केंद्र सरकार अपने सभी 'डिजिटल इंडिया' पुश के बावजूद भारत में कोविड 19 के खिलाफ वैक्सीन को डिजिटल तरीके से इस्तेमाल कराने में असमर्थ रही है. दरअसल केंद्र ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में स्वीकार किया है कि कुल वैक्सीन की तीन चौथाई से ज्यादा डोज ऑनसाइट या वॉक इन वैक्सीनेशन के माध्यम से दी गई है. जानकारी के मुताबिक 23.06.2021 तक कोविन पर 32.22 करोड़ लाभार्थियों में से 19.12 करोड़ लाभार्थियों का ऑन-साइट मोड में रेजिस्ट्रेशन किया गया था. वहीं कोविन पर मौजूद आंकड़ों के मुताबिक कोविन पर दर्ज कुल 29.68 करोड़ वैक्सीन डोज में से 23.12 करोड़ डोज ऑन-साइट या वॉक-इन वैक्सीनेशन के जरिए से प्रशासित की गई हैं.


माना जा रहा है कि सुप्रीम कोर्ट में पेश किए गए आंकड़े केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर सुप्रीम कोर्ट की चिंता को बढ़ा रहे हैं. केंद्र सरकार ने कोविन डिजिटल प्लेटफॉर्म के माध्यम से चरणबद्ध कोविड 19 वैक्सीनेशन अभियान शुरू किया था, जिसमें डोज प्राप्त करने के लिए पूर्व रेजिस्ट्रेशन जरूरी था. कोविन प्लेटफॉर्म पर ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन को आसान बनाने के लिए सरकार ने कई बदलाव किए हैं, जैसे पोर्टल को हिंदी और मराठी, मलयालम, तेलुगु, कन्नड़, उड़िया, गुरुमुखी, बंगाली सहित 14 क्षेत्रीय भाषाओं में पेश करना.


कोर्ट ने की ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन की निंदा


सुप्रीम कोर्ट ने 31 मई को एक फैसले में अनिवार्य ऑनलाइन रेजिस्ट्रेशन की भी निंदा की थी. देश में मौजूद डिजिटल डिवाइड की ओर इशारा करते हुए अदालत ने कहा कि एक पोर्टल पर भरोसा करके सार्वभौमिक वैक्सीनेशन का लक्ष्य हासिल नहीं किया जा सकता है.


केंद्र ने पेश की सफाई


अपने हलफनामे में केंद्र ने कहा कि उसे पता था कि डिजिटल उपकरणों या इंटरनेट तक पहुंच की कमी नागरिकों के लिए बाधाएं खड़ी कर सकती है और इसलिए उसने सभी आयु समूहों के लिए ऑन-साइट और डिजिटल पंजीकरण दोनों की अनुमति दी थी.


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