Coronavirus: कोरोना को लेकर कई वैज्ञानिक रिसर्च और स्टडी कर रहे हैं, ताकि इस वायरस को अच्छी तरह से समझा जा सके और उसके अनुसार रणनीति बनाकर उसपर जीत हासिल की जा सके. इसी बीच टाटा इंस्टीट्यूट ऑफ फंडामेंटल रिसर्च (टीआईएफआर) ने अबतक के कोरोना वायरस से संक्रमित हुए लोगों के डेटा को समझकर एक सिमुलेशन मॉडल बनाया है, जिसमें अनुमान लगाया है कि मुंबई में कोरोना वायरस की तीसरी लहर खतरनाक होने की संभावना बहुत ही कम है, हालांकि यह तभी संभव है जब तक कि वायरस किसी दूसरे वेरिएंट के साथ ना जाए.


मुंबई की लगभग 80 प्रतिशत आबादी को हो चुका है संक्रमण- मॉडल


इस मॉडल को टीआईएफआर के स्कूल ऑफ टेक्नोलॉजी एंड कंप्यूटर साइंस के डीन संदीप जुनेजा और दक्ष मित्तल ने तैयार किया है. इसमें अनुमान लगाया गया है कि एक जून तक मुंबई की लगभग 80 प्रतिशत आबादी पहले से ही कोविड -19 के संपर्क में आ चुकी है, जिसमें 90 प्रतिशत लोग झुग्गी-झोपड़ियों में और 70 प्रतिशत लोग गैर-झुग्गी बस्तियों में रहने वाले लोग हैं.


जुनेजा ने बताया कि "ऐसे तंत्रों को स्थापित करने की आवश्यकता है जो लगातार पुन: संक्रमण और वेरिएंट के प्रभाव को माप सकते हैं, जो मौजूदा इम्युनिटी या फिर वैक्सीन से मिले इम्युनिटी को तोड़ सकते हैं और बार बार संक्रमण की वजह से ही कोरोना की लहर का जन्म होता है.


कोविड की लहर उन क्षेत्रों में बड़ी होगी जो पिछली लहरों में वायरस के संपर्क में कम थे- मॉडल


टीआईएफआर ने इस मॉडल ने संभावित सिनारियो के आधार पर तैयार किया है. जून से शहर को 60 प्रतिशत के स्तर तक खोला गया है और नया वेरिएंट डेल्टा वेरिएंट की तुलना में 50 प्रतिशत अधिक संक्रामक है. ऐसे में तीसरी लहर अभी भी दूसरी लहर की तुलना में बड़ी नहीं होगी. मॉडल यह भी भविष्यवाणी करता है कि कोविड की लहर उन क्षेत्रों में बड़ी होगी जो पिछली लहरों में वायरस के संपर्क में कम थे.


सिमुलेशन मॉडल में कहा गया है कि अगर जून, जुलाई और अगस्त में टीकाकरण व्यापक रूप से किया जाता है और टीका 75 से 95 प्रतिशत प्रभावी है तो "कोविड  की लहर सितंबर तक भी ना के बराबर ही रहेगी."


पिछले साल सितंबर के महीने में टीआईएफआर ने इसी तरह से अनुमान लगाया था कि कोरोना की दूसरी लहर माइल्ड होगी पर डेल्टा वेरिएंट अधिक जल्दी से फैलने वाला और संक्रामक निकला और डेल्टा वेरिएंट ने सभी की भविष्यवाणियों से हटकर दूसरी लहर में बहुत से लोगों को संक्रमित किया. नए मॉडल में वैज्ञानिकों ने कहा है कि किसी भी वायरस के वेरिएंट और उसके ट्रांसमिशन के बारे में जाने बगैर प्रोजेक्शन मॉडल को बनाना बहुत कठिन है.


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