भारत इस समय कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर का सामना कर रहा है. कोरोना संक्रमण के ज्यादा मामलों के कारण हेल्थ सिस्टम चरमरा गया है. वैक्सीन की कमी से लोगों का बड़े पैमाने पर टीकाकरण नहीं हो पा रहा लेकिन अगर सरकार की मानें तो साल के अंत तक यह सब बदल सकता है.
केंद्र ने गुरुवार को दावा किया कि दिसंबर तक पूरी भारतीय आबादी के लिए कोविड-19 का टीका उपलब्ध हो जाएगा. सरकार ने कहा कि भारत के पास अगस्त और दिसंबर के बीच आठ कोविड -19 टीकों की 2 अरब से ज्यादा डोज उपलब्ध होंगी. नीति आयोग के सदस्य वी के पॉल के अनुसार, अगस्त से दिसम्बर तक टीके की 216 करोड़ खुराक का उत्पादन होने का अनुमान है. इसमें कोविशील्ड , कोवैक्सीन, बायोलॉजिकल ई ,ज़ायडस कैडिला, नोवावैक्स और भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन, जेनोवा और स्पुतनिक वी की डोज शामिल होंगी. वैक्सीन के ज्यादा विकल्प होने से लोग कंफ्यूजन हो जाते हैं. इसलिए सभी वैक्सीन के बारे में आपके लिए जानना आवश्यक हो जाता है.
कोविशील्ड
ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय के सहयोग से एस्ट्राजेनेका द्वारा विकसित इस वैक्सीन को सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया भारत में कोविशील्ड के नाम से बना रहा है. भारत के टीकाकरण अभियान में इसका सबसे अधिक इस्तेमाल किया जा रहा है. स्टडीज के अनुसार, यदि दो खुराकों के बीच अंतराल दो से तीन महीने तक बढ़ाया जाए तो टीके की प्रभावशीलता 90 प्रतिशत तक होती है.
सीरम इंस्टीट्यूट वर्तमान में केंद्र को 150 रुपये और राज्य सरकारों को 300 रुपये प्रति खुराक में कोविशील्ड बेच रहा है. निजी प्लेयर्स के लिए रेट 600 रुपये प्रति खुराक है. परिवहन लागत, प्रशासन शुल्क, जीएसटी और वैक्सीन की बर्बादी को ध्यान में रखते हुए निजी अस्पताल 18-44 आयु वर्ग के टीके की डोज के लिए कहीं भी 700 रुपये से 900 रुपये के बीच चार्ज कर रहे हैं.
ब्रिटिश, ब्राजीलियन और भारतीय स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी
रिसर्च में संकेत मिला है कि कोविशील्ड कोविड-19 वायरस के ब्रिटिश, ब्राजीलियन और भारतीय स्ट्रेन के खिलाफ प्रभावी है. दक्षिण अफ्रीकी स्ट्रेन के खिलाफ इसकी प्रभावकारिता भारत में अध्ययन का विषय है. हालांकि, 16 मार्च को द न्यू इंग्लैंड जर्नल फॉर मेडिसिन में प्रकाशित फेज-3 क्लीनिकल ट्रायल के परिणाम बताते हैं कि ऑक्सफोर्ड-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन दक्षिण अफ्रीकी वैरिएंट के खिलाफ केवल 10 प्रतिशत प्रभावी है.
कोवैक्सीन
भारतीय फार्मास्युटिकल फर्म भारत बायोटेक कोवैक्सीन की सप्लाई कर रही है. अध्ययनों के अनुसार, कोवैक्सीन वायरस के खिलाफ 81 प्रतिशत प्रभावी है और यूके, भारतीय और ब्राजीलियन वेरिएंट को बेअसर करने में सक्षम है. दक्षिण अफ्रीकी वायरस के खिलाफ इसकी प्रभावशीलता का भी अध्ययन किया जा रहा है.
भारत बायोटेक वर्तमान में केंद्र को 150 रुपये में वैक्सीन बेच रहा है, जबकि राज्य 400 रुपये प्रति खुराक दे रहे हैं. निजी अस्पताल कोवैक्सीन की हर खुराक के लिए 1200 रुपये का भुगतान कर रहे हैं. निजी अस्पताल मरीजों से कोवैक्सीन की एक डोज के लिए 1250 से 1350 रुपये के बीच चार्ज कर रहे हैं.
स्पुतनिक वी
कोविशील्ड और कोवैक्सीन के बाद रूस की वैक्सीन स्पुतनिक वी भारत में इस्तेमाल के लिए मंजूरी पाने वाली तीसरी कोरोना वायरस वैक्सीन है. शुरुआती आयात के बाद भारत में डॉ रेड्डीज लैबोरेट्रीज की देखरेख में पांच लैब में वैक्सीन को बनाया जाएगा. वैक्सीन की इम्पोर्ट की गई खुराक की कीमत वर्तमान में मैक्सिमम रिटेल प्राइस 995 रुपये होगा जिसमें जीएसटी शामिल होगा. स्पुतनिक वी वैक्सीन 91.6 प्रतिशत प्रभावी है. स्पुतनिक वी की दो खुराक के बीच का अंतराल 21 दिनों का है. रूस का दावा है कि स्पुतनिक वी को कोविड -19 वायरस के यूके वेरिएंट के खिलाफ प्रभावी पाया गया है .
