2047 तक भारत में कैसे बदल जाएगा सरकारी कामकाज, जानिए क्या है पूरी योजना?
25 साल बाद देश में सरकारी कामों को करने का ढर्रा पूरी तरह से बदलने जा रहा है. एक नए तरह का शासन भारत में देखने को मिलेगा. इसके लिए प्रशासनिक अधिकारियों की एक अनुभवी टीम पुरजोर तैयारियां कर रही है.
साल 2047 तक भारत में शासन-प्रशासन का तरीका एक नया कलेवर लिए होगा. इस काम को अंजाम देने के लिए भारत सरकार ने युवा प्रशासनिक अधिकारी, गैर प्रशासनिक अधिकारियों, शिक्षाविदों, उद्यमियों का एक ग्रुप बनाया है.
ये ग्रुप भविष्य में शासन के तौर-तरीकों में बदलाव लाने के नए आइडिया को लेकर तैयार है.
इस ग्रुप का फोकस 4 महत्वपूर्ण क्षेत्रों ऑफिस ऑटोमेशन (ऑफिस का संचालन), ऑफिस ऑटोमेशन में डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल, एआई और मशीन लर्निंग पर है.
ग्रुप के आइडिया को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की मंजूरी का इंतजार है. मंजूरी मिलते ही इन्हें अमल में लाया जाएगा.
विजन इंडिया@2047 क्या है?
दरअसल शासकीय कामों और कार्यालयों में सुधार लाने और उसे आधुनिक बनाने की कवायद में सरकार गवर्नेंस सेक्टर पर खास योजना के तहत काम कर रही है.
इसके लिए 160 लोगों का एक ग्रुप बनाया गया है. इस ग्रुप में 30 युवा आईएएस, 10 गैर आईएएस अधिकारी, 40 शिक्षाविद और 80 उद्यमी शामिल हैं.
सबसे खास बात है कि इन सभी की उम्र लगभग 40 साल या उससे कम है. कई महीनों तक ये टीम एक खास मिशन में लगी हुई थी.
ये मिशन साल 2047 में भारत के लिए एक नया शासकीय नजरिया तैयार करने का था. अब ये ग्रुप अपना आइडिया तैयार कर चुका है.
इस खास ग्रुप के विचारों को प्रधानमंत्री की अध्यक्षता वाली मंत्रिपरिषद की हरी झंडी मिलते ही ये विजन इंडिया@2047 के अहम दस्तावेजों में बदल जाएंगे.
इस दस्तावेज को गवर्नेंस सेक्टर के लिए प्रशासनिक सुधार और लोक शिकायत विभाग (डीएआरपीजी) तैयार कर रहा है. गवर्नेंस इस पहल के लिए पहचाने गए 9 सेक्टरों में से एक है.
हर एक सेक्टर का नेतृत्व एक सचिव स्तर का अधिकारी कर रहा है.
इसमें शासन-प्रशासन के कामों को अंजाम देने के लिए उन्नत तकनीकी का इस्तेमाल किया जाएगा.
उदाहरण के लिए सरकारी कामों के मौजूदा सिस्टम में फ़ाइलें एक स्तर से दूसरे स्तर पर चलती रहती हैं. इसे एक निश्चित स्तर से ऊपर नहीं जाना चाहिए. यदि यह उस स्तर को पार कर जाता है, तो खतरे की घंटी बजाने की जरूरत है.
एक अधिकारी के मुताबिक "जरूरी फाइलों को मार्क करने के लिए, या यह देखने के लिए कि एक अधिकारी ने कितने दिनों तक फाइल अपने पास रखी है, हम डेटा एनालिटिक्स का इस्तेमाल करेंगे."
शासन के अलावा विजन इंडिया@2047 के बाकी सेक्टर समूहों में वित्त, वाणिज्य और उद्योग, आंतरिक सुरक्षा और सामाजिक सेक्टर शामिल हैं.
