ये मिलन सिर्फ दिलों का नहीं, दो देशों को जोड़ने वाला है
नई दिल्ली: जिस समाज में सबसे ज्यादा भ्रूण हत्याएं होती हैं. बड़ी होती बेटियों के प्रेम पर कातिल पहरे होते हैं. दहजे के लिए बहूओं को आगे के हवाले कर दिया जाता है. उसी समाज से ज्योति यादव लीक से हटकर अपना मुकाम हासिल करती हैं, जाति, समाज, धर्म और देश की सरहदों से ऊपर उठकर प्यार करती हैं और साथ जीने-मरने की कसमें खाती हैं. यही पैगाम तपती धूप में राहत की हवा जैसी है.
हरियाणा से संबंध रखने वाली ज्योति यादव, जो अब दिल्ली वाली हो गई हैं. जल्द ही दुल्हन बनने वाली हैं. खास बात यह है कि बारात सात समंदर पार जमर्नी से आ रही है और उनका दूल्हा परदेशी है. प्यार जर्मनी में परवान चढ़ा, लेकिन शादी दिल्ली में हो रही है. दिल्ली के उप्पल होटल में 8 दिसंबर को हो रही इस शादी में 50 बाराती जर्मनी से आ रहे हैं.
ज्योति जब जर्मनी के यूनिवर्सिटी ऑफ मनस्टर में पीएचडी की छात्रा थी, तभी साथ पढ़ने वाले उर्स लैगहेन को अपना दिल दे बैठीं. दोनों ने अब सात जन्मों तक एक दूसरे का साथ देने का फैसला किया है.
ज्योति ने यूनिवर्सिटी ऑफ मनस्टर में टॉप किया और फिलहाल दोनों दुनिया के टॉप यूनिवर्सिटी में से एक हार्वर्ड यूनिवर्सिटी में पढ़ रहे हैं. ज्योति के पिता बलवान सिंह दिल्ली पुलिस में कॉन्सटेबल हैं. ये हरियाणा के रहने वाले हैं, जहां पुरुष और महिलाओं का लिंग अनुपात बेहद कम है.
अपनी बेटी के प्रेम और विवाह को पिता बलवान सिंह ने न सिर्फ खुशी-खुशी स्वीकार किया, बल्कि बेटी के इस फैसले का समर्थन भी किया. हरियाणा जैसे पुरुषवादी मानसिकता वाले समाज से संबंध रखने के बावजूद ज्योति के पिता बलवान सिंह ने अपनी बेटी को जो आजादी दी, वह उनकी हिम्मत की मिसाल और तारीफ के काबिल है.