मुंबई: लापता लोगों को ढूंढने में मुंबई पुलिस असमर्थ सी लग रही है और एक के बाद एक लापरवाही भी सामने आती दिखाई दे रही है. हाल ही में एक और मामला सामने आया जिसमें 71 साल की महिला जो कि फरवरी से ही लापता है उसे ढूंढने में पुलिस अब भी नाकामयाब ही दिखाई दे रही है. महिला का नाम उमा शशांक सरकार है जो कि अपने परिवार के साथ मुंबई से सटे ठाणे के कासरवड़वली इलाके में रहती थी.


उमा के लड़के दीपांकर सरकार ने बताया कि उनकी मां 13 फरवरी 2021 की शाम 8 बजकर 30 मिनट पर अचानक से घर से निकल गयी. उसके बाद से ही अबतक उनका पता नही लग पाया है. दीपांकर ने बताया कि उनकी मां एयर इंडिया में काम करती थी और तब वे लोग मुंबई के सांताक्रुज इलाके में रहते थे. उन्हें लगा कि उनकी मां शायद मुंबई गयी होंगी इसी वजह से वे अपने दोस्तों की मदद से उन्हें मुंबई और आसपास के इलाकों में ढूंढने लगे. सोशल मीडिया पर लोगों से गुहार लगाने लगे. इसके साथ-साथ उन्होंने इस बात की जानकारी कासरवड़ावली पुलिस स्टेशन को भी दी. लेकिन किसी को कोई क्लू नहीं मिल रहा था. सीसीटीवी फुटेज की जांच की जिसमें उमा एक ऑटो रिक्शा में बैठकर जाते हुए दिखाई दी थी.


पुलिस ने नहीं निभाई जिम्मेदारी
इसी बीच 22 फरवरी को दीपांकर को उनके दोस्त ने उनकी मां का फोटो भेजा और कहा कि उन्हें यह फोटो किसी कॉन्स्टेबल के पास से आया है. उनकी मां को खेरवाड़ी पुलिस स्टेशन के पास कलानगर में देखा गया था. इसके बाद दीपांकर अपने भाई के साथ वहां पहुंचा तब स्टेशन हॉउस में बैठे शख्स ने उन्हें सुबह डॉक्युमेंट्स लेकर आने को कहा. लेकिन जब वे लोग सुबह पहुंचे तो पुलिस ने कहा कि उनकी मां को 16 फरवरी के दिन ही हमने देखा था उन्हें सुबह 10 बजे के करीब पुलिस स्टेशन लाया गया और उनसे पूछताछ की थी. उन्होंने अपना नाम बताया और वकोला का एयर इंडिया कॉलोनी का पता बताया. लेकिन वहां जाकर पता लगाया तो पता चला कि अब वहां कोई नहीं रहता है.


इसी बीच उमा न जाने कब पुलिस स्टेशन से निकल गयी पता ही नहीं चला. पुलिस ने अपनी सफाई में बताया कि जिस समय उमा वहां थी उसी समय एक आईपीसी की धारा 307 का मामला उनके सामने आ गया था यानी कि इसी पुलिस स्टेशन की ज्यूरिसडिक्शन में किसी ने किसी को जान से मारने की कोशिश की थी. जिसके बाद सारे अधिकारी हॉस्पिटल, स्पॉट यहां वहां जाने लगे. उसी दौरान उमा न जाने कब निकल गयी पता ही नहीं चला.


जोन 8 के डीसीपी मंजूनाथ सिंगे ने कहा, हमने हर कोशिश की है ताकि उमा जी का पता लगाया जा सके. हमने शहर के हर अस्पताल, रेलवे स्टेशन, पुलिस स्टेशन को इस बात की जानकारी दी है और इस मामले में हमने एक अधिकारी को जिम्मेदारी सौंपी है और उसे इसपर ही काम करने को कहा है.


