गुजरात के बनासकांठा जिले में रहने वाले वर्सीभाई परमार के मोबाइल पर आया एक बधाई संदेश उनके जले पर नमक छिड़कने से कम ना था. इसी साल 23 अप्रैल को उनके पिता 70 वर्षीय हरिजी लक्ष्मण परमार की कोरोना से मौत हो गई थी. उनका परिवार इसी शोक में डूबा हुआ है. लेकिन 14 जुलाई को उनके मोबाइल पर एक संदेश आया जिसमें लिखा था, बधाई हो, आपके पिता को कोविड-19 वैक्सीन की दूसरी खुराक भी लग गई. वर्सीभाई के गुस्सा और क्षोभ का ठिकाना न रहा. प्रशासन की घोर लापरवाही और अव्यवस्था से वह बेहद क्षुब्ध हैं. वर्सीभाई कहते है कि अगर उनके पिता को उस समय अस्पताल में बेड और ऑक्सीजन मिल जाती तो वे आज जिंदा होते. वर्सी ने कहा, वैक्सीन प्रबंधन पर यह भारी कोताही और इस सिस्टम की लापरवाही मेरे पिता की मौत का मजाक है. काश अगर उन्हें पहले वैक्सीन मिल जाती तो शायद उनकी जान बच जाती. 


वैक्सीन की पहली खुराक भी नहीं मिली थी
टाइम्स में छपी खबर के मुताबिक वर्सीभाई ने कहा, मेरे पिता को वैक्सीन की पहली खुराक भी नहीं मिली थी. उन्होंने कहा कि यह जले पर नमक छिड़कने जैसा है. गुजरात में इस तरह की भूल का यह पहला मामला नहीं है. कई व्यक्तियों को कोविन एप से मैसेज भेजे जा रहे हैं. इनमें से कई की मौत भी हो चुकी है. बनासकांठा जिले के साइगम तालुका में रादोसन गांव के रहने वाले वर्सीभाई कहते हैं, एक व्यक्ति इलाज के अभाव में मर जाता है और विडंबना यह है कि सिस्टम उन्हें कोविड-19 की वैक्सीन लगा रहा है. आखिर वह क्या हासिल करना चाहते हैं. 


सिविल अस्पताल में बेड नहीं मिला
वर्सीभाई ने बताया कि उन्हें अपने पिता के इलाज के लिए तीन दिनों तक इस अस्पताल से उस अस्पताल चक्कर काटना पड़ा. उन्होंने कहा, पालनपुर सिविल अस्पताल में अस्पताल के बाहर सैकड़ों मरीज इधर-उधर पड़े हुए थे. कई को सांस लेने में तकलीफ हो रही थी. मेरे पिता के लिए वहां बेड नहीं मिला. तीन दिन की मशक्कत के बाद मैंने थराड में एक निजी अस्पताल में पिताजी को भर्ती कराया लेकिन तब तक देर हो चुकी थी और ऑक्सीजन सैचुरेशन की कमी के कारण उनकी मौत हो गई. जिस दिन भर्ती करवाया उसके तीन दिन बाद यानी 23 अप्रैल को उनकी मौत हो गई. हरिजी के दामाद शिवराम ने कहा, राज्य प्रशासन को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि राज्य में सही आदमी को टीका लगे और सही आदमी को इसके बारे में मैसेज मिले.


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