भुवनेश्वर: पुरी पीठ के शंकराचार्य स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने रविवार को आरोप लगाया कि कोरोना वायरस महामारी के दौरान भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा रुकवाने के लिए सुनियोजित योजना बनाई गई है. शंकराचार्य का यह बयान ऐसे वक्त में आया है, जब गजपति महाराज दिब्यसिंह देब और सेवादारों ने ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक से अनुरोध किया है कि वह सुप्रीम कोर्ट के 18 जून के आदेश में संशोधन के लिए जल्दी अर्जी देने में हस्तक्षेप करें. गौरतलब है कि SC ने अपने आदेश में 23 जून को होने वाली रथ यात्रा पर रोक लगा दी थी.


राज्य सरकार रथ यात्रा की अनुमति ले, भले ही उसमें लोग शामिल न हों- शंकराचार्य


शंकराचार्य ने मांग की है कि राज्य सरकार सुप्रीर्म कोर्ट से रथ यात्रा की अनुमति ले, भले ही उसमें लोग शामिल ना हों. इस साल की रथ यात्रा रद्द होने पर निराशा जताते हुए शंकराचार्य ने कहा, ‘वार्षिक समारोह को रोकने के लिए सुनियोजित योजना बनाई गई है.’


एक वीडियो संदेश में पुरी के शंकराचार्य ने कहा, ‘सुप्रीम कोर्ट 20 जून को समीक्षा याचिका स्वीकार कर सकता था, जिसमें उसके 18 जून के आदेश में संशोधन करने का अनुरोध किया गया था. ऐसे उदाहरण मौजूद हैं जब कोर्ट ने अवकाश के दौरान भी महत्वूपर्ण विषयों पर सुनवाई की है.’


सुप्रीम कोर्ट को गलत तथ्य दिए गए- रघुनाथ महापात्रा


पुरी में रथ यात्रा की अनुमति देने की वकालत करते हुए राज्यसभा सदस्य और लोकप्रिय शिल्पकार रघुनाथ महापात्रा ने आरोप लगाया है कि सुप्रीम कोर्ट को यह भ्रामक तथ्य दिया गया है कि पुरी की रथ यात्रा में 10-12 लाख लोगों का जमावड़ा होगा.


श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के सदस्य महापात्रा ने कहा कि जमावड़े में लोगों की संख्या के आधार पर ही न्यायालय ने रथ यात्रा पर रोक लगाई है.


इस बीच गजपति महाराज ने मुख्यमंत्री नवीन पटनायक को लिखे अपने पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि पुरी में भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा का आयोजन ‘स्वीकृत और अनिवार्य है.’ गजपति महाराज ने स्कंद पुराण, ब्रह्म पुराण, निलाद्री महोदया और बामदेब संहिता से संदर्भ देते हुए उक्त बात कही.


रथयात्रा परंपरा नहीं एक धार्मिक अनुष्ठान है- गजपति महाराज


श्री जगन्नाथ मंदिर प्रबंधन समिति के प्रमुख गजपति महाराज ने मुख्यमंत्री को लिखे पत्र में कहा, ‘इन पुराणों में स्पष्ट लिखा है कि श्री श्री जगन्नाथ महाप्रभु (जिन्हें पुराणों में श्री पुरुषोत्तम कहा गया है) परमात्मा हैं. वह कोई अवतार नहीं बल्कि अवतारी हैं और श्री जगन्नाथ धाम पृथ्वी पर उनका स्थायी निवास है.’


उन्होंने यह भी कहा कि रथयात्रा महज परंपरा नहीं है बल्कि सदियों से चला आ रहा एक धार्मिक अनुष्ठान है, उसे किसी भी हाल में रोका नहीं जा सकता है. फिर चाहे कोरोना वायरस महामारी ही क्यों ना हो.


इस संबंध में दैतापति नियोग के अध्यक्ष रबिन्द्र दास महापात्रा ने कहा,  'सुप्रीम कोर्ट को सही सूचना नहीं दी गई, इसलिए उसने यात्रा पर प्रतिबंध लगाने का फैसला लिया.’


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