बीजेपी-आरएसएस नहीं हमारे जैसे रामभक्त बनाएंगे राम मंदिर: शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती
शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती राममंदिर को लेकर पहले भी केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार पर निशाना साध चुके हैं.
नई दिल्ली: अयोध्या में राममंदिर को लेकर द्वारिकापीठ के शंकराचार्य जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने बीजेपी और आरएसएस पर बड़ा हमला बोला है. उन्होंने कहा कि बीजेपी और आरएसएस नहीं बल्कि हमारे जैसे रामभक्त ही राम मंदिर बनाएंगे. शंकराचार्य जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती तीन दिन के प्रवास वृंदावन में थे.
शंकराचार्य जगद्गुरु स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, ''बीजेपी और आरएसएस लोगों से कहते हैं केंद्र में उनकी सरकार है और वे राममंदिर बनाएंगे. संविधान के मुताबिक केंद्र सरकार सेक्युलर है. एक सेक्युलर सरकार मंदिर, मस्जिद या गुरुद्वारा नहीं बना सकती. हमारे जैसे रामभक्त राम मंदिर बनाएंगे.''
RSS-BJP tell people that it's their govt in centre&they'll build Ram temple. However, as per the constitution, central govts are secular. A secular govt can't build a temple, mosque or Gurdwara. 'Ram Bhakts', people like us, will build the temple:Shankaracharya Swami Swaroopanand pic.twitter.com/ifeIimP0t5
— ANI (@ANI) April 29, 2018
राम मंदिर पर पहले भी दे चुके हैं बयान शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती राममंदिर को लेकर पहले भी केंद्र और उत्तर प्रदेश की सरकार पर निशाना साध चुके हैं. उन्होंने कहा था, ''स्टे हटाए बगैर कोई भी राम मंदिर नहीं बनवा सकता है. पीएम नरेंद्र मोदी, सीएम योगी आदित्यनाथ, आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत सहित चाहे कोई भी हो राजनितिक पार्टी या सरकार राम मंदिर नहीं बना सकती. जब फैसला आएगा हम राम मंदिर बनायेंगे, पहले से हवाबाजी करने से क्या लाभ?''
आशाराम को पहले ही सजा हो जानी चाहिए थी: शंकराचार्य शंकराचार्य स्वरूपानंद सरस्वती ने आशाराम की सजा पर कहा कि आशाराम को पहले ही सजा हो जानी चाहिए थी. उन्होंने कहा, ''आशाराम को पैदा करने वाले भारत के लोग हैं. वो चमत्कारों से प्रभावित हो कर किसी को भी संत मान लेते हैं, ये परम्परा ईसाइयों ने शुरू की. ईसाई धर्माचार्यों ने ये प्रचार किया है कि मेरी आंख ठीक हो गयी मेरा रोग दूर हो गया. उन लोगों के बड़े धर्माचार्य आते है तब उनके दलाल इस तरह का प्रचार करते है.''
उन्होंने कहा, "यही तकनीक आशाराम, रामरहीम जैसे लोगों ने शुरू कर दी कि हमारे पास आओ हम रोग दूर कर देंगे. इसको कोई दूर नहीं कर सकता, संसार तो दुःख का रूप ही है. आशाराम को तो पहले ही सजा हो जानी चाहिए थी.''