75th Infantry Day: 75वें सेना इन्फेंट्री दिवस (75th Infantry Day) के अवसर पर चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ जनरल बिपिन रावत (General Bipin Rawat) ने भारतीय सेना प्रमुख जनरल एमएम नरवणे (General MM Naravane) के साथ राजधानी दिल्ली में राष्ट्रीय युद्ध स्मारक पर माल्यार्पण किया. दरअसल, इन्फैंट्री डे को स्वतंत्र भारत की पहली सैन्य घटना की याद के रूप में मनाया जाता है. भारतीय सशस्त्र बल में पैदल सेना यानी इन्फैंट्री एक खास हिस्सा है जो जमीनी जंग में सबसे आगे रहती है. देश की सीमाओं पर शहीद होने से लेकर सुरक्षा तक हर मोर्चों पर इस सेना ने जाबांजी दिखाई है. आज का दिन इसी सेना के यश और गौरव को याद करते हुए मनाया जाता है.
दरअसल, इंफेंट्री सेना दिवस इसलिए मानाया जाता है क्योंकि आज के दिन ही यानी 27 अक्टूबर 1947 को आजादी के कुछ ही दिनों बाद इस सेना ने अपनी वीरता दिखाते हुए कश्मीर में एक मिशन में जीत हासिल किया था. इस मिशन को उस वक्त चलाया गया था जब कश्मीर सहित दो अन्य रियासतें भारत का हिस्सा नहीं बनी थीं. उस वक्त भारत पाकिस्तान बंटवारे और देश को आजाद हुए कुछ वक्त ही हुए थे. पाकिस्तान चाहती थी कि कश्मीर का विलय उनके देश में हो जाए. उनका तर्क था की कश्मीर में बड़ी मुस्लिम आबादी होने के कारण उसे पाकिस्तान में शामिल कर लेना चाहिए. लेकिन उस वक्त कश्मीर पर शासन कर रहे राजा हरि सिंह ने इससे साफ मना कर दिया.
सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन सेना का एक दस्ता पहुंचा था कश्मीर
राजा हरी सिंह के इनकार के बाद पाकिस्तान ने चाल चली और कबायली पठानों को कश्मीर में घुसपैठिया बनाकर भेजने की योजना बनाई. कबायलियों की एक फौज ने 24 अक्टूबर, 1947 को तड़के सुबह कश्मीर में प्रवेश किया. तब महाराजा ने भारत से मदद मांगी और भारत ने मदद के तौर पर भारतीय सेना की सिख रेजिमेंट की पहली बटालियन से एक पैदल सेना का दस्ता हवाई जहाज से दिल्ली से श्रीनगर भेजा गया. जांबाज पैदल सैनिकों ने जाबांजी दिखाई और 27 अक्टूबर, 1947 में कश्मीर में घुसपैठ करने वाले आक्रमणकारी कबायलियों से लड़कर कश्मीर को उनसे मुक्त करा दिया.
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