नई दिल्ली: हरियाणा और महाराष्ट्र के विधानसभा चुनावों की तारीखों का एलान हो गया है. 21 अक्टूबर को मतदान होगा और 24 अक्टूबर को नतीजे आएंगे, लेकिन चुनावों के एलान के साथ ही एक बार फिर से ईवीएम को लेकर सवाल खड़े होने शुरू हो गए हैं. सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक दलों तक जगह-जगह ईवीएम पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
पिछले कुछ सालों से विपक्ष लगातार उठा रहा है ईवीएम को लेकर सवाल
यह कोई पहली बार नहीं पिछले कुछ सालों में चुनावी नतीजों के सामने आने के साथ ही शुरू हो जाते हैं ईवीएम पर सवाल. हालांकि चुनाव आयोग लगातार कहता रहा है कि ईवीएम पूरी तरह सुरक्षित है, लेकिन फिर भी सवाल हैं कि थमने का नाम नहीं ले रहे. 2019 के लोकसभा चुनावों में ईवीएम के साथ वीवीपैट मशीन भी लगा दी गई और निर्देश जारी किया गया कि हर एक विधानसभा से कुछ वीवीपैट मशीन और ईवीएम में पड़े मतों की तुलना भी की जाएगी जिससे कि सभी तरह के संशय को दूर किया जा सके. 2019 के चुनावों के बाद ऐसा हुआ भी लेकिन फिर भी सवाल नहीं थमें.
99.99% से ज्यादा वीवीपैट और ईवीएम के नतीजे पाए गए एक समान
इन्हीं सवालों का जवाब देते हुए मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने साफ कहा है कि 2019 के लोकसभा चुनावों के बाद जब वीवीपैट और ईवीएम का मिलान किया गया, तो उसमें किसी तरह की कोई गड़बड़ी नहीं पाई गई. मुख्य चुनाव आयुक्त सुनील अरोड़ा ने आंकड़े देते हुए कहा कि लोकसभा चुनावों के बाद 22 हज़ार से ज्यादा ईवीएम और वीवीपैट मशीन का मिलान किया गया. इनमें से 7-8 मशीनों को छोड़कर बाकी सभी मशीनें यानी कि 22 हजार से ज्यादा मशीनों में वीवीपैट और ईवीएम में पड़े वोटों का ईवीएम में पड़े वोटों से मिलान हुआ. रही बात उन 7-8 मशीनों की जिनमें मिलान नहीं हुआ था तो जांच में पता चला कि उनमें कुछ तकनीकी दिक्कत आई थी, जो कि मशीन के इस्तेमाल के दौरान हुई थी.
सुप्रीम कोर्ट और चुनाव आयोग दोनों ने कही है ईवीएम और वीवीपैट के मिलान की बात
गौरतलब है कि ईवीएम को लेकर लगातार विपक्षी दल सवाल खड़े कर रहे हैं. विधानसभा चुनावों के नतीजों की बात हो या फिर लोकसभा चुनावों के नतीजों की, विपक्षी दल हमेशा ही ईवीएम की निष्पक्षता पर सवाल उठाते रहे हैं. हालांकि चुनाव आयोग विपक्षी दलों को ईवीएम हैक करने की चुनौती तक दे चुका है, लेकिन उस चुनौती का सामना करने के लिए अधिकतर विपक्षी दल सामने नहीं आए. मामला सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंचा और सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले की सुनवाई करते हुए चुनाव आयोग से कहा कि वह देखें कि कितनी वीवीपैट और ईवीएम का मिलान किया जा सकता है, जिससे कि लोगों के शक को दूर किया जा सके. उसी के बाद चुनाव आयोग ने हर एक विधानसभा से कुछ वीवीपैट और ईवीएम के मिलान का निर्देश जारी किया था.
क्या है वीवीपैट मशीन ?
वीवीपैट वो मशीन है जो कि ईवीएम के साथ जोड़ी जाती है. मतदाता जब ईवीएम में वोट देता है, तो वीवीपैट मशीन पर मतदाता ने जिस पार्टी को वोट दिया है, उसका चुनाव चिन्ह और मतदाता का वोट उसी चुनाव चिन्ह पर गया है इस बात की जानकारी एक पर्ची पर छपकर सामने आती है. लेकिन वह पर्ची बाहर नहीं निकलती, बल्कि 2 से 3 सेकंड के बाद वापस वीवीपैट मशीन में चली जाती है. उस पर्ची को तब तक संभाल कर रखा जाता है, जब तक चुनाव के नतीजों का एलान ना हो जाए. चुनाव के नतीजों के बाद अगर कोई उम्मीदवार नतीजों को चुनौती देता है या वीवीपैट और ईवीएम के नतीजों के मिलान की मांग करता है, तो वीवीपैट में मौजूद पर्चियों को ईवीएम के नतीजों से मिलाया जाता है, जिससे साफ हो जाता है कि ईवीएम में किसी उम्मीदवार को जितने वोट मिले हैं क्या वीवीपैट में भी उस उम्मीदवार को उतने ही वोटों की पर्चियां मौजूद हैं और इससे एक एक वोट का मिलान कर संशय को दूर किया जा सकता है.
यहां देखें चुनाव आयोग की प्रेस कॉन्फ्रेंस...