भीमा-कोरेगांव मामले में नेशनल इन्वेस्टिगेशन एजेंसी (NIA) ने 83 वर्षीय ट्राइबल राइट्स एक्टिविस्ट फादर स्टेन स्वामी को गिरफ्तार किया है. एनआईए के मुताबिक फादर सीपीआई माओवादी के सक्रिय सदस्य हैं. हालांकि, एजेंसी ने रांची से गिरफ्तार इस प्रिस्ट के बारे में आधिकारिक बयान जारी नहीं किया है. अधिकारियों का ये भी कहना है कि एलगार परिषद केस में भी फादर शामिल थे. फादर स्टेन स्वामी को मुंबई की एक विशेष NIA अदालत ने 23 अक्टूबर तक के लिए न्यायिक हिरासत में भेजा है.


अधिकारी के अनुसार स्टेन स्वामी सीपीएम माओवादी के सक्रिय सदस्य हैं. सीपीएम के कार्यक्रम को आगे बढ़ाने के लिए उन्हें किसी सहयोगी से पैसे मिले थे. ज्ञात हो कि एजेंसी ने इस साल अगस्त में मामले के संबंध में स्वामी से पूछताछ भी की थी. बुधवार को बगैचा सामाजिक केंद्र स्थित उनके आवास पर छापा भी मारा गया था.


इससे पहले शुक्रवार शाम चार बजे अलबर्ट एक्का चौक पर बड़ी संख्या में सामाजिक कार्यकर्ताओं ने एनआईए की ओर से की गई इस कार्रवाई का कड़ा विरोध किया. मौके पर ज्यां द्रेज ने कहा, ‘ये गलत हो रहा है. सरकार जिसको चाहे उठा ले रही है. इतने उम्रदराज व्यक्ति के साथ इस तरह का व्यवहार गलत है. वह कहीं जा नहीं सकते, ऐसे में उनको जेल में रखऩा बहुत ही निंदनीय है. किसी के सोशल मीडिया पोस्ट पर यह एक्ट लगा दिया जा रहा है, जो संविधान और लोकतंत्र के लिए खतरनाक है.’


वहीं दयामनी बारला ने कहा ’जिस तरह अर्बन नक्सल के नाम पर देशभर में कई लोगों को गिरफ्तार किया गया, ये सही नहीं है. स्टेन अब जल-जंगल-जमीन के मुद्दे पर संघर्ष कर रहे हैं। उनके ऊपर गलत तरीके से केस हुआ. 2014 के बाद दलित और पिछड़ों के लिए आवाज उठाने वालों को अर्बन नक्सल बताकर जेल में डाला जा रहा है.


इस पूरे मामले को लेकर झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भी ट्वीट किया है. उन्होंने लिखा 'गरिब, वंचितों और आदिवासियों की आवाज़ उठाने वाले 83 वर्षीय वृद्ध 'स्टेन स्वामी' को गिरफ्तार कर केंद्र की भाजपा सरकार क्या संदेश देना चाहती है? अपने विरोध की हर आवाज को दबाने की ये कैसी जिद्द?'