इनमें से दो समूह वित्त, वाणिज्य और उद्योग मंत्रिपरिषद के सामने पहले ही अपना नजरिया पेश कर चुके हैं. डीएआरपीजी के सचिव वी श्रीनिवास के द इंडियन एक्सप्रेस को दिए बयान के मुताबिक “विज़न इंडिया @ 2047 का फोकस युवा सिविल सेवकों पर हैं जो 2047 तक नीति बनाने वाले पदों तक पहुंचेंगे.
यही वो लोग होंगे जो अत्याधुनिक तकनीक के जरिए सरकारी कार्यालयों के संचालन के लिए अकादमिक, स्टार्ट-अप्स, रिसर्च इंस्टीट्यूट्स के साथ बातचीत करेंगे.
यही वो लोग होंगे जो आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) / एमएल और ब्लॉक चेन जैसी अत्याधुनिक तकनीक को सरकारी कार्यालयों में सही तरीके से लागू करना सुनिश्चित करेंगे.
गौरतलब है कि एआई मॉडल को स्टोर करने और बांटने के लिए ब्लॉकचेन का इस्तेमाल किया जाता है. ब्लॉकचेन और एआई को जोड़ने से डेटा सुरक्षा बढ़ सकती है.
वहीं एमएल ब्लॉकचेन ऐप्स की सुरक्षा में सेंध और जोखिम के बारे में बताने में मदद करता है. जानकारी के मुताबिक गवर्नेंस सेक्टर का मसौदा वर्तमान में सचिवों के समूह (GoS) के पास विचार करने के लिए भेजा गया है. इसके अध्यक्ष सूचना और प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा हैं.
गवर्नेंस के तौर तरीकों को सटीक बनाने की ट्रेनिंग
गवर्नेंस सेक्टर के लिए विजन इंडिया @ 2047 दस्तावेज पर काम इस साल की शुरुआत में तेज हो गया था. दरअसल कार्मिक, लोक शिकायत और पेंशन राज्य मंत्री जितेंद्र सिंह की अध्यक्षता वाले एक सलाहकार समूह ने सुझाव दिया कि जिन सिविल सेवकों की 25-30 साल की नौकरी बची है उन्हें काम सौंपा जाना चाहिए.
इसके बाद डीएआरपीजी ने ऐसे 30 आईएएस ऑफिसर की पहचान की और उनके बाद 10 और गैर आईएएस अधिकारियों को इस ग्रुप में शामिल किया.
इन अधिकारियों के अलावा आईआईटी और आईआईएम जैसे प्रमुख संस्थानों के 40 युवा संकाय सदस्यों को भी इससे जोड़ा गया.
इसमें 80 स्टार्टअप्स के उद्यमियों को भी इसमें लिया गया. इनमें 40 सीड स्टेज और 40 एडवांस स्टार्ट अप्स के उद्यमी थे. डीएआरपीजी के अधिकारियों ने इन 160 सदस्यों को 40 सेल में रखा.
इनमें से हर एक सेल में एक अधिकारी, एक सीड स्टार्ट-अप और एक एडवांस स्टार्ट-अप का प्रतिनिधि और एक फैकल्टी सदस्य शामिल था.
अधिकारियों के अनुसार, 10 समूहों ने 7-9 मार्च को आईआईटी-मद्रास में 3 दिनों के लिए बैठक की और अपनी सिफारिशें पेश कीं.
इन सिफारिशों को बाद में विभिन्न मंत्रालयों के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ साझा किया गया और बाद में गवर्नेंस विजन के मसौदे में शामिल किया गया. उदाहरण के लिए 2012 बैच की आईएएस अधिकारी 37 साल की डॉ अदीला अब्दुल्ला जल पर बने समूह का हिस्सा थीं.
उन्होंने कहा, “विजन इंडिया 2047 को पानी की समस्या के हर पहलू पर गौर करना चाहिए. हमें ऐसी हालत में होना चाहिए कि 2047 में हमें नल का पानी पीने के लिए तैयार रखना चाहिए मतलब ये पानी इस लायक हो कि पिया जा सके.”
2009 बैच की आईएएस अधिकारी वर्णाली डेका, फिनटेक और समावेशन समूह का हिस्सा थीं. उनका कहना था कि इस ग्रुप की सबसे अच्छा बात ये रही कि इसमें उद्योग, शिक्षा, स्टार्ट-अप और सिविल सेवाओं के बीच आपसी तालमेल बना.
