Farmers Protest: बिहार से 1000 किमी साइकिल चलाकर टिकरी बॉर्डर आया किसान, 11 दिन में पूरा किया सफर
किसान और सरकार दोनों अपने रुख पर कायम हैं. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानून वापस ले. वहीं सरकार बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है. सरकार और किसानों के बीच कुल छह दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन यह पूरी तरह बेनतीजा रही.
नई दिल्ली: तीन कृषि कानूनों के खिलाफ पंजाब, हरियाणा और पश्चिमी उत्तर प्रदेश के किसान 23 दिनों से राजधानी के बॉर्डर पर जमे हुए हैं. अब धीरे-धीरे देशभर के किसान इस आंदोलन में शामिल हो रहे हैं. इनमें बिहार के सीवान जिले से 60 साल के सत्यदेव मांझी भी शामिल हो गए हैं. सत्यदेव 11 दिनों में एक हजार किमी साइकिल चलाकर गुरुवार को दिल्ली के टिकरी बॉर्डर पहुंचे. सत्यदेव मांझी ने कहा, "मुझे अपने गृह जिले सीवान से टिकरी बॉर्डर पहुंचने में 11 दिन लग गए. मैं सरकार से तीनों कृषि कानूनों को वापस लेने की अपील करता हूं."
किसानों के आंदोलन का आज 23वां दिन कृषि कानून बिल के खिलाफ दिल्ली के अलग अलग बॉर्डर पर चल रहे किसान आंदोलन का 23वां दिन है. किसान और सरकार दोनों अपने रुख पर कायम हैं. किसानों की मांग है कि सरकार तीनों कानून वापस ले. वहीं सरकार बातचीत कर बीच का रास्ता निकालना चाहती है. सरकार और किसानों के बीच कुल छह दौर की वार्ता भी हो चुकी है लेकिन यह पूरी तरह बेनतीजा रही. किसान जहां आंदोलन को दिनों दिन तेज करते जा रहे हैं तो वहीं सरकार की तरफ से भी किसानों को मनाने की कोशिश जारी है.
विरोध में आंदोलन करने के वास्ते किसानों का एक और गुट पहुंचा कानूनों के विरोध में चिल्ला बॉर्डर पर आंदोलन करने के लिए गुरुवार को भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) गुट के किसान पहुंच गए. मौके पर पहुंचे भारी पुलिस बल ने उन्हें बॉर्डर पर नहीं जाने दिया. इसके चलते अम्बावता गुट के किसान अमिताभ पार्क के सामने ही सड़क पर बैठ गए.
भारतीय किसान यूनियन (अंबावता) के प्रदेश अध्यक्ष सचिन शर्मा के नेतृत्व में पहुंचे किसानों ने कृषि कानूनों के विरोध में केंद्र सरकार के खिलाफ जमकर नारेबाजी की. साथ ही किसान चिल्ला बॉर्डर पर जाने की जिद पर अड़ गए.
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