Study On UK Election: ब्रिटेन में अगर कल मध्यावधि चुनाव होते हैं तो ब्रिटिश भारतीय मतदाताओं का रुझान अहम साबित हो सकता है. एक नई रिपोर्ट में कहा गया है कि समुदाय के दस सदस्यों में से चार सदस्यों का रुझान लेबर पार्टी की ओर है जबकि तीन सत्तारूढ़ कंजरवेटिव पार्टी के पक्षधर हैं. ब्रिटेन्स न्यू स्विंग वोटर्स? ए सर्वे ऑफ ब्रिटिश इंडियन एटिट्यूड्स नामक रिपोर्ट ‘कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस’ और ‘जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज’ द्वारा तैयार की गयी है.


 30 जुलाई से 16 अगस्त 2021 के बीच सर्वेक्षण


द सर्वे ऑफ ब्रिटिश इंडियन एटिट्यूड्स (SBIA) नाम का सर्वेक्षण 30 जुलाई से 16 अगस्त 2021 के बीच किया गया. इस सर्वे में 792 ब्रिटिश भारतीय पात्र मतदाताओं को शामिल किया गया. रिपोर्ट में कहा गया कि दस में चार ब्रिटिश भारतीय का रुझान लेबर पार्टी की ओर है, तीन भारतीय कंजरवेटिव पार्टी के समर्थन में हैं जबकि एक भारतीय छोटे एवं अन्य दलों का पक्षधर है. हालांकि संबंधित सर्वेक्षण में मिले साक्ष्य बताते हैं कि लेबर पार्टी के लिए ब्रिटिश भारतीयों के समर्थन में स्पष्ट रूप से कमी आई है.


अगर चुनाव हुए तो ब्रिटिश भारतीय मतदाता का अहम रोल


रिपोर्ट में कहा गया है इसमें कहा गया कि अगर कल मध्यावधि चुनाव होते हैं तो ब्रिटिश भारतीय अहम मतदाता साबित हो सकते हैं. रिपोर्ट में आगे कहा गया कि बीते दशक में जहां लेबर पार्टी ने जनाधार खोया है वहीं कंजरवेटिव को लगातार उसका लाभ नहीं मिला. रिपोर्ट में कहा गया कि ज्यादातर मुस्लिम और सिख मतदाता और बड़ी संख्या में ऐसे लोग जो किसी धर्म विशेष से संबद्ध नहीं हैं वे मध्यावधि चुनाव की स्थिति में लेबर पार्टी को समर्थन देंगे. हालांकि अधिकांश ईसाई और हिंदुओं ने कंजरवेटिव पार्टी के प्रति समर्थन जताया है.


कितने फीसदी ब्रिटिश भारतीयों की पसंद हैं बोरिस जॉनसन?


महज 37 फीसदी ब्रिटिश भारतीयों ने प्रधानमंत्री के तौर पर बोरिस जॉनसन के प्रदर्शन को पसंद किया. काल्पनिक आम चुनाव की स्थिति में लेबर पार्टी के नेता केयर स्टारमर प्रधानमंत्री पद के सबसे लोकप्रिय उम्मीदवार के रूप में सामने आए हैं. रिपोर्ट के मुताबिक हालांकि भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को प्रवासी भारतीयों से सीमित समर्थन प्राप्त है, लेकिन कंजरवेटिव पार्टी के समर्थक और हिंदू उनके काम के प्रदर्शन को लेकर सबसे अधिक उत्साहित हैं.


रिपोर्ट के लेखकों में कैरोलिन डकवर्थ (कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस), देवेश कपूर (जॉन हॉपकिन्स यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ एडवांस्ड इंटरनेशनल स्टडीज) और मिलन वैष्णव (कार्नेगी एंडोमेंट फॉर इंटरनेशनल पीस) हैं.


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