आंदोलन के 8 महीने: महिला किसानों ने जंतर-मंतर पर संभाला किसान संसद का मोर्चा, अभिनेत्री गुल पनाग भी हुईं शामिल
8 Months Of Farmers Protest: 26 नवम्बर 2020 को किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी. सोमवार को इस आंदोलन को आठ महीने पूरे हो गए. 8 महीने पूरे होने पर ही आज जंतर मंतर पर महिला किसान संसद का आयोजन किया गया है.
8 Months Of Farmers Protest: किसान आंदोलन के आठ महीने पूरे होने पर आज जंतर मंतर पर महिला किसान संसद आयोजित की गई. 200 की संख्या में महिला किसान लगभग 11:10 बजे जंतर-मंतर बसों में सवार होकर पहुंची. दिल्ली पुलिस के सुरक्षा घेरे में महिला किसानों को सिंघु बॉर्डर से लाया गया. किसान संसद में भाग लेने वाली महिलाओं ने एकजुट होकर तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने का प्रस्ताव रखा, जिसे पूर्ण बहुमत से पारित किया गया. इस बीच बॉलीवुड अभिनेत्री गुल पनाग भी समर्थन देने के लिए महिला किसान संसद में शरीक हुईं.
26 नवम्बर 2020 को किसान आंदोलन की शुरुआत हुई थी. सोमवार को इस आंदोलन को आठ महीने पूरे हो गए. 8 महीने पूरे होने पर ही आज जंतर मंतर पर महिला किसान संसद का आयोजन किया गया है. जिसमें 200 महिलाएं शामिल हुई हैं. सभी महिला सांसद की भूमिका निभा रही हैं. इस महिला संसद में भाग ले रहीं महिलाएं देश के अलग अलग हिस्सों से आई हैं.
महिला संसद में शरीक हुईं गुल पनाग ने कहा कि महिला किसान संसद से सबसे पहला संदेश तो महिला सशक्तिकरण का है कि महिलाओं को उनका अधिकार देना चाहिए. सरकार बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ की बात करती है, लेकिन उन्हें बराबरी का हक देने के मामले में गंभीर क्यों नहीं है?
कई बार सरकार और किसानों के बीच बात हो चुकी है, लेकिन कोई बात नहीं बनी? क्या लगता है कौन ज़िद कर रहा है किसान या सरकार?
सरकार से कई दौर की बातचीत के बाद भी बात नहीं बनने के सवाल पर गुल पनाग ने कहा, "मैं प्रधानमंत्री जी की बहुत इज्जत करती हूं, क्योंकि वे खुद को प्रधानसेवक कहते हैं. उन्हें ज़िद्दी नहीं कह सकती. लेकिन उन्हें किसानों के बीच आना चाहिए, उनकी मांग माननी चाहिए. जब कृषि कानून बनाये जा रहे थे, तब किसानों से राय लेनी चाहिए थी. अब सरकार को अपनी गलती स्वीकार करते हुए इन कानूनों को वापस लेना चाहिए. जब देश को अन्न की जरूरत थी, तो पंजाब और हरियाणा के किसानों को हाइब्रिड अन्न उगाने के लिए कहा गया था. तभी से यहां धान उगाया जा रहा है.
महिला किसान सुदेश गोयत का कहना है कि किसान आंदोलन में महिलाओं की भागीदारी भी बराबरी की है. केंद्र सरकार को ये तीनों कानून वापस लेने होंगे. केंद्र सरकार ने जरूरी खाद्य वस्तु कानून में भी बदलाव किया है, जो गलत है. किसानों को उनका हक मिलना चाहिए.
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