नई दिल्ली, एजेंसी। देश के 74वें स्वतंत्रता दिवस समारोह के दौरान ऐतिहासिक लाल किले पर इस वर्ष कोविड-19 महामारी की छाया स्पष्ट रूप से दिखायी दी. जहां सभी कुर्सियों पर मास्क, सैनिटाइजर, एक जोड़ा दस्ताने युक्त एक किट रखा गया था तथा कुर्सियों को इस प्रकार से रखा गया था कि सामाजिक दूरी के मानकों का पालन हो सके. लाल किले पर आयोजित होने वाले स्वतंत्रता दिवस समारोह में हर साल काफी भीड़ रहती थी और अलग-अलग आयु वर्ग के लोग काफी उत्साह से इस कार्यक्रम में हिस्सा लेते थे लेकिन इस वर्ष कोविड-19 महामारी के कारण निर्धारित सुरक्षा मानकों को ध्यान में रखते हुए इसके आकार को घटा दिया गया.


समारोह में मुख्य प्रवेश द्वार पर सीमित संख्या में आमंत्रित अतिथियों की व्यक्तिगत सुरक्षा किट (पीपीई) पहने सुरक्षा कर्मियों द्वारा थर्मल स्कैनिंग की गई. वहीं, सुरक्षा द्वारों के पास हैंड्स फ्री सैनिटाइजर की व्यवस्था की गई थी. समारोह स्थल पर सभी घेरों में कुर्सियों को सावधानीपूर्वक दूरी बनाकर रखा गया था. प्रत्येक सीट पर एक किट रखा था जिसमें मास्क, सैनिटाइजर, एक जोड़ा दस्ताने थे. इसके अलावा कार्यक्रम की जानकारी का पर्चा भी रखा गया था. वीवीआईपी लोगों के बैठने के स्थान पर भी सामाजिक दूरी के मानकों का पालन किया गया.


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने लाल किले की प्राचीर से राष्ट्र के नाम अपने संबोधन में कहा, 'प्रत्येक वर्ष भव्य समारोह में काफी संख्या में स्कूली बच्चे और ऊर्जावान युवा यहां होते थे लेकिन कोरोना वायरस के खतरे के कारण इस वर्ष वे यहां मौजूद नहीं हैं. आज हमारे बच्चे हमारे साथ यहां नहीं हैं. कोरोना वायरस महामारी ने हम सभी को रोक दिया है.' बहरहाल, समारोह स्थल पर बैठने और पैदल चलने के स्थानों पर रंगीन दरियां बिछायी गई थीं और सामाजिक दूरी बनाये रखने के संदेश युक्त पोस्टर भी लगाये गए थे जिनमें 'छह फीट की दूरी, मास्क पहनना है जरूरी' जैसे संदेश लिखे हुए थे।


अतिथि, सुरक्षा कर्मी, वीआईपी आदि सभी निर्धारित सुरक्षा मानकों के अनुरूप मास्क पहने हुए थे. कुछ अतिथि डिजाइनर मास्क पहने हुए थे. कोरोना वायरस महामारी के समय में यह स्थिति सामान्य रूप से देखी जा रही है. गौरतलब है कि दिल्ली कोरोना वायरस फैलने के मामले में देश के सबसे अधिक प्रभावित शहरों में शामिल रहा है. राष्ट्रीय राजधानी में कोविड-19 के कुल मामलों की संख्या 1.5 लाख को पार कर गई है जबकि इसके संक्रमण के कारण 4,178 लोगों की मौत हो चुकी है.


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