एक ओर देश में बेटी बचाओ और बेटी पढ़ाओ का नारा दिया जा रहा है, तो वहीं दूसरी ओर बेटियों को अब भी बोझ समझा जा रहा है. राजधानी दिल्ली में एक बाप द्वारा अपनी बेटी को बेचने का मामला सामने आया है. बेटी की उम्र महज ढाई महीने की है, जिसे उसके अपने पिता ने ₹40000 में बेच दिया. दिल्ली महिला आयोग ने अपनी महिला पंचायत टीम की निशानदेही पर दिल्ली पुलिस की मदद से इस पूरे रैकेट का पर्दाफाश किया है, जिसमें महिला के बच्ची के पिता समेत चार को गिरफ्तार कर लिया गया है.


दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल ने बताया कि महिला आयोग ने दिल्ली के अलग-अलग इलाकों में महिला पंचायत का गठन किया हुआ है. बुराड़ी की महिला पंचायत ने बुधवार को उन्हें जानकारी दी कि बुराड़ी इलाके में रहने वाले एक व्यक्ति ने अपनी ढाई महीने की बच्ची को ₹40000 में बेच दिया है, जिसके बाद हमारी टीम ने बुराड़ी पुलिस से संपर्क किया और दिल्ली में अलग-अलग पांच जगहों पर रेड की, जिसके बाद बच्ची को सकुशल बरामद कर लिया गया है. इस मामले में बच्ची के पिता अमनप्रीत के अलावा 3 महिलाओं को गिरफ्तार किया गया है. मनप्रीत ने मनीषा के माध्यम से अपनी बच्ची को बेचा था. पूछताछ में पता चला है कि अमनप्रीत के दो बेटियां पहले से ही हैं. वह ड्राइवर का काम करता है. उनकी आर्थिक स्थिति कमजोर है, जिसकी वजह से वह बच्ची को नहीं रखना चाहता था. इसी दौरान अमनप्रीत की मुलाकात मनीषा नाम की महिला से हुई. मनीषा ने बच्ची को बेचने के लिए कहा और फिर उसका सौदा भी करवाया.


क्या है पुलिस का कहना


पुलिस का कहना है कि इस मामले में 4 लोगों को गिरफ्तार किया गया है, जिनके नाम अमनप्रीत, मनीषा, मंजू और संजय मित्तल है. पूछताछ में खुलासा हुआ है कि मनीषा और मंजू ने मिलकर बच्ची को बेचने का काम किया था. मनीषा और मंजू ने संजय मित्तल से बात की क्योंकि संजय मित्तल के कोई संतान नहीं थी. संजय मित्तल से उन्होंने ₹80000 में सौदा किया, जिसके बाद बच्ची को उन्हें बेच दिया गया. जिसकी एवज में ₹40000 अमनप्रीत को दे दिए गए और बाकी की रकम में से दोनों ने आधे आधे रुपये खुद रख लिए. पुलिस का कहना है कि इस मामले में दीपा नाम की एक और महिला की तलाश की जा रही है, जो फिलहाल फरार है. उसे भी जल्द ही गिरफ्तार कर लिया जाएगा.


पिता के पास नहीं थे अपनी बच्ची के इलाज के पैसे


पुलिस का कहना है कि पूछताछ में बच्ची के पिता अमनप्रीत ने खुलासा किया है कि उसकी दो बेटियां पहले से ही हैं, जिनमें से एक दिव्यांग है. जिसका इलाज चल रहा है. आर्थिक स्थिति कमजोर होने की वजह से वह उसका इलाज भी नहीं करवा पा रहा है. जब उसके यहां पर तीसरी बेटी हुई तो उसे आर्थिक चिंता सताने लगी. इसी बीच मनीषा के माध्यम से उसे यह मालूम हुआ कि वह अपनी बच्ची को बेच सकता है. उसने सोचा कि इस नवजात बच्ची का भविष्य भी बन जाएगा इसलिए वह बच्ची को बेचने के लिए तैयार हो गया और उसने अपनी बेटी को बेच दिया.