नोवावैक्स
अमेरिका स्थित फार्मास्युटिकल फर्म नोवावैक्स की कोविड -19 वैक्सीन का निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया द्वारा किया जाएगा और इसे कोवोवैक्स के रूप में बेचा जाएगा. वैक्सीन को अभी तक यूएस, यूके या भारत में मंजूरी नहीं मिली है. इसने SARS-CoV-2 के ऑरिजनल स्ट्रेन कारण होने वाली हल्की से गंभीर बीमारी के खिलाफ 96.4 प्रतिशत की प्रभावकारिता दिखाई है. यह परीक्षण में यूके वेरिएंट के खिलाफ लगभग 86.3 प्रतिशत प्रभावी रही है. यह जुलाई-सितंबर में उपलब्ध हो सकती है. भारत में इसका निर्माण सीरम इंस्टीट्यूट करेगा.
भारत बायोटेक की नेजल वैक्सीन
स्वास्थ्य मंत्रालय के अधिकारियों ने गुरुवार को कहा कि उन्हें भारत बायोटेक द्वारा विकसित नेजल वैक्सीन की 10 करोड़ खुराक दिसंबर तक मिलने की उम्मीद है. वैक्सीन वर्तमान में फेज 1 ट्रायल में चल रही है. भारत बायोटेक के अनुसार, वैक्सीन के कम साइड इफेक्ट होंगे क्योंकि इसमें प्रशासन के लिए सीरिंज की जरूरत नहीं होती है. लोग इसे नाक के जरिए स्वयं ले सकेंगे. कंपनी ने कहा है कि बाजार में उपलब्ध अन्य टीकों की तुलना में नाक का टीका सस्ता होगा.
बायोलॉजिकल ई सबयूनिट वैक्सीन
हैदराबाद स्थित दवा कंपनी बायोलॉजिकल ई लिमिटेड की कोविड -19 सबयूनिट वैक्सीन भारत में अगस्त से रोलआउट होने की उम्मीद है. इसका फेज 3 ट्रायल चल रहा है. स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के मुताबिक, बायोलॉजिकल ई इस साल अगस्त से दिसंबर के बीच अपने टीके की 30 करोड़ खुराक की आपूर्ति करेगी. ट्रायल के दौरान इसकी दो खुराक 28 दिनों के अंतराल पर दी गई हैं. फार्मा कंपनी ने कथित तौर पर कहा है कि इसकी वैक्सीन भारत में सबसे किफायती विकल्पों में से एक होगी.
जायडस कैडिला डीएनए वैक्सीन
अहमदाबाद स्थित फार्मास्युटिकल फर्म जायडस कैडिला द्वारा विकसित, ZyCoV-D Covid-19 वैक्सीन जून में आने की संभावना है. कंपनी को उम्मीद है कि क्लीनिकल ट्रायल फेज-3 का डेटा मई के अंत तक ड्रग्स कंट्रोलर जनरल ऑफ इंडिया को सौंप दिया जाएगा और जून तक उत्पादन और आपूर्ति शुरू कर देगी. यदि मंजूरी मिल जाती है, तो ZyCoV-D भारत बायोटेक के Covaxin के बाद देश का दूसरा स्वदेशी रूप से विकसित वैक्सीन होगी. कंपनी की योजना एक महीने में एक करोड़ खुराक का निर्माण करने और बाद में उत्पादन को दोगुना करने की है. यह तीन डोज वाली वैक्सीन है.
जेनोवा एमआरएनए वैक्सीन
पुणे स्थित जेनोवा बायोफार्मास्युटिकल्स द्वारा विकसित भारत का पहला एमआरएनए वैक्सीन होगा. कंपनी ने कहा है कि जल्द ही क्लिनिकल ट्रायल का पहला चरण शुरू करेगी. फाइजर और मॉडर्ना द्वारा इसी तरह के टीकों की सफलता के बाद जेनोवा का वैक्सीन पहला स्वदेशी मैसेंजर आरएनए वैक्सीन होगा.
फाइजर, मॉडर्ना और जॉनसन एंड जॉनसन
केंद्र के लिस्टेड आठ टीकों के अलावॉ फाइजर, मॉडर्न और जॉनसन एंड जॉनसन के टीके भी उपलब्ध होंगे. केंद्र ने गुरुवार को बताया कि भारत सरकार तीन टीकों की खरीद की कोशिश कर रही है और जैव प्रौद्योगिकी विभाग और विदेश मंत्रालय के माध्यम से इन फर्मों के संपर्क में है.
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