रूस की विक्ट्री डे परेड में भारत के 75 सदस्य सैन्य दल ने लिया हिस्सा, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह रहे मौजूद
द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों ने भी एक अहम और निर्णायक भूमिका निभाई थी. हालांकि, उस वक्त भारतीय सैनिक ब्रिटिश रॉयल इंडियन आर्मी का हिस्सा थे. रॉयल इंडियन आर्मी के नेतृत्व में भारत के करीब 87 हज़ार सैनिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध (1941-45) की अलग अलग लड़ाईयों में अपने प्राण न्यौछावर किए थे.
नई दिल्ली: द्वितीय विश्व युद्ध में विजय की 75वीं वर्षगांठ के मौके पर रूस की भव्य विक्ट्री-डे परेड में आज भारतीय सेना की टुकड़ी ने भी हिस्सा लिया. इस दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह और रक्षा सचिव अजय कुमार भी मास्को के रेड-स्क्वायर में मौजूद थे.
इस विक्ट्री डे परेड में भारत के 75 सदस्य सैन्य दल ने हिस्सा लिया. इस सैन्य दल में थलसेना, वायुसेना और नौसेना के जवान शामिल थे. दल का नेतृत्व सिख लाइट इंफेंट्री रेजीमेंट के जवानों ने किया. परेड में शामिल हुई टुकड़ी में तीन भारतीय महिला अधिकारी भी शामिल थीं.
आपको बता दें कि द्वितीय विश्वयुद्ध में भारतीय सैनिकों ने भी एक अहम और निर्णायक भूमिका निभाई थी. हालांकि, उस वक्त भारतीय सैनिक ब्रिटिश रॉयल इंडियन आर्मी का हिस्सा थे. रॉयल इंडियन आर्मी के नेतृत्व में भारत के करीब 87 हज़ार सैनिकों ने द्वितीय विश्वयुद्ध (1941-45) की अलग अलग लड़ाईयों में अपने प्राण न्यौछावर किए थे. ये लड़ाईयां यूरोप, अफ्रीका और मिडिल-ईस्ट थियटेर में लड़ी गई थीं. इन लड़ाईयों में भारत के कुल चार हजार (मरणोपरांत सहित) सैनिकों को वीरता के मेडल से नवाजा गया था. इनमें 18 विक्टोरिया और जार्ज क्रॉस भी शामिल थे. 1944 में खुद सोवियत रूस ने भारत के दो सैनिकों, सूबेदार नारायण राव निकम और हवलदार गजेंद्र सिंह चंद को रेड-स्टार से नवाजा था.
देश आजादी के बाद से भी भारत और रूस के संबंध बेहद मजबूत रहे हैं. रूस हमेशा से भारत का एक भरोसेमंद मित्र-राष्ट्र रहा है और रक्षा क्षेत्र में दोनों की अहम साझेदारी है. फिर चाहे वो टैंक हो, फाइटर जेट्स हो, युद्धपोत और सबमरीन हो, सबकुछ भारत ने रूस से ही लिया है. यही वजह है कि रूस ने विक्ट्री डे परेड के लिए ना केवल भारतीय सैन्य दल को आमंत्रित किया बल्कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह को भी बुलावा भेजा.
हालांकि, रूस ने चीन को भी इस विक्ट्री डे परेड में हिस्सा लेने के लिए आमंत्रित किया था, लेकिन वहां पहुंचे चीन के रक्षा मंत्री से राजनाथ सिंह ने किसी भी तरह की द्विपक्षीय बातचीत नहीं की. भारत और चीन के बीच पिछले 50 दिनों से सीमा पर तनातनी चल रही है. पूर्वी लद्दाख की गलवान घाटी में दोनों देशों के सैनिकों में खूनी संघर्ष भी हो चुका है.
लेकिन अपनी रूस यात्रा के दौरान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने रूस के उप-प्रधानमंत्री यूरी बोरिसोव से मुलाकात कर रक्षा और सामरिक साझेदारी पर बैठक की. माना जा रहा है कि राजनाथ सिंह ने रूस से एस-400 मिसाइल प्रणाली को जल्द से जल्द देने का अनुरोध किया. साल 2018 में भारत ने रूस से पांच एस-400 मिसाइल प्रणाली लेने के लिए 39 हजार करोड़ का सौदा किया था. लेकिन कोरोना महामारी के चलते उसकी डिलीवरी में देरी हो रही है. लेकिन माना जा रहा है कि रूस ने भारत को जल्द डिलीवरी का भरोसा दिया है. इसके अलावा भारत ने रूस से फाइटर जेट्स इत्यादि के स्पेयर पार्ट्स मुहैया कराने का भी आग्रह किया.
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