मोदी सरकार का मिशन कर्मयोगी
दरअसल केंद्र सरकार के सभी विभागों में आईएएस अधिकारियों की कमी है. इसे पूरा करने के लिए केंद्र सरकार के अधिकारियों को ट्रेनिंग देने के लिए प्रधानमंत्री की 'मिशन कर्मयोगी' योजना अमल में लाई जा रही है.
इसके जरिए मोदी सरकार का मकसद गैर-आईएएस अधिकारियों को संयुक्त सचिवों, निदेशकों और उप निदेशकों के पद पर पदोन्नत करने का है.
कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (डीओपीटी) के आदेशों के मुताबिक, पिछले चार हफ्तों में केंद्र सरकार की गई 73 नियुक्तियों में से केवल 33 आईएएस अधिकारियों की थीं, जिसका मतलब है कि 55 फीसदी या अधिकांश नियुक्तियां गैर आईएएस अधिकारी की हुई हैं.
गौरतलब है कि 17 नवंबर और 14 दिसंबर के बीच केंद्र सरकार ने नियुक्ति आदेश के 17 सेट जारी किए गए. इसके तहत 73 नियुक्तियां की गईं.
नियुक्त किए गए ये अधिकारी वर्तमान में रेलवे, डाक, वन, राजस्व और रक्षा खाता सेवाओं में काम कर रहे हैं.
मिशन कर्मयोगी के तहत ट्रेनिंग लेने के बाद गैर-आईएएस अधिकारी भी मंत्रालयों में आईएएस अधिकारियों जैसे ही पद पा सकेंगे जो अमूमन आईएएस अधिकारियों के लिए ही होते हैं.
इसके तहत केंद्र सरकार ने उच्च शिक्षा, आयुष, आर्थिक मामलों और श्रम मंत्रालयों में भारतीय आयुध निर्माणी सेवा के अधिकारियों की तैनाती की है. वहीं पृथ्वी विज्ञान में भारतीय वन सेवा के अधिकारियों और नागरिक उड्डयन में भारतीय डाक सेवा के अधिकारियों को भी तैनात किया है.
केंद्र सरकार के कर्मचारियों के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम कर्मयोगी भारत के सीईओ अभिषेक सिंह ने दिप्रिंट में छपे बयान के मुताबिक,”'हम उन अधिकारियों के लिए प्रशिक्षण मॉड्यूल ला रहे हैं जो आईएएस कैडर से नहीं हैं, लेकिन अब उन्हें संयुक्त सचिव, निदेशक या उप निदेशक के तौर पर नियुक्त किया जा रहा है.
पहला बैच लगभग 40 अधिकारियों के साथ शुरू हुआ, जो विभिन्न केंद्रीय सेवाओं से हैं, और भारत सरकार के मंत्रालयों और विभागों में नियुक्त किए गए हैं.”
उन्होंने कहा," ट्रेनिंग मॉड्यूल में प्रशासनिक संरचना में काम करने प्रक्रियाएं शामिल हैं. यह तनाव के प्रबंधन, फाइलों पर नोट्स लिखने, नीतियों का मसौदा तैयार करने और अन्य सचिवालय नौकरियों के बारे में है.”
जबकि मिशन कर्मयोगी को 2020 में देश में क्षमता निर्माण और शासन में सुधार के मकसद से एक ट्रेनिंग मॉड्यूल के तौर पर पेश किया गया था.
यह 22 नवंबर को एक रोज़गार मेले में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नई भर्तियों के लिए शुरू की गई "आरंभ "(नई शुरुआत) मॉड्यूल का एक हिस्सा भी है.
इस कार्यक्रम में पीएम ने लगभग 71,000 नियुक्ति पत्र बांटे थे. डीओपीटी के एक वरिष्ठ अधिकारी के मुताबिक सरकार ने बाद में गैर-आईएएस अधिकारियों के लिए भी प्रशिक्षण योजना लाने और खास तौर से उनके लिए एक पाठ्यक्रम जोड़ने का फैसला किया.