मुंबई में एक शार्क का शव मिलने से राज्य सरकार सकते में है. बुधवार 12 अगस्त को शहर के सैसन डॉक में एक व्हेल शार्क का शव पाया गया, जिसके बाद राज्य सरकार का फिशरीज डिपार्टमेंट और मैंग्रोव सेल हरकत में आ गए. दोनों विभाग मिलकर इस घटना की जांच कर रहे हैं, कि खतरे में पड़ी इस प्रजाति की मछली की मौत कैसे हुई.


वहीं एक रिपोर्ट के मुताबिक, यह शार्क मछुआरों के जाल में फंस गई थी और इस दौरान उसने जाल से बाहर निकलने की कोशिश की लेकिन असफल रही और उसकी मौत हो गई.


वाइल्डलाइफ कानून के तहत संरक्षित हैं व्हेल शार्क


बताया जा रहा है कि यह शार्क 8 मीटर लंबी और करीब 2 हजार किलो वजनी है. ये प्रजाति शार्क मछलियों में सबसे लंबी होती हैं और इन्हें एन्डेंजर्ड स्पेशीज यानी विलुप्ति की कगार पर मौजूद प्रजातियों में रखा गया है.


भारत में व्हेल शार्क को वाइल्डलाइफ (प्रोटेक्शन) एक्ट 1972 के तहत संरक्षित प्रजातियों में शामिल किया गया है और इनके शिकार या पकड़ने को गैरकानूनी माना गया है.


व्हेल शार्क का दुनियाभर में काफी शिकार होता रहा है. इनके शिकार के पीछे बड़ा कारण है इनसे मिलने वाला लिवर ऑइल. इसका इस्तेमाल कई तरह की दवाईयों के निर्माण में होता है. खास तौर पर कैंसर के मरीजों के बनाई जाने वाली दवाओं में इसका सबसे ज्यादा इस्तेमाल होता है.


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