरण एवं वन मंत्रालय और रेल मंत्रालय की ओर से हाथियों से जुड़े ट्रेन हादसों को रोकने के लिए एक संयुक्त सलाह जारी की गई थी. इसके बाद भी इतनी बड़ी संख्या में जानवरों के कटने पर चिंता जताई गई है. 


'10 साल बाद भी नियमों का पालन नहीं'


कैग ने अपनी रिपोर्ट में कहा, "10 साल बीत जाने के बाद भी नियमों और सलाह का पूरी तरह से पालन नहीं किया गया." कैग ने कहा, "रेलवे इंजीनियरों के साथ किए गए संयुक्त निरीक्षण के दौरान संवेदनशील स्थानों पर बाड़ लगाने, साइनबोर्ड और निगरानी टावर दिखाई नहीं दिए. इसका मतलब यह है कि रेलवे प्रशासन की ओर से एशियाई शेरों की सुरक्षा के लिए कार्रवाई में कमी थी." रेल मंत्री अश्विनी वैष्‍णव ने भी संसद में कहा था कि ट्रेन की चपेट में आने से हर साल 50 से अधिक जानवरों की मौत हो रही है. 


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