क्या थी लापरवाही?
जब भी कोई व्यक्ति लापता होता है तो उस व्यक्ति के बारे में जानकारी राज्य के सारे पुलिस वालों को देने के लिए एक सिस्टम बनाया गया है जिसका नाम सीसीटीएनएस (क्राइम एंड क्रिमिनल ट्रेकिंग नेटवर्क एंड सिस्टम्स) है. इस सिस्टम को बनाने के लिए सरकार ने बहुत सारे पैसे भी लगाए हैं.


यह काम बड़ा ही आसान है अगर कोई भी लापता व्यक्ति पुलिस को मिले तो वो अपने मोबाइल या फिर सिस्टम में जाकर ये देख सकता है कि उस उम्र की महिला या पुरुष की कहीं गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज तो नहीं है. और अगर उसे मिलती है तो उस पुलिस स्टेशन में संपर्क कर उसे हैंडओवर करना होता है. इस काम के लिए हर पुलिस स्टेशन में एक मिसिंग विभाग भी होता है.


दीपांकर ने बताया कि जब उन्होंने पुलिस से पूछा तो उन लोगों ने इन्हें जवाब दिया कि उन्होंने मिसिंग पोर्टल पर चेक ही नहीं किया क्योंकि इंटरनेट धीमा चल रहा था. मुंबई पुलिस अब उमा की तलाश में हर जगह जांच कर रही है. साथ ही लोगों से भी अपील की है कि अगर किसी को यह महिला दिखे तो मुंबई पुलिस को इस बात की सूचना दी जाए.


इसके पहले भी ऐसी लापरवाही हुई है!
दिमागी रूप से कमजोर जिस आयुषी मजेठीया की तलाश में कुछ दिनों से मुंबई पुलिस गंभीरता दिखा रही थी, दरअसल पुलिस के इसी लेटलतीफी के चलते आयुषी की मौत की खबर मिली. मुंबई की चेम्बूर पुलिस में आयुषी के अपहरण का मामला दर्ज था और 3 मई को चेम्बूर पुलिस को पता चला कि आयुषी की लाश 27 मार्च के दिन वसई के एक गांव में मिली थी जिसका पोस्टमार्टम करने के बाद उसी दिन उसे दफना भी दिया गया था.


आयुषी कैसे हुई थी लापता?
आयुषी की मां गीता मजेठीया ने बताया था कि 25 मार्च को वो अपनी बेटी के साथ चेम्बूर के मंदिर गयी थी और वापस आते समय वो लापता हो गयी. जिसके बात उन्होंने उसकी तलाश हर जगह की पर कही पता नही लगने पर चेम्बूर पुलिस स्टेशन में मिसिंग की कंप्लेन लिखवाई. भाई का आरोप है कि पुलिस ने 17 दिन तक एफआईआर नहीं लिखी थी.


आयुषी के भाई निशांत ने बताया कि चेम्बूर पुलिस ने शुरुवात में बहुत लापरवाही दिखाई वो एफआईआर तक रजिस्टर नहीं कर रहे थे. निशांत ने पुलिस को बताया था की उनकी बहन की दिमागी हालात ठीक नहीं है उसे खास खयाल रखने की जरूरत पड़ती है, इसके बावजूद चेम्बूर पुलिस मामले दर्ज करने में आनाकानी कर रहा था.


जिसके बाद निशांत ने मुंबई पुलिस कमिश्नर को पत्र लिखा और तब जाकर उन्हें जॉइंट कमिश्नर लॉ एंड ऑर्डर से मुलाकात करने का मौका मिला. उनके आदेश के बाद चेम्बूर पुलिस ने 10 अप्रैल को आईपीसी की धारा 363 (अपहरण) के तहत अज्ञात शख्स के खिलाफ मामला दर्ज किया और जांच में तेजी लाई. निशांत ने बताया कि अगर पुलिस ने पहले ही मामला दर्ज किया होता और आयुषी को ढूंढने की कोशिश की होती तो उनकी बहन को बचाया जा सकता था.


