नई दिल्ली: मार्च महीने से देश में लगे कोरोना के चलते लॉकडाउन के कारण लोगों को भारी मुश्किलों का सामना करना पड़ा है. अर्थव्यवस्था से लेकर लोगों के रोजगार पर चोट लगी है. वहीं, अब जब देश में अनलॉक की प्रक्रीय शुरू हो गई फिर भी लोग अपने काम संबधी परेशानी झेल रहें है. मार्केट खुल तो गये है लेकिन ग्राहक नहीं है. कोरोना के चलते लोग अब भी सोच समझकर घरों से बाहर निकल रहें है.
ऐसे में अपना रोजगार खोए दिल्ली के रहने वाले एक शख्स ने आत्मनिर्भर होते हुए अपने परिवार को संभाल लिया है. लॉकडाउन से पहले ओबेरॉय-ट्राइडेंट होटल में ड्राइविंग का काम करने वाले बलबीर का काम अनलॉक की प्रक्रिया शुरू होने के बाद भी शुरू नहीं हुआ. जिस कारण उन्होंने अपने शौक मुताबिक खाना बनाना फिर से शुरू किया. अब उन्हें अपना मनपसंदीदा काम करने में इतना मज़ा आ रहा है कि वो ड्राइविंग छोड़ यही काम आगे भी करेंगे.
आपदा में अवसर खोज निकाला
दिल्ली के मीरा बाग में बलबीर उर्फ बिट्टू हर रोज़ सुबह 5:30 बजे उठ कर खाना बनाने की तैयारी शुरू कर देते हैं और 1 बजे से 5 बजे तक अपने स्कूटर पर "बिट्टू दे मशहूर ." दुकान लगाते हैं. आत्मनिर्भर भारत के नागरिक के रूप में बलबीर को असल में आत्मनिर्भर कहा जाए तो गलत नहीं होगा, जिन्होंने आपदा में अवसर खोज निकाला. बलबीर कहते हैं कि "अब मै अपना काम ही करूंगा. होटल वाले वापस काम पर रखेंगे या नहीं ये भी नहीं पता. मै खुद खाना बनाता हूं, खुद ही बेचता हूं. मेरे एक दिन के 100 से 150 तक कस्टमर बन गए हैं.
पीएफ निकाल के घर चलाया- बलबीर
मैं सब कुछ खुद तैयार करता हूं, लेकिन रोटियां एक महिला बनाती है. रोज़ सुबह 5:30 बजे खाना बनाने उठता हूं और चार घंटे तक खाना बनाता हूं. दुकान 1 से 5 बजे तक लगाते हैं." बलबीर कहते हैं मै अब ब्रेकफास्ट भी बनाने कि सोच रहा हूं क्योंकि कई लोग सुबह को घर से बिना खाना खाए निकलते हैं. अकेला आदमी हूं, क्या क्या करूंगा. घर पर मेरी पत्नी और बच्चे हैं, जिनके लिए मुझे जल्द से जल्द कोई रोजगार ढूंढना ज़रूरी था. पांच साल ओबेरॉय में ड्राइविंग की नौकरी करने के पश्चात वहां पीएफ जमा था.
लॉकडाउन के समय पीएफ निकलवाया और घर उससे चल रहा था लेकिन वो भी लगभग ख़तम होने को आ गया और जब केवल 15-20 हज़ार ही बचे तो मैंने सोचा खाना बनाना शुरू करता हूं. कुछ दोस्तों से पैसे उधार लिए और स्कूटी पर खाने का ये स्टॉल लगाना शुरू कर दिया.
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