कबाड़ का काम करने वाले सूरज सेठ, उनकी पत्नी और उनके भाई ने एक जुगाड़ गाड़ी की मदद से 800 किलोमीटर का सफर तय कर लिया. इसके बाद यह जुगाड़ गाड़ी टूट गई लेकिन ये लोग किसी तरह से बिहार पहुंचने में सफल रहे. अब जुगाड़ गाड़ी के टूट जाने के बाद यह ये लोग चिंतित है कि पश्चिम बंगाल तक वह कैसे जा पाएंगे.
इन्होंने बताया कि ये लोग पश्चिम बंगाल के किशन नगर के रहने वाले हैं और फरीदाबाद में पिछले 15 साल से कबाड़ का काम करते हैं. लेकिन लॉकडाउन की वजह से इनका काम पूरी तरह बंद हो गया. हालात यहां तक हो गए थे कि इन तीनों को भीख मांग कर गुजारा करना पड़ा.
इनका कहना है कि इन्होंने टिकट बुक कराने की भी कोशिश की लेकिन बहुत जल्द सारे टिकट बुक हो जाते थे और जब इन लोगों ने एक दलाल से संपर्क किया तो उसने एक टिकट के बदले पांच हजार रुपये मांगे.
इन लोगों को जब कहीं से भी अपने घर जाने की कोई उम्मीद नहीं दिखी तो ये लोग उसी जुगाड़ गाड़ी पर चल दिए जिससे यह कबाड़ चुना करते थे. इन लोगों ने कबाड़ गाड़ी पर अपना सामान लादा और पश्चिम बंगाल के लिए निकल गए.
इस जुगाड़ गाड़ी से ये लोग करीब 800 किलोमीटर का सफर तक कर बनारस पहुंचे जहां जुगाड़ गाड़ी टूट गई. इनका कहना है कि बनारस में एक लॉरी वाला कुछ पैसों के बदले इन्हें बिहार बॉर्डर तक छोड़ने के लिए तैयार हो गया.
यह लोग अब बिहार पहुंच चुके हैं. इन्हें अब कुछ समझ नहीं आ रहा है कि यह पश्चिम बंगाल कैसे पहुंचेंगे. हालांकि इन्होंने घर पहुंचने की उम्मीद अभी भी नहीं छोड़ी है.