जीआरपी की हेल्पलाइन किसी काम की नही
निशांत ने बताया कि जब उन्हें पता चला कि आयुषी घर नहीं पहुची तो वो चेम्बूर पुलिस स्टेशन गए और तभी उनके एक दोस्त का उनको फ़ोन आया उसने बताया कि उसने आयुषी को कुर्ला स्टेशन पर अंधेरी की ट्रेन पकड़ते देखा पर वो अचानक से गायब हो गए जिसके बाद उसने जीआरपी की हेल्पलाइन पर फोन किया. स्टेशन मास्टर की मदत मांगी पर किसी से मदत नही मिली.


पुलिस ने उस समय क्या कहा था!
चेंबूर पुलिस स्टेशन के सब इंस्पेक्टर अमोल को लेकर ने बताया कि हमने करीब 500 सीसीटीवी कैमरे की फुटेज की जांच की और पाया कि लड़की ने गलती से एक बस पकड़ ली. फिर उसे हमने शाम में कुर्ला स्टेशन के बाहर देखा गया, उस लड़की में फिर कुर्ला से सीएसटी जाने के लिए शाम 4 बजे के करीब लोकल ट्रैन पकड़ी और सीएसटी स्टेशन पहुंची.


उस लड़की ने फिर 4 बजकर 35 मिनट की पनवेल की ट्रेन पकड़ी और 5 बजकर 26 मिनट पर जब वो सानपाड़ा स्टेशन पहुंची तो ट्रेन में हंगामा करने लगी. तभी वहां पर उसे एक महिला पुलिस कर्मी ने स्टेशन से बाहर निकालने की कोशिश की पर आयुषी ट्रेन से नहीं उतरी.


रेलवे पुलिस की एक और लापरवाही दिखाई दी
आयुषी ने पनवेल स्टेशन से ही 6 बजकर 31 मिनट के आसपास की अंधेरी की ट्रेन पकड़ी थी और यात्रा के दौरान निशांत के दोस्त ने उसे पहचान लिया और उसका फोटो निकालकर उसके घर वालों को भी भेजा था. 8 बजकर 8 मिनट पर आयुषी बांद्रा स्टेशन उतर गयी और फिर से दूसरी ट्रेन पकड़कर 8 बजकर 16 मिनट पर सांताक्रुज स्टेशन उतरी. वहां से उसने 8 बजकर 21 मिनट पर विरार जाने वाली ट्रेन पकड़ी और कांदिवली उतर गई. वहां से फिर 8 बजकर 40 मिनट की दूसरी विरार ट्रेन पकड़कर कहां चली गयी किसी को कुछ नहीं पता चल रहा था.


कैसे मिली आयुषी?
सूत्रों ने बताया कि चेम्बूर पुलिस जब मुंबई और आसपास के इलाकों में गुमशुदा और अज्ञात मृतकों का डेटा की जांच कर रही थी उसी दौरान उन्हें वसई के वालिव पुलिस स्टेशन से पता चला कि उनके यहां 27 मार्च को एक अज्ञात लड़की की लाश मिली थी जिसका एडीआर वालिव पुलिस स्टेशन मिली दर्ज किया गया था. आयुषी की लाश कामन रोड रेलवे स्टेशन के पास एक पेड़ के नीचे मिली थी. उस लड़की के कपड़े और रंग आयुषी से मिलता जुलता था जिसके बाद चेम्बूर पुलिस ने 3 मई को इस बात की जानकारी आयुषी के घरवालों को दी.


वसई पुलिस ने भी कुछ नहीं किया!
निशांत ने बताया जब वो उस जगह गए जहां आयुषी की लाश मिली थी तब उन्हें गांव के एक व्यक्ति ने बताया कि उन्होंने आयुषी को घूमते हुए देखा था. तब उन्होंने इस बात की जानकारी लोकल पुलिस को दी थी पर किसी ने कुछ नही किया. आयुषी की लाश मिलने के बाद उसका पोस्टमार्टम कराया गया और तब पता चला कि आयुषी की मौत हेपिटाइटिस की वजह से हुई.