कोलकाता: पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने बुधवार को दावा किया कि मंगलवार को हुई जेईई की परीक्षा में कोरोना वायरस महामारी की वजह से राज्य के 75 प्रतिशत अभ्यर्थी भाग नहीं ले सके और अन्य राज्यों में भी सिर्फ आधे विद्यार्थी ही अपने केन्द्रों पर पहुंचे. इसके लिए मुख्यमंत्री ने केंद्र सरकार के ‘अहंकार’ को जिम्मेदार ठहराया.


बनर्जी ‘इंट एंट्रेंस एग्जामीनेशन’ (जेईई) मेन्स और राष्ट्रीय पात्रता एवं प्रवेश परीक्षा (नीट) कराने के केंद्र सरकार के फैसले के खिलाफ हैं. उन्होंने केंद्र से उन लोगों के बारे में पुनर्विचार करने की गुजारिश की जो परीक्षा में शामिल होने में कामयाब रहे और जो इम्तिहान नहीं दे सके.


ममता ने कहा- छात्र बहुत मुश्किल में हैं
बनर्जी ने कहा, ''छात्र बहुत मुश्किल में हैं. उनमें से कई जेईई की परीक्षा नहीं दे सके. इसलिए हमने केंद्र से आग्रह किया था कि सुप्रीम कोर्ट में अपील की जाए या मामले की फिर से समीक्षा हो ताकि छात्र इससे वंचित नहीं रहें. उन्होंने कहा कि उनकी सरकार ने छात्रों के लिए सभी इंतजाम किए थे लेकिन मंगलवार को सिर्फ 1,167 बच्चों ने परीक्षा दी जबकि कुल 4,652 अभ्यर्थियों को इस परीक्षा में शामिल होना था."


ममता बनर्जी ने कहा, "इसका मतलब है कि पश्चिम बंगाल में सिर्फ 25 प्रतिशत छात्र ही परीक्षा दे पाए जबकि 75 फीसदी इम्तिहान नहीं दे सके. हमने (केंद्र सरकार के निर्देश के) मुताबिक इंतजाम किए थे."


ममता ने केंद्र से पूछा- आपको छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने का अधिकार किसने दिया?
तृणमूल कांग्रेस की प्रमुख ने केंद्र सरकार पर हमला करते हुए कहा, ‘‘अगर परीक्षा को कुछ और दिनों के लिए टाल दी जाती तो क्या गलत हो जाता? इतना अंहकार क्यों है? आप (केंद्र सरकार) इतने जिद्दी क्यों हैं? आपको छात्रों के भविष्य को बर्बाद करने का अधिकार किसने दिया?"


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